फिल्म रिव्यू: स्थानीय टच की बिहारी फिल्म 'वन्स अपॉन ए टाइम इन बिहार' (3 स्टार)
नितिन चंद्रा ने चार साल पहले भोजपुरी में ‘देसवा’ फिल्म बनाई थी। इस फिल्म को कायदे की रिलीज नहीं मिल पाई थी। भोजपुरी फिल्मों के वितरण में संलग्न कुछ स्वार्थियों ने इस फिल्म को सिनमाघरों में प्रवेश ही नहीं करने दिया। दर्शकों को फिल्म से और फिल्म से दर्शकों को
अजय ब्रह्मात्मज
प्रमुख कलाकारः आशीष विद्यार्थी, क्रांति प्रकाश झा, अजय कुमार, आरती पुरी, पंकज झा
निर्देशकः नितिन चंद्रा
स्टारः 3
नितिन चंद्रा ने चार साल पहले भोजपुरी में ‘देसवा’ फिल्म बनाई थी। इस फिल्म को कायदे की रिलीज नहीं मिल पाई थी। भोजपुरी फिल्मों के वितरण में संलग्न कुछ स्वार्थियों ने इस फिल्म को सिनमाघरों में प्रवेश ही नहीं करने दिया। दर्शकों को फिल्म से और फिल्म से दर्शकों को वंचित रखा। ‘देसवा’ भोजपुरी में बनी एक शिष्ट फिल्म थी। साथ ही यह अपने निकट अतीत और वर्तमान की बातें करती हैं। भाषा और लोक परंपरा के नाम पर यह भदेस और फूहड़ नहीं हुई है, अभिनय के स्तर पर भी यह फिल्म अन्य भाषाओं की फिल्मों के समकक्ष है।
निर्देशक नितिन चंद्रा और निर्माता नीतू चंद्रा के इस महत्वपूर्ण प्रयास की सराहना की जानी चाहिए। भोजपुरी सिनेमा के बाजार ने उदारता नहीं दिखाई और ‘देसवा’ को जगह नहीं दी।
‘देसवा’ को ही नितिन चंद्रा ने हिंदी में डब कर ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन बिहार’ के नाम से प्रदर्शित किया है। यह मूल ‘देसवा’ का भाषांतरण है। चूंकि यह फिल्म भोजपुरी की आम फिल्मों की तरह भदेस और फूहड़ नहीं है, इसलिए सुधी दर्शक इसे देख सकते हें। ‘देसवा’ अभी के रूप में हिंदी में बनी प्रादेशिक फिल्म है। इसमें बिहार अपनी विडंबनाओं और विसंगतियों के साथ मौजूद है। भविष्य में हिंदी फिल्मों की एक धारा ऐसी हो सकती है, जो कंटेंट और प्रस्तुति में स्थानीय टच रखें। वे अपने लक्ष्य दर्शकों के बीच पसंद की जाएं। उम्मीद है कि ‘देसवा’ से वंचित रहे दर्शक ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन बिहार’ देख सकेगे।
abrahmatmaj@mbi.jagran.com