'कहीं वह रात आप की आखिरी रात हो तो आप मुस्कराती मिलें'
उम्र और करियर की लंबी पारी पूरी कर जोहरा सहगल गुरुवार को 102 की उम्र में चिरनिद्रा में सो गईं।
मुंबई (अजय ब्रह्मात्मज)। उम्र और करियर की लंबी पारी पूरी कर जोहरा सहगल गुरुवार को 102 की उम्र में चिरनिद्रा में सो गईं। उनके साथ काम कर चुके एक फिल्मकार ने बताया, 'वह कहा करती थीं कि सोते समय होठों पर मुस्कान होनी चाहिए। कहीं वह रात आप की आखिरी रात हो तो आप मुस्कराती मिलें।' आखिरकार जोहरा सहगत की भी आखिरी रात आ ही गई। बुधवार की रात जोहरा सहगल की जिंदगी की आखिरी रात साबित हुई।
हिंदी फिल्मों की सबसे उम्रदराज अभिनेत्री जोहरा सहगल ने 1946 में चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' से करियर की शुरुआत की। फिल्मों में आने से पहले वह उदय शंकर की नृत्य मंडली की प्रमुख नर्तकी और अल्मोड़ा स्थित उदय शंकर के सांस्कृतिक केंद्र में शिक्षिका भी रहीं। 1945 में उन्होंने इप्टा (इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन) की सदस्यता ली और लंबे समय तक इप्टा की सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं। उनकी अंतिम बहुचर्चित फिल्म 'चीनी कम' थी, जिसमें अमिताभ बच्चन ने उनके साथ काम किया था।
हालांकि भारत सरकार ने जोहरा सहगल को पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया, लेकिन उनकी आखिरी मांग को दिल्ली सरकार ने पूरा नहीं किया। वह अपनी बेटी किरण के साथ पहली मंजिल के फ्लैट में रहती थीं। स्वास्थ्य संबंधी कारणों से उन्होंने ग्र्राउंड फ्लोर के फ्लैट की मांग की थी, जो आश्वासनों के बावजूद उन्हें नहीं दिया जा सका। जोहरा सहगल के साथ काम कर चुके सभी कलाकार उनकी जवांदिली की तारीफ करते हैं। उनका प्रिय गीत भी था 'अभी तो मैं जवान हूं।' 2007 में आई 'सांवरिया' उनकी अंतिम फिल्म थी। उसके बाद सेहत ठीक नहीं रहने की वजह से उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था। अंतिम दिनों में वह दिल्ली ही रहीं।
हिंदी फिल्मों में 61 सालों की लंबी पारी शायद ही किसी ने पूरी की हो। 1946 से 2007 तक में उन्होंने देश-विदेश की फिल्मों में काम किया। उनके चेहरे की मुस्कान और आंखों की चमक साथी कलाकारों को खुश कर देती थी।