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सुख-दुख के साथी हैं

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसमें उम्र, धर्म कुछ मायने नहीं रखता। वे दोस्त ही तो होते हैं, जिनसे हम अपने दिल की हर वो बात कह लेते हैं, जो किसी और से नहीं कह सकते। इसलिए दोस्ती के रिश्ते को हमेशा सहेजकर रखना चाहिए...

By deepali groverEdited By: Published: Sat, 29 Nov 2014 09:19 AM (IST)Updated: Sat, 29 Nov 2014 11:18 AM (IST)
सुख-दुख के साथी हैं
सुख-दुख के साथी हैं

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसमें उम्र, धर्म कुछ मायने नहीं रखता। वे दोस्त ही तो होते हैं, जिनसे हम अपने दिल की हर वो बात कह लेते हैं, जो किसी और से नहीं कह सकते। इसलिए दोस्ती के रिश्ते को हमेशा सहेजकर रखना चाहिए...

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याद करें कि आपको जब कोई अपनी खास सहेली मिल जाती है तो आप कितनी खुश होते हैं। शायद इसे आप शब्दों में बयां नहीं कर सकतीं। ये दोस्त ही होते हैं, जो हमारे आपके आड़े वक्त में काम आते हैं। जब हम परेशान होते हैं, तब वे हमें सांत्वना देते हैं। हम उन्हें जब चाहें, तब पुकार सकते हैं। यह सही है कि कभी-कभी दोस्तों के बीच भी कुछ गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं, पर दोस्ती की खातिर और अतीत में एक-दूसरे के साथ रहने के कारण हमें आपसी मतभेदों को सुलझाना चाहिए। जिस प्रकार से फूल झड़ते हैं और फिर खिलते हैं, ठीक उसी तर्ज पर हमें इसी जज्बे को दोस्ती के संदर्भ में भी लागू करना चाहिए। कुछ बातों को ध्यान में रखकर हम अपनी दोस्ती को गुजरते वक्त के साथ और भी मजबूत कर सकते हैं।

परछाई न समझें

आपकी और आपके दोस्त की अपनी-अपनी जिंदगी है। इसलिए यह उम्मीद कतई न करें कि आपका दोस्त चौबीसों घंटे आपके साथ रहेगा। हरेक की अपनी लाइफ भी होती है। इसलिए बात-बात पर उसको परेशान न करें, लेकिन दोस्त ऐसे हों जो संकट के समय आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो जाएं।

नए संपर्क बनाएं

अगर बचपन की दोस्ती की बात और कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो आज जो आपकी सहेली या दोस्त है, वह कभी अजनबी रहा होगा। धीरे-धीरे नए संपर्क विकसित हुए और वे प्रगाढ़ दोस्ती में बदल गए। इसलिए नए संपर्कों को सहजता से विकसित करने का प्रयास करें। मनोवैज्ञानिकों का कहना भी है कि एक जैसी दिलचस्पियां होने से निकटता बढ़ती है और यह निकटता आगे चलकर दोस्ती में बदलती है। किसी क्लब, जिम, योग कक्षा, हॉबी क्लासेज में या किसी अन्य समारोह व पार्टी में आपकी नए लोगों से मुलाकात हो सकती है। जो लोग आपको पसंद आएं अर्थात आपको लगता है कि ये अच्छे लोग हैं तो पहले उनके बारे में अन्य लोगों से जानकारी करें। फिर उनसे बराबर संपर्क में रहें। याद रखें यदि आपके दोस्त कुछ गलत कर रहे हैं तो उनसे सावधान रहें अन्यथा आप भी मुसीबत में फंस सकती हैं।

तारीफ भी करें

यह किसी किताब में नहीं लिखा है कि आप अपने दोस्तों की तारीफ नहीं कर सकतीं। यदि किसी खास मौके पर आपकी सहेली की ड्रेस अच्छी लग रही है या उसने अच्छा मेकअप किया है तो उसकी खुलकर तारीफ करें। इसमें कंजूसी न बरतें। यही नहीं उसने कोई बढि़या डिश बनाई है तो भी उसकी तारीफ अवश्य करें। इससे उसे यह महसूस होगा कि आप वाकई उसकी सच्ची सहेली हैं।

तेरा साथ है कितना प्यारा

जब भी मौका मिले अपने दोस्तों से मिलने के लिए समय अवश्य निकालें। किसी ने सही कहा है कि हो सकता है कि आज आपके पास दोस्तों की संख्या बहुत हो, लेकिन उनसे मिलने के लिए आपके पास वक्त न हो। हो सकता है एक दिन ऐसा भी आए जब आपके पास समय तो बहुत हो, किंतु मिलने के लोग ही न उपलब्ध हों। इसलिए आप कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, दोस्तों से मिलने के लिए समय निकालें। कभी-कभार अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने जाएं, किसी रेस्त्रां में जाएं या पिकनिक पर भी जा सकती हैं। अध्ययनों से भी यह बात साबित हो चुकी है कि जो लोग सामाजिक रूप से सक्रिय होते हैं, वे मानसिक रूप से काफी चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ रहते हैं।

शेयर करें समस्या

आपकी सहेली या दोस्त कोई भगवान नहीं है, जो आपके मन की बातों को बिना बताए समझ ले। आपका करीबी से करीबी दोस्त भी आपके मन की बात को तब तक नहीं समझ सकता, जब तक कि आप उसे बताएंगी नहीं। इसलिए कोई परेशानी होने पर अपने दोस्त से खुलकर बात करें। यदि आपका अमुक दोस्त उस समस्या को हल नहीं कर पा रहा है तो दूसरे दोस्त से भी शेयर करें। कारण, यह जरूरी नहीं कि एक ही कोई हर समस्या का समाधान खोज सके।

वायदा जरूर निभाएं

यदि आप अपनी किसी सहेली या दोस्त से किसी तरह का कोई वायदा करती हैं तो उसे निभाने की कोशिश अवश्य करें। मान लीजिए कि आपने सहेली से यह कह रखा है कि जरूरत पड़ने पर आप उसकी आर्थिक मदद करेंगी या अपनी कोई खास ड्रेस उसे खास मौके पर पहनने के लिए अवश्य देंगी तो समय आने अपना वायदा जरूर पूरा करें।

सहेजें दोस्त को

सच्चा दोस्त बड़ी किस्मत से मिलता है। इसलिए ऐसे दोस्त की मदद के लिए स्वयं भी तैयार रहें। दोस्त को उसके गुणों और अवगुणों के साथ स्वीकार करना सीखें। हमेशा उसका फायदा उठाने की ही कोशिश में न रहें, बल्कि समय-समय पर अपनी ओर से भी उसकी मदद की कोशिश करें।


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