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फिल्‍म रिव्‍यू: शराफत गई तेल लेने ( 3 स्‍टार)

महानगरीय जीवन की अपनी संभावनाएं, समस्याएं और चुनौतियां हैं। वहां रह रहे युवा अपने-अपने तरीकों से जिंदगी में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं। कुछ शांत और संयमित तरीका अपनाते हैं तो कई सफलता की शॉर्ट कर्ट राह पकड़ते हैं। मुंबई, दिल्ली जैसे जगहों पर उन प्रयासों को हवा देने

By Monika SharmaEdited By: Published: Fri, 16 Jan 2015 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jan 2015 12:37 PM (IST)
फिल्‍म रिव्‍यू: शराफत गई तेल लेने ( 3 स्‍टार)

अमित कर्ण

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प्रमुख कलाकार: जाएद खान, रणविजय सिंह और टीना देसाई।
निर्देशक: गुरमीत सिंह
संगीतकार: ध्रुव ढल्ला, संदीप चटर्जी, मीत ब्रदर्स, अक्षय रहेजा और फरीदकोट बैंड।
स्टार: तीन

फिल्म रिव्यू: क्रेजी कुक्कड़ फैमिली (3 स्टार)

महानगरीय जीवन की अपनी संभावनाएं, समस्याएं और चुनौतियां हैं। वहां रह रहे युवा अपने-अपने तरीकों से जिंदगी में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं। कुछ शांत और संयमित तरीका अपनाते हैं तो कई सफलता की शॉर्ट कर्ट राह पकड़ते हैं। मुंबई, दिल्ली जैसे जगहों पर उन प्रयासों को हवा देने वाले प्रलोभनों की भी कमी नहीं होती। उनसे बचना या उनके जाल में फंसना व्यक्ति विशेष के विवेक पर निर्भर करता है। गुरमीत सिंह और राजेश चावला ने मिलकर फिल्म की चुस्त पटकथा गढ़ी है।

फिल्म दक्षिणी दिल्ली में सेट है। कहानी का नायक पृथ्वी खुराना अपने दोस्त सैम के संग रहता है। पृथ्वी ईमानदारी से कमाने में यकीन रखता है, जबकि सैम नाम और दाम हासिल करने की जंग में सब प्रयास जायज मानता है। उसका स्पष्ट कहना है, जिंदगी में नतीजे की परवाह होनी चाहिए, तरीके की नहीं। लाइफ और टी-20 मैच में पैसे और रन कहीं से बरसे कोई फर्क नहीं पड़ता। बहरहाल दोनों की समान समस्या तंगहाल जिंदगी है। वे अच्छी जिंदगी जीने को लालायित हैं, पर पैसों की किल्लत के चलते वैसा नहीं हो रहा। ऐसे में अचानक एक दिन पृथ्वी के बैंक खाते में 100 करोड़ रुपए जमा हो जाते हैं। बैंक मैनेजर थडानी अपनी सेक्रेटरी के साथ खुद उसके घर पहुंचता है। वह पृथ्वी का शुक्रिया अदा करता है, लेकिन उसके बाद से पृथ्वी की मुश्किलों का सफर शुरू हो जाता है। उसे अंडरवल्र्ड से उन पैसों को कहीं और जमा कराने के धमकी भरे कॉल आने लगते हैं। बदले में उसे कमीशन देने की बात होती है। सैम की संगत में डरपोक पृथ्वी के जमीर की अग्निपरीक्षा प्रारंभ हो जाती है। उसमें लव, पर्सनल और पेशेवर तीनों जिंदगियों के तार उलझ कर रह जाते हैं। मुसीबत में उसकी प्रेमिका पत्रकार मेघा उसका साथ देती है। फिर क्या होता है, यह फिल्म उसके बारे में है।
फिल्म की कहानी प्यारी है। वह गुदगुदाते हुए कई बातें कह जाती है। संवाद चुटीले और किरदारों की परिस्थितियां रोचक बन पड़ी हैं। एकसूत्रीय कहानी कहीं बोझिल नहीं लगती। वह सहज और स्वाभाविक गति से आगे बढ़ती है। फिल्म में मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त मल्टीनेशनल बैंकों का स्याह चेहरा भी दिखाया गया है। साथ ही आज की तारीख में दोस्ती और प्यार के बनते-बिगड़ते मायनों की पड़ताल भी।

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पृथ्वी खुराना के रोल को जाएद खान को जीवंत बनाया है। उन्होंने एक सरल, सहज और डरपोक पृथ्वी की भूमिका को जस्टिफाई किया है। उस पर अपनी शारीरिक कद-काठी हावी नहीं होने दी। स्वच्छंद, बेपरवाह और दिलफेंक सैम के तौर पर रणविजय सिंह जंचे हैं। मेघा की अपने प्रेमी के प्रति असुरक्षा लेकिन समय पडऩे पर साथ देने की उसकी समझदारी को टीना देसाई ने बखूबी पोट्रे किया है। थडानी के अवतार में अनुपम खेर अलग अंदाज में हैं। निर्देशक गुरमीत सिंह ने कलाकारों की न्यूनतम खेप व लोकेशन की सीमाओं के बावजूद फिल्म का स्केल कहीं से छोटा या दोयम दर्जे सरीखा नहीं होने दिया है। गाने भी उन्होंने जरूरत भर रखे हैं। फिल्म की खोज विदेशी कलाकार टालिया बेंस्टन हैं।
अवधि: 128 मिनट

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