Move to Jagran APP

फिल्‍म रिव्‍यू: लड्डू खाकर पछतावा 'लाली की शादी में लड्डू दीवाना'

अक्षरा हसन में खूबसूरत लगी हैं, पर अदायगी पर उन्हें अतिरिक्‍त रियाज की सख्‍त जरूरत है। हैरानगी सौरभ शुक्‍ला से हुई है। पियक्‍कड़ पिता की भूमिका के साथ वे न्‍याय नहीं कर पाए हैं।

By मनोज वशिष्ठEdited By: Published: Fri, 07 Apr 2017 12:55 PM (IST)Updated: Fri, 07 Apr 2017 01:09 PM (IST)
फिल्‍म रिव्‍यू: लड्डू खाकर पछतावा 'लाली की शादी में लड्डू दीवाना'
फिल्‍म रिव्‍यू: लड्डू खाकर पछतावा 'लाली की शादी में लड्डू दीवाना'

-अमित कर्ण

loksabha election banner

कलाकार: विवान शाह, अक्षरा हासन, गुरमीत चौधरी, रवि किशन, संजय मिश्रा, सौरभ शुक्ला आदि।

निर्देशक: मनीष हरिशंकर

निर्माता: टीपी अग्रवाल

स्टार: **1/2 (ढाई स्टार)

आज की तारीख में प्यार को मुकम्मल अंजाम तक पहुंचाने की राहों में ढेरों चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी तो यही कि अरमान पूरे करने की खातिर कोई भी तरीका अख्तियार करने की प्रवृत्ति। यह युवाओं को रिश्‍तों की अहमियत समझने से रोकती है। निर्देशक मनीष हरिशंकर ‘लाली की शादी में लड्डू दीवाना’ की मूलभूत कोशिश इस पहलू की बहुपरतीय पड़ताल करने की थी। उन्‍हें इस प्रयास में विफलता हाथ लगी है। वे न अपने गुरू राजकुमार संतोषी की हल्‍की-फुल्‍की फिल्‍मों की विरासत को आगे बढा पाए न डेविड धवन सी माइंडलेस पर यकीनी कॉमेडी दे सके। साथ ही इस पर गुजरे दशकों में आई फिल्‍मों की छाप दिखती है।

मसलन, लड्डू (विवान शाह) और लाली (अक्षरा हसन) जिस तरीके से अपने ख्‍वाबों को पूरा करना चाहते हैं, वह ‘अंदाज अपना अपना’ में जाहिर हो चुका है। नायक-नायिका एक-दूसरे को अमीर समझ प्रेम की पींगे बढाते हैं। असलियत जबकि कुछ और है। यहां लड्डू व लाली के साथ वही होता है। फिर भी वे आगे बढ़ते हैं। किस्मत साथ देती है बॉस मंदीप सिंह (रवि किशन) के चलते लड्डू अच्छा कमाने लगता है। लाली से सगाई कर लेता है। यहां उनकी जिंदगी अहम मोड़ पर उनका स्वागत कर रही है। लाली प्रेग्‍नेंट हो जाती है, पर करियर में काफी कुछ करने के इरादे से लड्डू फिलवक्त शादी करने से मना करता है। बिन ब्याही मां वाला प्‍लॉट ‘क्या कहना’ में था।

खैर, लड्डू के पिता (दर्शन जरीवाला) बिफर पड़ते हैं। लड्डू को अपनी जिंदगी से बेदखल कर लाली को अपनी बेटी मान लेते हैं। लाली की शादी कहीं और करने लगते हैं। एक हद तक ऐसा ‘हम हैं राही प्यार के’ में दिखा था, जहां बाप की भूमिका में अनुपम खेर अपनी ही बेटी को घर छोड़ पसंद के लड़के से शादी करने को कहता है। बहरहाल, लाली की जिंदगी के इस मोड़ पर वीर कुंवर सिंह (गुरमीत चौधरी) की एंट्री होती है। वह गर्भवती लड़की से भी शादी करने को राजी है। लाली का ख्‍याल उसी तरह रखता है, जैसा अजय देवगन के किरदार ने ‘हम दिल दे चुके सनम’ में ऐश्‍वर्या राय बच्चन का रखा था। उधर, लाली के बाप (सौरभ शुक्‍ला) लड्डू को गोद ले चुके हैं। वे प्रायश्चित करने के इरादे से आए लड्डू को फिर से लाली से मिलवाना चाहते हैं। एक ड्रामा रचा जाता है। इस काम में लड्डू के मार्गदर्शक कबीर भाई (संजय मिश्रा) पूरा साथ देते हैं।

फिल्‍म में कलाकारों की फौज है। लड्डू व लाली की मांओं की भूमिका खानापूर्ति सी है। संजय मिश्रा अपने हाजिरजवाब अंदाज से कबीर भाई को दिलचस्प बना गए हैं। दर्शन जरीवाला ‘अजब प्यार की गजब कहानी’ वाले शिव शंकर शर्मा से भोले पर अपनी औलाद के प्रति खासे चिंतित वालिद लगे हैं। अक्षरा हसन में खूबसूरत लगी हैं, पर अदायगी पर उन्हें अतिरिक्‍त रियाज की सख्‍त जरूरत है। हैरानगी सौरभ शुक्‍ला से हुई है। पियक्‍कड़ पिता की भूमिका के साथ वे न्‍याय नहीं कर पाए हैं।

रही-सही कसर उन सबको मिले कमजोर संवादों ने पूरी कर दी है। यह उनके अब तक के करियर की सबसे कमजोर परफॉरमेंस कही जाएगी। बॉस मंदीप सिंह के रोल में रवि किशन का कैमियो है। विवान शाह और गुरमीत चौधरी भी बेअसर हैं। इन सबके बीच गीत-संगीत ने अपनी मौजूदगी दर्ज की है। हालांकि जरूरत से ज्यादा गानों ने फिल्‍म की गति बाधित ही की है। ऊपर से मनीष हरिशंकर को उम्‍दा एडीटर का साथ भी नहीं मिला है। नतीजतन यह फिल्‍म कम सीरियल का एहसास ज्यादा देती है।

अवधि: 138 मिनट 48 सेकंड 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.