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आओ धागों में सरोकार बुने

नई पीढ़ी का अर्थ ही है नए विचार। सो, फैशन की दुनिया में भी यह कर रही है नए प्रयोग। पर्यावरण से गहरे सरोकार की वजह से इसका जोर है इकोफ्रेंडली गारमेंट्स पर। तारीफ के काबिल हैं इस पीढ़ी की कोशिशें लेकिन सीनियर डिजाइनर्स इन्हें सलाह देते हैं भारतीय कला

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Jun 2016 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jun 2016 03:16 PM (IST)
आओ धागों में सरोकार बुने
आओ धागों में सरोकार बुने

यंग जेनरेशन सोचती है कि मॉडर्नाइजेशन का मतलब है वेस्टर्नाइजेशन। वेस्टर्न लुक ही मॉडर्न लुक नहीं है, उन्हें यह फर्क समझना चाहिए और मॉडर्न इंडियन कलेक्शन बनाना चाहिए। अगर वे इंडियन ट्रेडिशन को इंडियन टेक्निक्स के साथ बैलेंस करें तो पूरी दुनिया में इसका इंपैक्ट देख सकते हैं। हमारे पास भारतीयता है, अगर हम इसे छोड़ देंगे तो हम कहीं के भी नहीं रहेंगे।इंडियन फैशन को दुनिया भर में मशहूर करने वाले डिजाइनर रोहित बल को लगता है कि यंग जेनरेशन अच्छा कर रही है लेकिन उसे बचना है तो वेस्टर्नाइजेशन के आकर्षण से।

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मां की साड़ी का जादू

फैशन ने आज छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक पहुंच बनाई है। फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में कदम रख रही नई जेनरेशन सीनियर डिजाइनर्स के डिजाइंस को आदर्श जरूर मान रही है लेकिन अपने इनोवेटिव एक्सपेरिमेंट्स करने में भी पीछे नहीं है। हाल ही में फैशन डिजाइनिंग काउंसिल ऑफ इंडिया ने न्यूजीलैंड एजुकेशन के साथ मिलकर एक फैशन इवेंट आयोजित किया, जिसमें न्यूजीलैंड और इंडिया के यंग डिजाइनर्स की क्रिएटिविटी देखने लायक थी। फैशन डिजाइनिंग की स्टूडेंट मेघा शर्मा ने जब अपनी मम्मी की 30 साल पुरानी बनारसी साड़ी का प्रयोग कर कंटेंप्रेरी ड्रेस बनाई तो सीनियर डिजाइनर्स भी तारीफ किए बिना नहीं रह सके।

खुद बुन रहे हैं फैब्रिक

ओल्ड को सर्वाइव करने के लिए नए रंग में आना जरूरी है। यंग जेनरेशन हमें भी प्रोत्साहित कर रही है। ये लोग जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं। खुद नए फैब्रिक वीव कर रहे हैं जो बहुत बड़ी बात है। ये ड्रेप बना रहे हैं और वह पहनने में भी मुश्किल नहीं है।फैशन में उग रही नई पौध की तारीफ करते हुए उन्हें पर्यावरण से जुड़े रहने और पहनने लायक कपड़े बनाने के टिप्स दे जाती हैं फैशन डिजाइनर चारु पराशर।

चाहिए फ्रेश अप्रोच

आजकल फैशन एक जैसा ही हो गया है। जापान में लोग जो कपड़े पहनते हैं वे यूएसए जैसे ही लगते हैं। ऐसे में इंडियन क्राफ्ट से फैशन में नया फ्लेवर लाया जा सकता है।फैशन डिजाइनर राहुल मिश्रा भी इंडियन क्राफ्टमैनशिप को अपनाने की बात करते हैं। उनका मानना है कि जब सीनियर डिजाइनर कोटूर और वेडिंग की ओर चले गए हैं, तब एक फ्रेश अप्रोच का नजर आना फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में ताजी हवा के समान है।

