फिल्म रिव्यू : बेयरफुट टू गोवा (1 स्टार)
कई बार अच्छा विषय होने के बाद भी फिल्म अच्छी नहीं बन पाती क्योंकि एक्सीक्यूशन कमजोर होता है। इस फिल्म में ऐसा ही है।
फैमेली ड्रामा
डायरेक्टर - प्रवीण मोर्छल्ले
कास्ट - कुलदीप सिंह, सोनी चौरसिया, फारुख जफर
'बेयरफुट टू गोवा' उन फिल्मों में से है जो पब्लिक फंडिंग से बनती है। इसके कारण डायरेक्टर पर अतिरिक्त रूप से यह दबाव होता है कि फिल्म अच्छी बनाए। मगर दुखद रुप से इस फिल्म में ऐसा होता दिखाई नहीं देता। फिल्म का इशारा बिलकुल सही है। मुद्दा भी सही उठाया गया है कि किस तरह से बूढ़े मां-बाप को उनके बच्चों के द्वारा बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ता है। मगर इसका एक्सीक्यूशन ठीक नहीं है।
मगर डायरेक्टर प्रवीण मोर्छल्ले की तारीफ इस बात के लिए तो होना चाहिए कि उन्होंने इस टॉपिक पर फिल्म बनाने का प्रयास किया। आमतौर पर ऐसा कोई करता नहीं है। कारण कि इसमें मनोरंजन की गुंजाइश कम होने के साथ ही बहुत कुछ लिखने और कहने के लिए नहीं होता है। बहरहाल यह फिल्म है एक नौजवान और उसकी बहन की। जो मुंबई से गोआ की ओर सफर कर रहे हैं। उन्हें पता चलता है कि उनकी दादी मां को देखभाल की जरूरत है।
फिल्म के न्यूनतम बजट होने के चलते डायरेक्टर ने बहुत ज्यादा लक्झरी तरीके से तो फिल्म नहीं बनाई है मगर इससे भी ज्यादा बुरी बात यह है कि इस फिल्म में स्क्रिप्ट से लेकर फिल्मिंग तक के मामले में किसी तरह के विजन का प्रयोग नहीं किया गया है। हिलता हुआ कैमरा और कहानी कहने का बचकाना तरीका और कमजोर स्क्रिप्ट के चलते फिल्म बोर करने लगती है।
बच्चों ने अच्छा काम किया है उन्हें जो भी काम दिया गया था मगर यही बात उनके लिए नहीं कही जा सकती जिन्होंने इन बच्चों के पैरेंट्स का किरदार निभाया है। फारुख जफर जिन्होंने फिल्म में दादी मां का किरदार निभाया है, एक मात्र फेक्टर है जिसे फिल्म में देखा जाए। बाकी तो फिल्म निराश ही करती है।किसी भी फिल्म का रिव्यू पढ़ने के लिए क्लिक करें