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बर्थडे: निराश अमिताभ बच्चन को दिया रोटी, कपड़ा और मकान, जानिए मनोज कुमार की 5 दिलचस्प कहानियां

मनोज कुमार के तमाम राजनेताओं से भी गहरे संबंध रहे हैं। लाल बहादुर शास्त्री से लेकर इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तक उनके कद्रदान में शामिल रहे हैं।

By Hirendra JEdited By: Published: Mon, 24 Jul 2017 09:39 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2018 08:59 AM (IST)
बर्थडे: निराश अमिताभ बच्चन को दिया रोटी, कपड़ा और मकान, जानिए मनोज कुमार की 5 दिलचस्प कहानियां
बर्थडे: निराश अमिताभ बच्चन को दिया रोटी, कपड़ा और मकान, जानिए मनोज कुमार की 5 दिलचस्प कहानियां

मुंबई। देशभक्ति से लबरेज़ फ़िल्में बनाने के लिए मशहूर मनोज कुमार 81 साल के हो गए। 24 जुलाई1937 को एबटाबाद (अब पाकिस्तान) में जन्में मनोज कुमार ने अपनी सौम्य और सशक्त अभिनय शैली से एक अमिट पहचान बनायी। ज़्यादातर फ़िल्मों में उनके किरदार का नाम भारत था, इस वजह से लोग उन्हें 'भारत कुमार' भी कहने लगे। आइये जानते हैं इस देशप्रेमी एक्टर और फ़िल्ममेकर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें!

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दिलीप कुमार से प्रभावित होकर बदला नाम

हिंदी सिनेमा के लीजेंड बन चुके मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। कहते हैं कि स्कूल में पढ़ाई के दौरान एक दिन मनोज, दिलीप कुमार की फ़िल्म 'शबनम' देखने गए और फिर उनके किरदार से वो इतने प्रभावित हो गए कि उसी किरदार के नाम पर उन्होंने अपना नाम मनोज कुमार रख लिया।

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बंटवारे के बाद भारत आगमन

मनोज कुमार का परिवार भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाकिस्तान छोड़कर दिल्ली आ गया। उस समय मनोज कुमार की उम्र महज दस साल की थी और उनका परिवार दिल्ली में एक शरणार्थी के तौर पर रहने लगा। उनकी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में ही हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘हिंदू कॉलेज’ से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनोज ने फ़िल्म इंडस्ट्री में जाने का मन बना लिया।

फ़िल्मी सफ़र

मनोज कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म ‘फैशन’ के जरिए बॉलीवुड में अपना कदम रखा। इस फ़िल्म में उन्होंने एक भिखारी का बहुत छोटा सा रोल निभाया था। ‘कांच की गुड़िया’ (1960) में मनोज कुमार को पहली बार मुख्य भूमिका में लिया गया। इसके बाद तो मनोज कुमार के करियर की गाड़ी जैसे पूरी स्पीड से चल पड़ी। जिसके बाद उन्हें लगातार कई फ़िल्मों में देखा गया। 1960 के दशक में उनकी रोमांटिक फ़िल्मों में 'हरियाली और रास्ता’, ‘दो बदन’ के अलावा ‘हनीमून’, ‘अपना बना के देखो’, ‘नकली नवाब’, ‘पत्थर के सनम’, ‘साजन’, ‘सावन की घटा’ और इनके अलावा सामाजिक सरोकार से जुड़ी फ़िल्मों में- ‘अपने हुए पराये’, ‘पहचान’ ‘आदमी’, ‘शादी’, ‘गृहस्थी’ और ‘गुमनाम’, ‘वो कौन थी?’ आदि फ़िल्में शामिल थीं।

देश प्रेम का जगाया जज़्बा

मनोज कुमार ने देश प्रेम की भावनाओं को केंद्र में रख कर भी एक से बढ़कर एक फ़िल्में बनायीं। 'शहीद', 'उपकार', पूरब और पश्चिम' से शुरू हुआ उनका सफ़र 'क्रांति' तक लगातार जारी रहा। उनकी फ़िल्मों ने आम दर्शकों में देश प्रेम का ऐसा जज़्बा जगाया कि देशभक्ति को केंद्र में रखकर और भी फ़िल्मकार फ़िल्में बनाने लगे। मनोज कुमार की फ़िल्में देख कर आपको यक़ीनन भारत से प्यार हो जाएगा।

निराश अमिताभ बच्चन को दिया मौका

लगातार फ्लॉप होती फ़िल्मों से परेशान जब अमिताभ बच्चन मुंबई छोड़कर अपने मां-बाप के पास दिल्ली वापस जा रहे थे तब मनोज कुमार ने अमिताभ बच्चन को रोका और उन्हें अपनी फ़िल्म ''रोटी, कपड़ा और मकान' में मौका दिया। मनोज कुमार इस बाबत कहते भी हैं कि उन्हें तब भी मालुम था अमिताभ बहुत दूर तक जायेंगे!

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फ़िल्मों में उनके योगदान को देखते हुए मनोज कुमार को दादा साहब फाल्के, पद्मश्री, फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट जैसे अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। बता दें, कि मनोज कुमार के तमाम राजनेताओं से भी गहरे संबंध रहे हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से लेकर इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी तक उनके कद्रदानों में शामिल रहे हैं। 'रोटी कपड़ा और मकान' फ़िल्म तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर ही बनायी थी। उनके जन्मदिन पर हम उनके स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करते हैं। जागरण डॉट कॉम के तमाम पाठकों की तरफ से उन्हें जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं!


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