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फ़िल्म समीक्षा: चटपटा,मसालेदार, मनोरंजन 'मुबारकां' ( साढ़े तीन स्टार)

कुल मिलाकर मुबारकां एक मनोरंजक मसाला फ़िल्म है। जो आपको कभी गुदगुदाएगी, ठहाके लगवायेगी और कहीं-कहीं आपको भावुक भी कर देगी।

By Hirendra JEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 11:31 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jul 2017 09:26 PM (IST)
फ़िल्म समीक्षा: चटपटा,मसालेदार, मनोरंजन 'मुबारकां' ( साढ़े तीन स्टार)
फ़िल्म समीक्षा: चटपटा,मसालेदार, मनोरंजन 'मुबारकां' ( साढ़े तीन स्टार)

 - पराग छापेकर

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मुख्य कलाकार: अनिल कपूर, अर्जुन कपूर, इलियाना डी क्रूज़, अथिया शेट्टी, नेहा शर्मा आदि।

निर्देशक: अनीस बज़्मी

निर्माता: सिने वन स्टूडियो

स्टार: साढ़े तीन स्टार

कमर्शियल सिनेमा के हर एक आयाम अलग होते हैं। उसका स्क्रीनप्ले कैसा होगा, उसका बैकग्राउंड म्युज़िक कैसा होगा, शॉर्ट डिविज़न क्या होगा, प्रोडक्शन कैसा होगा यह सब गणित अलग ही होते हैं। अतार्किक को पूरे कन्विक्शन के साथ तार्किक बनाने का माद्दा कमर्शियल सिनेमा में होता है। अनीस बज़्मी ने अपनी फ़िल्म मुबारकां में इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।

मुबारकां कहानी है चरण और करण इन जुड़वा भाइयों की, जो अपने माता-पिता के बचपन में ही मृत्यु हो जाने के कारण अपने मामा और बुआ के यहां पल कर बड़े हुए हैं। एक लंदन में तो दूसरा पंजाब में। करण और चरण अलग-अलग लड़कियों से प्यार करने लगते हैं। मगर अपने घर वालों से कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाते और परिस्तिथियां कुछ ऐसी बनती हैं कि चरण को करण की और करण को चरण की प्रेमिका से सगाई करनी पड़ जाती है। ऐसे में उनका चाचा यानी अनिल कपूर उनकी मदद को आगे आता है। मगर वो हर चाल उल्टी चलता है। ऐसे में कैसा हास्य पैदा होगा आप समझ सकते हैं।

फ़िल्म की पूरी जिम्मेदारी डायरेक्टर अनीस बज़्मी ने बखूबी निभाई है। वो खुद लेखक भी हैं तो कई सारी चीज़ों को बेहतरीन तरीके से तार्किक बना देते हैं। फ़िल्म का प्रोडक्शन बहुत ही ग्रैंड तरीके से किया गया है। साथ ही फ़िल्म का संगीत भी काफी अच्छा है।

अभिनय की बात करें तो पवन मल्होत्रा, रत्ना पाठक, अनिल कपूर जैसे मंझे हुए कलाकारों को देखते ही बनता है। अर्जुन ने अपनी डबल रोल की जवाबदेही भली-भांति उठायी है। इलियाना डी क्रूज़, नेहा शर्मा और अथिया भी अपने किरदारों में जंची हैं। कुल मिलाकर मुबारकां एक मनोरंजक मसाला फ़िल्म है। जो आपको कभी गुदगुदाएगी, ठहाके लगवायेगी और कहीं-कहीं आपको भावुक भी कर देगी।

कमर्शियल फ़िल्मों की तमाम मजबूरियों के बावजूद अनीस बज़्मी ने एक मनोरंजक फ़िल्म बनाई है। मैं इस फ़िल्म को 5 में से 3.5 स्टार देता हूं।


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