'पैड मैन' के कलेक्शंस में दूसरे दिन ज़ोरदार उछाल, कमा लिये इतने करोड़
ये फ़िल्म बताती है कि मासिक धर्म को एक वर्जित विषय मानने की वजह से आधी आबादी को किस तरह अमानवीय दिक्कतों को सामना करना पड़ता है।
मुंबई। मासिक धर्म को लेकर सामाज में फैली भ्रांतियों पर ज़ोरदार चोट करने वाली अक्षय कुमार की फ़िल्म 'पैड मैन' दर्शकों के दिलों में जगह बना रही है और बॉक्स ऑफ़िस पर छा रही है। फ़िल्म ने रिलीज़ के दूसरे दिन बॉक्स ऑफ़िस पर 35 फ़ीसदी का उछाल लिया, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता की बानगी है।
'पैड मैन' 9 फरवरी को सिनेमाघरों में पहुंची। क्रिटिक्स के दिल पहले ही जीत चुकी 'पैड मैन' के लिए दर्शकों में भी उत्साह दिखा। फ़िल्म ने पहले दिन 10.26 करोड़ जमा कर लिये। दूसरे दिन यानि शनिवार को दर्शकों की तादाद में इजाफ़ा हुआ और फ़िल्म 13.68 करोड़ कलेक्शन करने में कामयाब रही। 'पैड मैन' दुनियाभर में 3350 स्क्रींस पर रिलीज़ की गयी है, जिसमें से 2750 स्क्रींस देश में ही हैं। आर बाल्की निर्देशित 'पैड मैन' को अक्षय कुमार की अब तक सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंसेज में से एक माना जा रहा है। ये फ़िल्म तमिलनाडु के अरुणाचलम मुरुगनंथम से प्रेरित है, जिन्होंने सस्ती क़ीमत में सैनिटरी पैड बनाने की विधि और मशीन का आविष्कार किया था। हालांकि 'पैड मैन' की कहानी और किरदार मध्य प्रदेश में स्थापित कर दिये गये हैं। फ़िल्म में अक्षय की पत्नी के किरदार में राधिका आप्टे हैं, जबकि सोनम कपूर मेहमान भूमिका में हैं।
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'पैड मैन' एक साहसी फ़िल्म है, जो ऐसे मुद्दे पर पूरी संजीदगी और ज़िम्मेदारी के साथ बात करती है, जिसे सिर्फ़ इसलिए तवज्जो नहीं दी जाती, क्योंकि इसे वर्जित विषयों की सूची में सबसे ऊपर डाल दिया गया है। जागरूकता के अभाव में ख़ुद महिलाएं मासिक धर्म या माहवारी को अपवित्र मानकर इसके बारे में चर्चा करने से बचती रही हैं। स्त्रियों के स्वास्थ्य से सीधा संबंध होने के बावजूद इस पर बात करना ज़रूरी नहीं समझा जाता। 'पैड मैन' सोच को शर्म और झिझक की बेड़ियों से आज़ाद करती है।
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ये फ़िल्म बताती है कि मासिक धर्म को एक वर्जित विषय मानने की वजह से आधी आबादी को किस तरह अमानवीय दिक्कतों को सामना करना पड़ता है। फ़िल्म की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि महिलाओं से जुड़े इस ज़रूरी मुद्दे के बारे में समाज की सोच बदलने का पुरोधा एक पुरुष बनता है।