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मैंने संघर्ष का कभी रोना नहीं रोया - रितिक रोशन

रितिक रोशन की फिल्म ‘बैंग-बैंग’ पिछले साल रिलीज हुई थी। इस साल वह अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ की शूटिंग में व्यस्त हैं। यह फिल्म अगले साल रिलीज होगी। इस फिल्म के चलते रितिक ने कोई और फिल्म साइन नहीं की थी। हालांकि जल्द ही वह नई फिल्मों की आधिकारिक

By Monika SharmaEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2015 11:28 AM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2015 12:10 PM (IST)
मैंने संघर्ष का कभी रोना नहीं रोया - रितिक रोशन

रितिक रोशन की फिल्म ‘बैंग-बैंग’ पिछले साल रिलीज हुई थी। इस साल वह अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘मोहनजो दाड़ो’ की शूटिंग में व्यस्त हैं। यह फिल्म अगले साल रिलीज होगी। इस फिल्म के चलते रितिक ने कोई और फिल्म साइन नहीं की थी। हालांकि जल्द ही वह नई फिल्मों की आधिकारिक घोषणा करेंगे। इन दिनों वो डिस्कवरी चैनल के शो ‘हीरोज’ की मेजबानी भी कर रहे हैं। रियल हीरोज की कहानी को बयां करने वाला यह धारावाहिक नौ कड़ियों का है। उनसे बातचीत में स्मिता श्रीवास्तव ने जाना हार को हराने का फलसफा..

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हर रोल चुनौतीपूर्ण रहा
‘जोधा अकबर’ के बाद आशुतोष गोवारिकर के साथ रितिक रोशन दोबारा काम कर रहे हैं। आशुतोष के बारे में वे कहते हैं, ‘आशुतोष का विजन स्पष्ट होता है। वो पीरियड फिल्म बनाने में महारथी हैं। फिल्म को बनने में वक्त जरूर ज्यादा लग रहा है लेकिन हम बेहतरीन फिल्म बना रहे हैं। पीरियड फिल्म में काम करने को मैं चैलेंजिंग नहीं मानता हूं। मेरे हिसाब से एक्टर का हर रोल चुनौतीपूर्ण होता है। अगर उसमें चैलेंज नहीं होगा तो वो रोमांचकारी नहीं होगा। मैंने जितनी मेहनत ‘कृष’, ‘बैंग-बैंग’ के लिए की, उतनी ही पीरियड फिल्म ‘जोधा-अकबर’ में की और अब ‘मोहनजो दाड़ो’ के लिए भी कर रहा हूं। पीरियड फिल्म के सेट बहुत भव्य होते हैं। हाल में हमने गुजरात के भुज में शूटिंग का एक शेड्यूल पूरा किया। वहां पचास डिग्री तापमान में शूटिंग करना सबसे बड़ा चैलेंज था।’

हार एक भ्रम है
रितिक को व्यक्तिगत स्तर पर हकलाने, पीठ दर्द और तलाक जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ा है। जीवन में एक मोड़ ऐसा भी आया, जब डॉक्टरों ने कहा कि घुटनों की समस्या के चलते वो चलने-फिरने में समर्थ नहीं होंगे। रितिक ने इसे गलत साबित कर दिखाया। वो हार को भ्रम मानते हैं और कहते हैं, ‘मैं खुद को हमेशा उत्साहित रखता हूं। खुद को हतोत्साहित करने का मुझे कारण समझ नहीं आता। हम हमेशा समस्या का रोना रोते हैं। उसके कारणों की पड़ताल नहीं करते। हालात जो भी रहे हों, बस आपका फोकस सही होना चाहिए। अगर आप आस-पास की प्रेरणात्मक चीजों को देखते रहें, तो प्रोत्साहन वहीं से मिल जाएगा। फिर इसे कहीं और तलाशने की जरूरत नहीं होगी। बस अपना डर निकालने की जरूरत है। जिंदगी से कभी हार मत मानिए। मैंने भी संघर्ष किया है लेकिन उसका रोना कभी नहीं रोया। मेरा मानना है कि खुद को प्रोत्साहित करने के लिए जिन संसाधनों की आपको जरूरत है, वह खुद आपमें हैं। मैं मानता हूं कि यह मुश्किल है लेकिन मैंने इसकी प्रैक्टिस की है।’

