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फिल्म रिव्यू : रहस्‍य को उलझाती ‘वजह तुम हो’ (2.5 स्‍टार)

इस रहस्य कथा को दिखाने और सुनाने का तरीका नया चुनने का प्रयास हुआ है। कहानी में ताजगी है, लेकिन कसाव नहीं है। इसमें आधुनिक तकनीक, उच्च महत्वाकांक्षा, धन और सस्पेंस का प्रपंच है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Fri, 16 Dec 2016 02:17 PM (IST)Updated: Fri, 16 Dec 2016 04:03 PM (IST)
फिल्म रिव्यू  : रहस्‍य को उलझाती ‘वजह तुम हो’ (2.5 स्‍टार)

स्मिता श्रीवास्तव

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प्रमुख कलाकार- सना खान, गुरमीत चौधरी, शरमन जोशी, रजनीश दुग्गल
निर्देशक- विशाल पांड्या
स्टार- ढाई

सस्पेंस, थ्रिलर, रोमांस, सेक्स के मसालों का इस्तेंमाल करती ‘वजह तुम हो’ क्राइम थ्रिलर है। आम फिल्मों में मर्डर करके उसे छुपाने का प्रयास होता है। निर्देशक विशाल पांड्या ने इसमें टीवी चैनल को हैक करके उस पर लाइव मर्डर दिखाया है। हैकिंग की प्रक्रिया को संक्षेप में बताने का भी प्रयास हुआ है। विशाल इससे पहले ‘हेट स्टोरी 2’ और ‘हेट स्टोरी 3’ जैसी सफल फिल्में दे चुके हैं। उनकी फिल्मों में अंतरंग दृश्य के हॉट सीन अनिवार्य होते हैं। ‘वजह तुम हो’ में उसकी ढेरों वजह दे दी गई हैं।

कहानी का आरंभ एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी के मर्डर से होता है। उसके मर्डर को टीवी चैनल हैक कर के लाइव दिखाया जाता है। शक की सुई टीवी चैनल मालिक राहुल ओबराय की ओर घूमती है। वह अय़याश इंसान है। अपनी लीगल टीम की प्रमुख सिया को भी अपने जाल में फंसाने की कोशिश करता है। सिया उसे आईना दिखाने लगती है। पुलिस मामले की तफतीश करती है। कुछ और परतें खुलती हैं। राहुल के दोस्त और पूर्व पाटर्नर करण पर संदेह की सुई टिकती है। कयास गलत साबित होते हैं। उसका भी लाइव मर्डर दिखाया जाता है। लेखक निर्देशक ने सस्पेंस रचा है। शक की सुई बार-बार अलग किरदारों पर जाती है।

इस रहस्य कथा को दिखाने और सुनाने का तरीका नया चुनने का प्रयास हुआ है। कहानी में ताजगी है, लेकिन कसाव नहीं है। कई जगह हिंदी फिल्मों के प्रचलित घिटे पिटे डायलाग का उपयोग अखरता है। इस थ्रिलर में आधुनिक तकनीक, उच्च महत्वाकांक्षा, धन और सस्पेंस का प्रपंच है। लेखक निर्देशक ने इस प्रपंच के लिए देसी विदेशी लोकेशन का इस्तेमाल किया है। कैमरामैन ने लोकेशन का सुंदर उपयोग किया है। अंतरंग दृश्यों में अंगों का प्रदर्शन अश्लील न लगे यह बचाने की कोशिश हुई है।

हिंदी फिल्मों की नायिका भी अब अबला नहीं रही है। वह सोसाइटी में अपना ओहदा रखती है। तेरतर्रार वकील सिया की भूमिका में सना खान हैं। कोर्ट में उन्हें जिरह करने का महज एक सीन मिला है। बतौर लीड एक्टर उनकी यह पहली फिल्म है। निर्देशक ने उन्हें प्रतिभा के साथ अंगप्रदर्शन, चुंबन और आलिंगन के भरपूर अवसर दिए हैं। शरमन ईमानदार पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं। उन्हों ने स्क्रिप्ट के दायरे में उम्दा करने का प्रयास किया है। हिमांशु मल्होत्रा ने छोटी सी भूमिका में प्रभाव छोड़ने का भरसक प्रयास किया है। गुरमीत की यह दूसरी फिल्म है। उनमें ठहराव है। रजनीश दुग्गल कहीं-कहीं नाटकीय लगे हैं। फिल्म में चार पुराने गानों का रीमिक्स है। फिल्म के आइटम सांग का फिल्मांकन प्रभावशाली नहीं है। जरीन खान डांस में निराश करती हैं।

अवधि- 136 मिनट


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