फैशन डिजाइनर की राय देखें:

समझनी होगी स्ट्रेंथ

मैं यंग टैलेंट में वेस्टर्न इंट्रेस्ट देख रहा हूं। इन्हें इंडियन क्राफ्ट की ओर ध्यान लगाना चाहिए। दुनिया भर के डिजाइनर्स इसको अपना रहे हैं। भारत का कल्चर काफी स्ट्रांग है। यह कहीं गुम क्यों हो? यंग जेनरेशन को इंडिया की स्ट्रेंथ को समझना होगा और इसका प्रयोग करना होगा। - रोहित बल, फैशन डिजाइनर

हैं बहुत प्रैक्टिकल

नई पीढ़ी के डिजाइनर ऐसे कपड़े बना रहे हजो वे खुद पहनना चाहेंगे। अच्छी बात यह है कि यह पीढ़ी प्रैक्टिकल है और एक्सपेरिमेंटल भी। एक ग्रुप एक्सपेरिमेंट कर रहा है और दूसरा प्रैक्टिकल। इससे लगातार नया फैशन निकल रहा है। - सुनील सेठी, अध्यक्ष, फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया

मौलिकता बनाए रखी

न्यू जेनरेशन काम कर रही है न्यू आइडियाज और न्यू इनोवेशन के साथ। सबसे बड़ी बात यह है कि इन्होंने ओरिजनैलिटी को बरकरार रखा है। शुरुआत अच्छी है। क्रिएटिविटी काफी है। भारत में फैशन डिजाइनिंग का भविष्य ब्राइट नजर आ रहा है। - वरुण बहल, फैशन डिजाइनर

धैर्य रखना भी जरूरी

आज की जेनरेशन कल के बारे में सोच रही है। यह अपने कल्चर को समझकर इंप्लीमेंट कर रही है। वे हैंड टेक्निक्स भी यूज कर रहे हैं और कटिंग व सिलुएट्स इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन न्यू जेनरेशन में कुछ क्वालिटीज का आना जरूरी है। हार्ड वर्क के साथ- साथ इन्हें पेशेंस भी रखना होगा।- अमित अग्रवाल,फैशन डिजाइनर

ग्लोबल भी लोकल भी

नई पीढ़ी अपने लोकल रूट्स और क्राफ्ट से जुड़ रही है। वेस्टर्न डिटेल्स को लेकर इंडियन टेक्सटाइल्स पर काम कर रही है। ग्लोबल हिप्पी जैसा लुक आ रहा है इनके कपड़ों में। फैशन में इनोवेशन क्राफ्ट से ही आ सकती हे। फैशन को जो यूनीकनेस चाहिए, वह क्राफ्ट से ही मिलती है।- राहुल मिश्रा, फैशन डिजाइनर

फैशन में लौटे हिंदुस्तानी

फैब्रिक्स मुझे सबसे ज्यादा पसंद यह चीज आ रही है कि यंग जेनरेशन कॉटन और लिनेन जैसे फैब्रिक पर काम कर रही है। आज जब सभी डिजाइनर्स कोटूर पर काम कर रहे हैं और हिंदुस्तानी फैब्रिक्स को भूलते जा रहे हैं ऐसे में नई जेनरेशन का इस ओर आना राहत भरा है।- रेनू टंडन, फैशन डिजाइनर


पर्यावरण है मुद्दा

सस्टेनेबल फैशन बहुत लोकप्रिय होगा क्योंकि पर्यावरण के क्षेत्र में हम बहुत पीछे हैं। हर फील्ड में पर्यावरण को ध्यान में रखकर काम हो रहा है तो फिर फैशन डिजाइनिंग भी तो एक हिस्सा होना चाहिए इस अभियान का। यंग जेनरेशन इस बारे में सोच रही है यह काफी प्रशंसनीय है। - चारु पराशर, फैशन डिजाइ

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