रियल हीरोज के मुरीद
अपने जीवन के विभिन्न चरणों में हर इंसान किसी न किसी चीज से भयभीत रहता है। रितिक भी इसका अपवाद नहीं रहे। अपने सबसे बड़े भय के संदर्भ में वे बताते हैं, ‘हर इंसान खुद की भावनाओं को जाहिर करने से डरता है। मुझे डर लगता है कि अगर मैं असफल हुआ तो दुनिया का मेरे प्रति क्या नजरिया होगा? वो कहेगी आप अच्छे नहीं हैं। उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। अगर आपमें कोई कमी हो तो खुद को असामान्य महसूस करते हैं। आस-पास के लोग भी आपकी कमी का अहसास कराने में पीछे नहीं रहते। ऐसे में सामान्य जीवन जीना बहुत कठिन होता है। यह डर विवेक की कमी से और बढ़ता है। ऐसे में दिल और दिमाग को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। मैं डिस्कवरी चैनल पर दिखाए जाने वाले रियल हीरोज का मुरीद हूं। अगर वे हार जाते तो हमारे उदाहरण नहीं बन पाते।’

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खुद का करें मूल्यांकन
‘खुद की योग्यताओं को क्रॉस चेक करने का सही तरीका क्या होता है?’ के सवाल पर रितिक कहते हैं, ‘संक्षेप में कहें तो अगर आप तनाव में हैं, संतुष्टि कम है, चिंता और भय ज्यादा है तो इसका अर्थ है कि आपको वाकई फैसला लेने की जरूरत है। यह फैसला आपके आगे की राह प्रशस्त करेगा। सबसे पहले ठंडे दिमाग से सोच-विचार करें। चीजों की बेहतरी के लिए बदलाव पर जोर दें। हताशा और निराशा से उबरने की सबसे सहज प्रक्रिया यही है। जब आप सोचने-समझने की स्थिति में होंगे तभी अपना सही मूल्यांकन कर पाएंगे।’

प्रेरणा है जरूरी
जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए किसी हीरो से प्रेरणा लेने को रितिक बेहद आवश्यक मानते हैं। वे कहते हैं, ‘हमारे समक्ष उपस्थित उदाहरण असंभव को संभव करने की प्रेरणा देते हैं। जब आप खुद ही डर या आशंका से घिरे रहते हैं तो उम्मीद की किरण कम नजर आती है। जब कोई मिसाल सामने आती है तो आपको अहसास होता है कि जिंदगी कितने इम्तेहान लेती है। अगर आप उस इम्तेहान में पास हो जाते हैं तो आपकी पहचान भीड़ से अलग बनती है। लिहाजा जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रत्यक्ष उदाहरण बहुत जरूरी हैं।’

निडर बनने की जरूरत
‘हीरोज’ से जुड़ने केसंबंध में रितिक कहते हैं, ‘रोजाना हमें अखबार या टीवी चैनल से नकारात्मक खबरें मिलती हैं। मेरी भरसक कोशिश है कि मैं अपने बच्चों और आजकल के युवाओं के समक्ष ऐसे लोगों के उदाहरण प्रस्तुत करूं, जिन्होंने असंभव को संभव बनाया, ताकि उनमें भी वही जज्बा आए। वे जब बाहरी दुनिया में कदम रखें तो निडर, आत्मनिर्भर और समाज के लिए उपयोगी हों। वे देश को प्रगतिशील और खुशहाल बनाने में अपना योगदान दे सकें। इसमें दिखाई जाने वाली हर कहानी ने मुझे व्यक्तिगत स्तर पर प्रभावित किया है।’

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