सिनेमा के सौ साल पर लाहौर की याद
प्राण ने लाहौर में बनी पंजाबी फिल्म 'यमला जट' में पहली बार अभिनय किया था। प्राण ने लाहौर में बनी 20 से अधिक फिल्मों में काम किया। आजादी के पहले लाहौर उत्तर भारत में फिल्म निर्माण का प्रमुख केंद्र था।
मुंबई। प्राण ने लाहौर में बनी पंजाबी फिल्म 'यमला जट' (1940) में पहली बार अभिनय किया था। प्राण ने लाहौर में बनी 20 से अधिक फिल्मों में काम किया। आजादी के पहले लाहौर उत्तर भारत में फिल्म निर्माण का प्रमुख केंद्र था।
विभाजन के बाद ज्यादातर कलाकार और तकनीशियन मुंबई आ गए। 1965 तक भारत में बनी हिंदी फिल्में ही पाकिस्तानी दर्शकों को भाती रहीं। उन्हें ही वे थिएटरों में देखते रहे। लाहौर की फिल्म इंडस्ट्री मुंबई और कोलकाता से बहुत पीछे नहीं रही। सायलेंट फिल्मों के निर्माण के बाद 1932 में पहली बोलती फिल्म भी वहां बनी। ए आर कारदार, डी एम पंचोली, जी डी मेहता आदि ने लाहौर फिल्म इंडस्ट्री को गति दी। गुलाम हैदर, खुर्शीद अनवर, प्राण, नूरजहां, कामिनी कौशल, मोती लाल, पृथ्वीराज कपूर, मोहम्मद रफी, शमशाद बेगम, बी आर चोपड़ा, यश चोपड़ा, बलराज साहनी, नासिर खान आदि अनेक प्रतिभाओं का लाहौर से संबंध रहा है। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद जैसी लोकप्रिय हीरो वहीं से आए।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ज्यादातर हीरो उत्तर पश्चिम भारत से आए हैं। केएल सहगल से लेकर रणबीर कपूर तक यह परंपरा कायम है। चूंकि आजादी के पहले लाहौर उत्तर भारत का प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्र था, इसलिए लिटरेचर, थिएटर और सिनेमा का भी केन्द्र बना। दरअसल, लाहौर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की विलुप्त कड़ी है। हिंदी फिल्मों के विकास में मुंबई, कोलकाता, लाहौर के त्रिकोण की बड़ी भूमिका रही है। इनमें से एक कोण लाहौर विलुप्त हो गया है।
-अजय ब्रह्मात्मज
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