रिश्तों को लेकर अब लोग आजाद हैं - कंगना रनोट
‘क्वीन’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ से कंगना रनोट ने बनाई है अपनी अलग पोजिशन। रानी, दत्तो, तनु जैसी यादगार भूमिकाएं देने के बाद ‘कट्टी बट्टी’ में वे आ रही हैं पायल के मजबूत किरदार में। फिल्म व निजी जीवन के अनुभव उन्होंने साझा किए अमित कर्ण के साथ
‘क्वीन’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ से कंगना रनोट ने बनाई है अपनी अलग पोजिशन। रानी, दत्तो, तनु जैसी यादगार भूमिकाएं देने के बाद ‘कट्टी बट्टी’ में वे आ रही हैं पायल के मजबूत किरदार में। फिल्म व निजी जीवन के अनुभव उन्होंने साझा किए अमित कर्ण के साथ...
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बचपन में हम खेलते समय कट्टी-बट्टी करते थे न, मेरी नई फिल्म का शीर्षक उसी संदर्भ में है। कहानी लाइटर नोट पर ही है। प्यार में पड़े दो लोगों के बीच कभी हां कभी न वाला रिश्ता होता है। कभी प्यार तो कभी तकरार। पायल और निखिल वैसे ही दो आजादखयाल युवा हैं। दोनों काफी समय तक रिलेशनशिप में रहते हैं और फिर अलग होने का फैसला लेते हैं। इस तरह बिखराव के बाद प्यार बच पाता है कि नहीं? बिखराव की वजहें क्या हैं? लिव-इन की क्या खामियां हैं? उसकी गहन पड़ताल भी है फिल्म में। जीवन की भावना देखने को मिलेगी। एक हादसे से कैसे जिंदगी बदल जाती है, वह दिखाया गया है। फिल्म के हर आधे घंटे में दर्शक अलग राय बनाएंगे। पायल के तौर पर मैंने अब तक का सबसे मजबूत किरदार निभाया है। उसके बाद ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ में दत्तो का। यह दोनों मजबूत किरदार है।
रिश्तों के आड़े आता साहस
मुझे इस तरह की रिश्तों की समझ नहीं है। रिश्तों को लेकर मेरा अनुमान है कि पहले बंदिशें ज्यादा थीं। अब लोग आजाद हैं। खुद के फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं। यह अतिरिक्त आजादी कई बार रिश्तों को मुश्किल में ला देती है। मेरी मां कहती थी कि शादी के बाद वे लोगों के सामने पापा को आंख मिलाकर देख नहीं सकती थीं। अब तो लड़का-लड़की एक-दूसरे से मिलते हैं और बातचीत होती है। बावजूद इसके वे आपसी उलझन सुलझा नहीं पाते। आज हर किसी को स्वतंत्रता चाहिए। लड़कों को साहसी लड़कियां पसंद आती हैं। यही साहस एक दिन रिश्तों के आड़े आ जाता है। इस तरह की समस्या रिश्ते झेल रहे हैं। लड़की ज्यादा काबिल हो तो लड़कों का अहम रिश्ते में आ जाता है। शादी में अक्सर लड़कियां रिश्तों को संभालने की कोशिश करती हैं। लड़की तरक्की करने के बाद लड़के को नहीं छोड़ेगी। पर लड़के ऐसे हालात में खुद को असहज महसूस करेंगे।
बच्चों में लोकप्रिय दत्तो
मेरे ख्याल से दत्तो पर फिल्म बननी चाहिए। मुझे आज भी खत आते हैं। वह बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है। हर किरदार को निभाने का अलग तरीका होता है। किरदार पढ़ते समय हाव-भाव को ध्यान में रखती हूं। मैैं अपनी हर फिल्म में यही फंडा अपनाती हूं। यह मेरा खुद का एजेंडा है। आप इसे कहीं पर भी लागू कर सकते हैं। दत्तो को ही देख लें। वो थोड़ी शर्मीली है, मगर बॉय कट हेयर स्टाइल रखती है। इसी तरह से किरदार के लुक और डायलॉग से हाव-भाव का पता किया जा सकता है। किसी भी किरदार को निभाने का यह बेहतरीन तरीका है। फिल्म में दत्तो का किरदार अनोखा था। मैं फिल्म के अंत से सहमत हूं। तनु जैसी लड़की कई रिश्तों में रहना पसंद करती है। यह हकीकत है।
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समझनी होगी रिश्तों की जरूरत
‘कट्टी-बट्टी’ में हमने सोशल मीडिया की भी खबर ली है। आज की पीढ़ी सोशल मीडिया से ज्यादा जुड़ गई है। परिवार के लोगों से जुड़ाव कम हो गया है। आज लोगों के पास समय नहीं है। हर एक बात की जानकारी सोशल हो गई है। खुद को समझते नहीं हैं। पहले लोग एक-दूसरे से बात करते थे। एक-दूसरे की पसंद जानते थे। स्वभाव जानते थे। अब काफी बदलाव हो गया है। केवल एक-दूसरे के बारे में जानकारी पढ़ लेते हैं। किसी के पास समय नहीं है। सोशल मीडिया पर प्यार ज्यादा दिखता है। वास्तविकता में नहीं। मशीन का युग है। इंसान को मशीन ने बदला है। एक ऐसी मशीन आ गई है, जो आपका दिमाग पढ़ सकती है। मैं 80 के दशक में पैदा हुई थी। मेरे दादा जी को एक फोन मिला था। हम फोन को देख काफी उत्साहित रहते थे। हमारे लिए फोन अनोखी चीज थी। साल 2000 में मोबाइल फोन आया। आज कोई मोबाइल के बिना नहीं रह सकता। तेजी से वक्त बदल रहा है। इंसान को मशीन की आदत हो गई है। प्यार में भी यही हाल है। मेरे समय में स्कूल में किसी लड़के को पसंद करते तो बात हमारे तक ही रहती थी। अगर उस समय व्हाट्सएप्प होता तो सबको यह बात पता चल जाती। मेरे घर में खाना खाते समय फोन पर पाबंदी है। मैंने यह नियम बनाया है। रिश्तों की जरूरत समझनी होगी। आने वाली पीढ़ी को भी यह समझना होगा। वरना कम्यूनिकेशन का ओवरडोज इमोशन की महत्ता कम कर देता है।’
मेरे अंदर डर नहीं
मैं अपनी मर्जी के फैसले इसलिए कर पाती हूं, क्योंकि मेरे अंदर डर नहीं है। वजह ग्लैमर जगत में मेरा सफर और मुझे मिली सफलता है। मुझे बचपन से ही डर नहीं रहा है। मुझे जिस चीज के लिए मना किया जाता, मैं वही करती। हालांकि अपनी पहचान बनाने के लिए समझदारी जरूरी है। भावना में कतई न बहें। नुकसान वाली चीजों से दूर रहें। किसी की धमकी से डरे नहीं। सोच-विचार कर फैसले लें। पहले फिल्म ब्रेक के समय मुझे काफी तकलीफ झेलनी पड़ी। अब मैं तकलीफ देने वाले लोगों से दूर रहती हूं। कुछ एजेंसियों को उनके अंदाज में जवाब दिया है, क्योंकि आज मैं उनकी प्रतिक्रिया झेलने में सक्षम हूं। नए लोग प्रैक्टिकली ही चलें तो बेहतर है।