फ़िल्म समीक्षा: उलझे रिश्तों के ताने-बाने पर बुनी गयी है 'शब' (डेढ़ स्टार)
ये रिश्ते कैसे आगे बढ़ते है इसमें क्या-क्या पेचिदगियां आती हैं, इसी ताने-बाने पर बुनी गयी है 'शब' की ये कहानी!
- पराग छापेकर
मुख्य कलाकार: रवीना टंडन, आशीष बिष्ट, अर्पिता चटर्जी आदि।
निर्देशक: ओनिर
निर्माता: संजय सूरी/ ओनिर
फ़िल्म डायरेक्टर ओनिर जाने जाते है जीवन के उलझे हुए रिश्तों की कहानियों के लिए। खास तौर पर सेक्सुअल संबंधों को लेकर जीवन में जो कठिनाइयां पैदा होती है उसकी पेचदगी को ओनिर अब तक अपनी फिल्मों में कहते आये है। तक़रीबन वैसा ही विषय उन्होंने चुना है शब के लिए। एक छोटे से गांव से मोहन दिल्ली में मॉडल बनने आता है मगर कॉम्पिटिशन में वो सफल नहीं हो पाता। लेकिन, यहां पर सोनल मोदी यानि रवीना टंडन उसकी ओर आकर्षित होती है। सोनल अपने असफल शादी में खुश नहीं है इसीलिए वो इस तरह के साथी ढूंढा करती है। मोहन अब सोनल के साथ है जो उसकी सारी ज़रूरतें पूरी करती है। अब मोहन रायना नाम की लड़की के प्यार में पड़ जाता है जो एक होटल में वेट्रेस है। होटल का मालिक नील उसका दोस्त है मगर वो गे है। रायना अपने फ्रेंच पड़ोसी की तरफ़ आकर्षित होती है और वो भी गे निकलता है। रायना उसे और नील को मिला देती है। ये रिश्ते कैसे आगे बढ़ते है इसमें क्या-क्या पेचिदगियां आती हैं, इसी ताने-बाने पर बुनी गयी है 'शब' की ये कहानी!
क्यों देखें: रवीना टंडन और अर्पिता चटर्जी के परफोर्मेंस और सिनेमेटोग्राफी और मिथुन के संगीत के लिए।
क्यों न देखें: फ़िल्म निर्देशकों के लिए ही बनाई गयी है। स्लो स्क्रीनप्ले और जरुरत से ज्यादा उलझी कहानी आप को बोर कर सकते हैं। ढेर सारे ट्रेक्स ओनिर खोल देते है उसमें दर्शक कंफ्यूज हो जाता है कि आखिर चल क्या रहा है? पेस एंड रीदम का फिल्म में अभाव है जिससे फिल्म का ग्राफ एक जैसा ग्रो नहीं करता।
परफॉर्मेंस: रवीना टंडन का परफॉर्मेंस लाजवाब है। अर्पिता भी अपने किरदार में खरी उतरती हैं।
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वर्डिक्ट: मैं इस फ़िल्म को देता हूं 5 में से 1.5 स्टार। अगर आपको डार्क फ़िल्म्स पसंद हो तो ठीक वर्ना आप इस फ़िल्म को स्किप भी कर सकते हैं।
अवधि: 108 मिनट