फिल्म रिव्यू : ब्रोकन हॉर्सेस (2 स्टार)
यदि आपने परिंदा फिल्म देखी है तो आपको इस फिल्म में भी यह अंदाजा लगने लगता है कि आगे क्या होगा।
प्रमुख कलाकार: विंसेंट डी'ओनोफ्रियो, एंटोन येल्चिन, क्रिस मारकैट, मारिया वैल्वर्ड और सीन पैट्रिक फ्लैनरी
निर्देशक: विधु विनोद चोपड़ा
संगीतकार: जॉन डेबनी
स्टार: 2
वैसे इस बात के अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं कि कितना कठिन है बॉलीवुड से हॉलीवुड की ओर जाना। शेखर कपूर ही एक अपवाद रहे हैं जिन्होंने हॉलीवुड फिल्म 'एलिजाबेथ' बनाई और इसे सराहना भी मिली। उनके अलावा कोई भी इस रेखा को पार नहीं कर पाया है। 'ब्रोकन हॉसेस' के माध्यम से फिल्ममेकर विधु विनोद चोपड़ा ने एक बोल्ड अटैंप्ट लिया था मगर दुर्भाग्यवश यह फेल होता दिखाई देता है।
ब्रोकन हॉर्सेस वर्ष 1989 में आई क्लासिक फिल्म 'परिंदा' की रीमेक है। इसे चोपड़ा ने अपने साथी अभिजीत जोशी के साथ हॉलीवुड की पृष्ठभूमि पर फिर से लिखा है। यह फिल्म नए मैक्सिको की पृष्ठभूमि पर आधारित है। फिल्म को बिलकुल वैसा ही ट्रीट किया गया है जैसा मूल फिल्म में था बस तरीका जो है वो वेस्टर्न फिल्मों जैसा है।
नाना पाटेकर का किरदार निभाया है विंसेंट डी ओन्फोरियो ने जो कि एक गैंगस्टर है। युवा लड़कों को बहला-फुसला के अपने आर्गनाइजेशन में जोड़ना उसका काम है। जैकी श्रॉफ का रोल निभाया है क्रिस मारक्यूट्टे ने। इस फिल्म में एक बडी नाम के किरदार को रखा गया है जो कि मानसिक रूप से अक्षम है।
उसने अपने पिता की मौत अपनी आंखों के सामने देखी है इसलिए बड़ा होने के बाद भी उसका व्यवहार बच्चे जैसा है। अनिल कपूर का किरदार निभाया है एंटोन येलचिन ने जिनका नाम है जैकब।
यदि आपने परिंदा फिल्म देखी है तो आपको इस फिल्म को देखने के दौरान यह अंदाजा लगना शुरू हो जाएगा कि आगे क्या होने वाला है। फिल्म 'ब्रोकन हॉर्सेस' में इसके प्लॉट को बनाए रखा गया है। जैकब और बडी सालों बाद मिले हैं।
बाद में दोनों ही तय करते हैं कि अब गैंग छोड़ देंगे। इस बात से जूलियस खुश नहीं है। फिल्म में जैकब खुद को और अपने भाई को इस दलदल से निकालने की कोशिशों में लग जाता है। फिल्म में कुछ रोचक बातें भी है। जैसे जूलियस का बडी के मानसिक तौर पर अक्षम होने का फायदा उठाना।
बडी को कुछ करने के लिए उकसाना। मूल फिल्म में कुछ बातें जो बहुत ही अच्छी थी उन्हें इस फिल्म में अपडेट नहीं किया गया। इसका नतीजा यह है कि जब आप फिल्म देखते हैं तो आपको लगता है कि इसमें बड़ा लॉजिकल गैप है।
फिल्म की धीमी गति इसमें किसी तरह की मदद नहीं करती बल्कि और कमियों को उजागर कर देती है। फिल्म में कई पहलूओं को उठाने की बात हुई मगर बाद में उसे छोड़ दिया गया। जूलियस का किरदार भी फिल्म में सही तरीके से बाहर नहीं लाया गया।
मसलन आप फिल्म में अंत तक नहीं जान पाएंगे कि आखिर जैकब और उसके पिता को गोली मारी किसने थी। जूलियस के मन में बडी को लेकर ऐसी भावना क्यों थी। वो उन्हें गैंग क्यों नहीं छोड़ने देना चाहता। कुछ भी अंत में निकलकर सामने नहीं आता।
यदि आप 'परिंदा' के फैन हो तो आपके दिल को थोड़ी निराशा हो सकती हैं।