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खुद को डांसर ही मानता हूं: प्रभुदेवा

पहले कोरियोग्राफर, फिर डांस गुरु, उसके बाद अभिनेता और अंत में फिल्म निर्देशक बने प्रभुदेवा तमिल और तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में धूम मचाने के बाद अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी जलवा दिखा रहे हैं। चाहे वे विज्ञापन फिल्में हों या फिर फीचर, प्रभुदेवा उनको लेकर चर्चा में हैं

By Edited By: Published: Fri, 28 Jun 2013 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2013 12:10 PM (IST)
खुद को डांसर ही मानता हूं: प्रभुदेवा

मुबंई। पहले कोरियोग्राफर, फिर डांस गुरु, उसके बाद अभिनेता और अंत में फिल्म निर्देशक बने प्रभुदेवा तमिल और तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में धूम मचाने के बाद अब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी जलवा बिखेर रहे हैं। चाहे वे विज्ञापन फिल्में हों या फिर फीचर, प्रभुदेवा उनको लेकर चर्चा में हैं। इन दिनों उनकी खुशी की वजह है गिरीश कुमार और श्रुति हासन अभिनीत फिल्म 'रमैया वस्तावैया'। उनसे बातचीत..।

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गिरीश की लॉन्चिंग वाली फिल्म निर्देशित करने की खास वजह?

-कुमार तोरानी को मैं बहुत पहले से जानता हूं। उनके साथ गिरीश को लेकर कई बार पहले भी बातचीत हुई थी, लेकिन तब गिरीश तैयार नहीं थे। मैंने गिरीश को ऐक्टिंग के साथ ही बेहतर डांस की ट्रेनिंग के लिए एक टीचर हायर करवाया। कई महीनों तक गिरीश मेरी गाइडेंस में डांस की ट्रेनिंग लेते रहे। जब मुझे लगा कि अब उन्हें लॉन्च करने का समय आ गया है, तो मैंने कुमार सर को यह बात बता दी। गिरीश को लॉन्च करने की एक और वजह थी कि मैंने हिंदी में अभी तक किसी भी नॉन स्टारर फिल्म का निर्देशन नहीं किया था। मेरे लिए अपने आपमें एक चैलेंज था यह।

लेकिन पिछले कुछ दिनों बड़े निर्माताओं के पुत्रों को स्थापित करने की निर्देशकों की कोशिशें नाकामयाब हुई हैं। डर नहीं लगा?

-डर क्यों लगेगा? मुझे मेरी बनाई फिल्म पर तो कॉन्फिडेंस होना ही चाहिए। गिरीश कुमार को लेकर मन में कभी शंका नहीं रही। अगर अब तक मैंने सलमान खान या अक्षय कुमार के साथ काम किया है तो जरूरी नहीं है कि आगे भी मैं बड़े सितारों के साथ ही काम करूंगा। मुझे जो भी कहानी अच्छी लगेगी और प्रोडक्शन के हिसाब से कारगर लगेगी, मैं उस पर काम करूंगा।

'रमैया वस्तावैया' क्या है?

-यह एक खालिस प्रेम कहानी है, जिसमें एक एनआरआई लड़के को एक गांव की लड़की से प्यार हो जाता है। इस प्यार में अड़चनें बहुत आती हैं क्योंकि लड़की अपने से ज्यादा अपने संबंधियों के लिए जीती है और उन्हें ही प्राथमिकता देती है। लड़की के भाई का किरदार सोनू सूद निभा रहे हैं जो यह मानने को तैयार नहीं है कि उनसे अधिक कोई उनकी बहन को प्यार कर सकता है।

अपनी ही फिल्म की रीमेक फिर हिंदी में बनाने में बोरियत नहीं हुई?

-बोरियत तो नहीं हुई, बल्कि एक किस्म का उत्साह था। हिंदी सिनेमा में फिल्म भले ही रीमेक होती हो, लेकिन उसका समीकरण बदल जाता है। मैंने भी इस फिल्म की पूरी स्टारकास्ट और लोकेशंस बिल्कुल नए रखे हैं। पहले हम सोच रहे थे कि हमें जैसा गांव दिखाना है, वैसा गांव अब होगा ही नहीं, लेकिन एक दोस्त के साथ हम लोग पुणे के आगे निकल रहे थे तो एकखूबसूरत जगह दिखी। वहीं हमने गांव क्रिएट किया। इस तरह हमने गांव में अपना स्टार्ट टू फिनिश शेड्यूल पूरा किया।

निर्देशन की व्यस्तता में अभिनय और डांस पीछे तो नहीं छूट रहा है?

-मैं अभी भी अपने आप को एक बेहतर डांसर ही मानता हूं। अगर मैं डांसिंग की दुनिया में इतना चर्चित नहीं होता तो शायद निर्देशन तक नहीं पहुंच पाता। हां, इतना जरूर है कि इन दिनों मैं अपने निर्देशन के प्रोजेक्ट्स में व्यस्त हूं। जल्द ही 'रैंबो राजकुमार' को भी लोग पर्दे पर देखेंगे, लेकिन मैंने डांस की प्रैक्टिस कम नहीं की है। 'एबीसीडी' में तो लोगों ने मेरा अभिनय देखा ही है।

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