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Exclusive: विनोद खन्ना की आखिरी फ़िल्म का कुछ ऐसा रहा था सफर, आप भी सुनकर कहेंगे- बेमिसाल

विनोद साहब ने कभी ऐसा एहसास नहीं होने दिया कि वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे हैं। पिछली दीवाली में जब विनोद ने एक दिन डबिंग के दौरान खूब खांसना शुरू किया तो..

By Hirendra JEdited By: Published: Fri, 28 Apr 2017 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 28 Apr 2017 09:55 AM (IST)
Exclusive: विनोद खन्ना की आखिरी फ़िल्म का कुछ ऐसा रहा था सफर, आप भी सुनकर कहेंगे- बेमिसाल
Exclusive: विनोद खन्ना की आखिरी फ़िल्म का कुछ ऐसा रहा था सफर, आप भी सुनकर कहेंगे- बेमिसाल

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। यह संयोग है कि विनोद खन्ना ने हेमा मालिनी के साथ कई फ़िल्मों में अभिनय किया। अधिकतर फ़िल्मों में उन्होंने हेमा मालिनी के पति का ही किरदार निभाया। उनकी आखिरी फ़िल्म 'एक थी रानी ऐसी भी' में विनोद खन्ना राजमाता यानि हेमा के पति के किरदार में ही थे। इस फ़िल्म से विनोद खन्ना के जुड़ने की कहानी भी दिलचस्प रही।

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फ़िल्म के निर्देशक गुल बहार सिंह ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत के दौरान बताया कि विनोद खन्ना के पास वह इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट 2009 में लेकर गये थे। फ़िल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद उन्होंने आश्वस्त किया कि वह फ़िल्म का हिस्सा बनेंगे। बाद में उन्हें जब जानकारी मिली कि हेमा मालिनी यह किरदार निभा रही हैं तो उन्हें और खुशी हुई। 2009 में फ़िल्म की शूटिंग शुरू भी हुई। फ़िल्म की शूटिंग जयपुर में भी की गयी थी। विनोद इस बात से उत्साहित रहते थे कि वह फिर से किसी ऐसी फ़िल्म का हिस्सा बन रहे हैं।

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एक खास दृश्य का जिक्र करते हुए गुल बताते हैं कि एक सीन में उन्हें परदे के पीछे छुप कर राजमाता ( हेमा मालिनी) का फूलों से स्वागत करना था, यह सीन उन्होंने हेमा जी के साथ मिल कर बहुत खुशी से फिल्माया था। फ़िल्म की शूटिंग के दौरान हेमा और विनोद पुराने दौर को भी खूब याद करते थे। गुल बताते हैं कि सेट पर एक बार उन्होंने मेकअप लगाया तो बस वह फिर पूरी तरह से कैरेक्टर में! फिर सिर्फ वह अपने संवाद पर ही काम करते थे। विनोद साहब ने कभी भी बेमन से एक भी सीन शूट नहीं किया था। उनके घर पर भी जब भी हम जाते, वह इधर-उधर की ही बातें करते थे। फ़िल्मों के बारे में नहीं। फ़िल्मी दुनिया के बारे में नहीं। खास बात यह थी कि चाहे जो भी हो वह लिफ्ट तक छोड़ कर ही अंदर जाते थे। यह उनका बड़प्पन था कि वह हम जैसे नये लोगों को भी इतनी इज्जत देते थे।

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गुल ने विनोद के बारे में एक और खास बात गौर की थी। वह यह थी कि वह देखते थे कि जयपुर में भी उनके फैन्स अगर उनसे मिलने आये हैं तो वह उठ कर हाथ जोड़ कर उनका अभिनंदन कर देते थे। कुछ ऐसा ही उनकी फ़िल्म की डबिंग के बाद भी हुआ था। मुंबई के एक स्टूडियो से जब वह डबिंग करके निकल रहे थे, वह अपनी गाड़ी में ही थे तभी लोगों का हुजूम आया। मैंने देखा, उन्होंने गाड़ी रोकी, शीशा गिराया और सबसे हाथ मिलाया। विनोद साहब को खुद से ड्राइव करने का भी काफी शौक था। वह सेट पर भी कई बार खुद गाड़ी चला कर आ जाते थे।

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गुल ने बताया कि विनोद साहब ने कभी ऐसा एहसास नहीं होने दिया कि वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे हैं। पिछली दीवाली में जब विनोद ने एक दिन डबिंग के दौरान खूब खांसना शुरू किया तो पता चला कि उनके गले में इंफेक्शन है और वो फिर भी काम करने को तैयार थे। लेकिन, हमने उन्हें आराम करने दिया। बाद में उनके जेहन में यह बात थी कि डबिंग अधूरी है और उन्होंने आखिरकार वक्त निकाल कर उसे पूरा किया। गुल ने जब विनोद को बताया कि फ़िल्म अब रिलीज होगी तो उन्होंने कहा भी था कि हम प्रमोशन करेंगे मिल कर। लेकिन, अफसोस ऐसे वक्त पर वे हमारे साथ नहीं थे।


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