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फ़िल्म समीक्षा: 'जब हैरी मेट सेजल' यानी संवेदनाओं से भरी एक लव स्टोरी (तीन स्टार)

पूरी फ़िल्म में अपनी पकड़ बनाये रखने वाले इम्तियाज़ ने क्लाइमेक्स में अपनी फ़िल्मी लिबर्टी ले ली...

By Hirendra JEdited By: Published: Fri, 04 Aug 2017 02:01 PM (IST)Updated: Fri, 04 Aug 2017 10:05 PM (IST)
फ़िल्म समीक्षा: 'जब हैरी मेट सेजल' यानी संवेदनाओं से भरी एक लव स्टोरी (तीन स्टार)
फ़िल्म समीक्षा: 'जब हैरी मेट सेजल' यानी संवेदनाओं से भरी एक लव स्टोरी (तीन स्टार)

-पराग छापेकर

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मुख्य कलाकार: शाह रुख़ ख़ान, अनुष्का शर्मा आदि।

निर्देशक: इम्तियाज़ अली

निर्माता: रेड चिली एंटरटेनमेंट

स्टार: तीन स्टार

सेजल अपने परिवार के साथ यूरोप की यात्रा पर है जहां उनके गाइड हैं हैरी यानि शाह रुख़ ख़ान। इन सबको विदा करके हैरी जब अपने कार में वापस बैठता है तो देखता है सामने सेजल है जिसकी सगाई की अंगूठी खो गयी है और उसे ढूंढना ज़रूरी है। हैरी बेमन से सेजल के साथ जाने के लिए मजबूर हो जाता है और इसके बाद क्या होता है यही कहानी है 'जब हैरी मेट सजल' की।

अमूमन रोमांटिक फ़िल्मों का कथानक दर्शकों के सामने स्पष्ट ही होता है कि हीरो और हीरोइन अंततः मिलेंगे ही! हैप्पी इंडिंग भले ही हमारी ज़िंदगी में न हो फ़िल्मों नें देखने की आदत हमलोगों को है ही। ऐसे में एक निर्देशक की रचनात्मकता होती है कि वो अपने दर्शकों को कैसे बांध कर रखे। इस प्रयास में इम्तियाज़ अली काफी हद तक सफल भी रहे हैं। अंगूठी एक मेटाफर की तरह इस्तेमाल की गयी है। अमूमन हम सभी जिंदगी में किसी न किसी तलाश में रहते हैं। किसी की तलाश पूरी हो जाती है तो किसी की नहीं। मगर जब तक वो मंजिल समझ नहीं आती कि आखिर तलाश क्या है तब तक एक बेचनी बनी रहती है! अधूरापन लगता रहता है।

इस फ़िल्म में शाह रुख़ ख़ान जैसे सुपरस्टार हैं, अनुष्का शर्मा जैसी स्टार है लेकिन, जब फ़िल्म देखने जाएं तो ये बिल्कुल दिमाग में न रखें कि आप स्टार की फ़िल्म देखने जा रहे हैं। ये इम्तियाज़ अली की फ़िल्म है जो सुपरस्टार्स  को भी एक कलाकार की तरह ट्रीट करते हैं, सुपरस्टार की तरह नहीं। उनका हीरो अति-मानवीय होता है। मुश्किलों से भाग भी जाता है, मगर उसकी संवेदनाएं किसी सुपरहीरो से बड़ी होती हैं।

क्यों देखें: शाह रुख़ ख़ान के बेहतरीन रोमांटिक फॉर्म के लिए और अनुष्का शर्मा के लाजवाब अभिनय के लिए। यूरोप की खूबसूरत यात्रा कराती फ़िल्म आप में प्रेम का एक अलग अहसास जगाती है।

क्यों न देखें: जिनके दिमाग में शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म यानी भव्य, सुपरमैन की तरह का नायक और बड़े-बड़े सेट्स हैं वो इस फ़िल्म से शायद खुद को जोड़ न पाएं। पूरी फ़िल्म में अपनी पकड़ बनाये रखने वाले इम्तियाज़ ने क्लाइमेक्स में अपनी फ़िल्मी लिबर्टी ले ली, जो कुछ छूट गया का अहसास कराती है।

वर्डिक्ट: कुल मिलाकर 'जब हैरी मेट सजल' एक मनोरंजक फ़िल्म है जो आपको एक मैच्योर प्रेम का आयाम समझाती है। शाह रुख़-अनुष्का की केमिस्ट्री शानदार है। संगीत अच्छा है। सिनेमेटोग्राफी कमाल की है। इन सबके बावजूद ये ज़रूर दिमाग में रखें कि ये शाह रुख़ ख़ान की नहीं बल्कि इम्तियाज़ अली की फ़िल्म है। मैं इस फ़िल्म को देता हूं 5 में से 3 स्टार।

अवधि: 2 घंटे 24 मिनट


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