Move to Jagran APP

फिल्म रिव्यू : महानगरीय माया 'मोह माया मनी' (3 स्‍टार)

‘मोह माया मनी’ संबंधों की जटिलता में उलझे रिश्तों में बढ़ रही अनैतिकता के शिकार और कामयाबी की फिक्र में कमजोर हो रहे किरदारों की कहानी है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Thu, 24 Nov 2016 05:46 PM (IST)Updated: Fri, 25 Nov 2016 09:49 AM (IST)
फिल्म रिव्यू : महानगरीय माया 'मोह माया मनी' (3 स्‍टार)

अजय ब्रह्मात्मज

loksabha election banner

प्रमुख कलाकार- नेहा धूपिया, रणवीर शौरी
निर्देशक- मुनीष भारद्वाज
स्टार- तीन

मुनीष भारद्वाज ने महानगरीय समाज के एक युवा दंपति अमन और दिव्या को केंद्र में रख कर पारिवारिक और सामाजिक विसंगतियों को जाहिर किया है। अमन और दिव्या दिल्ली में रहते हैं। दिव्या के पास चैनल की अच्छी् नौकरी है। वह जिम्मेदार पद पर है। अमन रियल एस्टेट एजेंट है। वह कमीशन और उलटफेर के धंधे में लिप्त है। उसे जल्दी से जल्दी अमीर होना है। दोनों अपनी जिंदगियों में व्यस्त हैंं। शादी के बाद उनके पास एक-दूसरे के लिए समय नहीं है। समय के साथ मुश्किलें और जटिलताएं बढ़ती हैं। अमन दुष्चक्र में फंसता है और अपने अपराध में दिव्या को भी शामिल कर लेता है। देखें तो दोनों साथ रहने के बावजूद एक-दूसरे से अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। महानगरीय परिवारों में ऐसे संबंध दिखाई पड़ने लगे हैं। कई बार वे शादी के कुछ सालों में ही तलाक में बदल जाते हैं या फिर विद्रूप तरीके से किसी कारण या स्वार्थ की वजह से चलते रहते हैं।

मुनीष भारद्वाज ने वर्तमान उपभोक्ता समाज के दो महात्वाकांक्षी व्यक्तियों की एक सामान्य कहानी ली है। उन्होंने नए प्रसंग और परिस्थिति में इस कहानी को रचा है। अतिरिक्तत और अधिक की लालसा में अनेक व्यक्ति और परिवार बिखर रहे हैं। अगर समृद्धि और विकास के प्रयास में ईमानदारी नहीं है तो उसके दुष्प्रभाव जाहिर होते हैं। ‘मोह माया मनी’ संबंधों की जटिलता में उलझे रिश्तों में बढ़ रही अनैतिकता के शिकार और कामयाबी की फिक्र में कमजोर हो रहे किरदारों की कहानी है। लेखक-निर्देशक मुनीष भारद्वाज और लेखन में उनकी सहयोगी मानषी निर्मजा जैन ने पटकथा में पेंच रखे हैं। उन्होंने उसके हिसाब से शिल्प चुना है। शुरू में वह अखरता है, लेकिन बाद में वह कहानी का प्रभाव बढ़ाता है। मुनीष किसी भी दृश्य के बेवजह विस्तार में नहीं गए हैं। फिल्म का एक किरदार दिल्ली भी है। मुनीष ने दिल्ली शहर का प्रतीकात्मक इस्तेमाल किया है। मशहूर ठिकानों पर गए बगैर वे दिल्ली का माहौल ले आते हैं। सहयोगी कलाकारों के चुनाव और उनके बोलने के लहजे से दिल्ली की खासियत मुखर होती है।

सहयोगी कलाकारों में विदुषी मेहरा, अश्वत्थ भट्ट, देवेन्दर चौहान और अनंत राणा का अभिनय उल्लेखनीय है। रणवीर शौरी इस मिजाज के किरदार पहले भी निभा चुके हैं। इस बार थोड़ा अलग आयाम और विस्तार है। उन्होंंने किरदार की निराशा और ललक को अच्छी तरह व्यक्त किया है। कुछ नाटकीय दृश्यों में उनकी सहजता प्रभावित करती है। नेहा धूपिया ने दिव्या के किरदार को समझा और आत्मसात किया है। फिल्म के क्लाइमेक्स में पश्चाताप में आधुनिक औरत की टूटन और विवशता को अच्छी तरह जाहिर करती हैं। ‘मोह माया मनी’ चुस्त फिल्म है। घटनाक्रम तेजी से घटते हैं और गति बनी रहती है।

अवधि- 108 मिनट

abrahmatmaj@mbi.jagran.com


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.