फिल्म रिव्यू: द गैलोज (1 स्टार)
15 साल पहले ब्लेयर विच प्रोजेक्ट सामने आया था। इसने हॉलीवुड को एक आइडिया भी गिफ्ट किया जिसमें फुटेज हॉरर की बात की गई। मगर बाद में दिक्कत यह हो गई कि निर्माता एक ही तरीके से फिल्म बनाने लगे। बजाए इसके कि कुछ अच्छी कहानियां भी लिखी जाए। बस
प्रमुख कलाकार: रीज मिशलर, फीफर ब्राउन, रायन शूस, कासिडी जिफोर्ड
निर्देशक: ट्राविस क्लफ, क्रिस लोफिंग
स्टार: 1
15 साल पहले ब्लेयर विच प्रोजेक्ट सामने आया था। इसने हॉलीवुड को एक आइडिया भी गिफ्ट किया जिसमें फुटेज हॉरर की बात की गई। मगर बाद में दिक्कत यह हो गई कि निर्माता एक ही तरीके से फिल्म बनाने लगे। बजाए इसके कि कुछ अच्छी कहानियां भी लिखी जाए। बस फिल्म की शुरूआत कर देते हैं। बाद में बजट का मुद्दा आ जाता है। ऐसे फुटेज हॉरर एक विकल्प के तौर पर नजर आने लगता है। मेकर्स को लगता है कि यह कमाल की सोच है। सभी को लगता है कि लोगों को डरना पसंद है। इसलिए कैसी भी फिल्में बना लो, फायदे का सौदा है। दस सालों से यही होता आ रहा है।
इस हफ्ते रिलीज हुई हॉरर फिल्म 'द गैलोज' में भी ऐसा ही कुछ किया गया है। यह भी एक सस्ते तरीके से बनाई गई फिल्म है।
ऐसा लगता है मानो हैंडी कैम से शूट की गई है। मगर अफसोस की बात है इस फिल्म में डर जैसा कुछ भी नहीं है। फिल्म स्कूल के लड़कों के समूह पर आधारित है। ये लड़के स्कूल के परिसर में बने नाटक के सेट को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं। इस बीच उन्हें शैतानी आत्मा से परेशान होना पड़ता है।
फिल्म में दो डायरेक्टर्स हैं। यह आपको सीन देखने पर लगता भी है। ऐसा लगता है मानो अपने अपने सीन को दर्शाने के लिए लोग लड़ रहे हो। इस बीच में हॉरर कहीं छूट गया सा लगता है। ऐसा लगता है कि यह फिल्म हॉरर फिल्मों का नाम खराब कर रही है। कुछ ही समय में फिल्म आपको हॉल से बाहर निकलने के लिए मजबूर कर देती है।