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मन्ना डे की पुण्यतिथि पर विशेष- 'तू सुर का सागर है...'

मन्‍ना डे ने पहली बार एकल गायक के रूप में उन्हें संगीतकार शंकर राव व्यास ने 'राम राज्य' (1943) फिल्म का गीत 'गई तू गई सीता सती' गाने का मौका दिया।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 10:37 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 10:47 AM (IST)
मन्ना डे की पुण्यतिथि पर विशेष- 'तू सुर का सागर है...'

नई दिल्ली। प्रबोध चंद्र डे उर्फ मन्ना डे की आज पुण्यतिथि है। मन्ना डे भले ही आज हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन अपने गानों के जरिए हमेशा वो हमारे जेहन में बने रहेंगे। मन्ना डे का जन्म 1 मई 1920 को कोलकाता में हुआ था। मन्ना डे के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे, लेकिन उनका मन तो शुरुआत से संगीत की ओर था। और वह इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते थे। अगर मन्ना पिता की बात मान लेते, तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक बेहतरीन गायक नहीं मिल पाता।

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मन्ना की मां का नाम महामाया और पिता का नाम पूर्णचंद्र डे था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा इंदु बाबुरपुर पाठशाला से ग्रहण करने के बाद विद्यासागर कॉलेज से स्नातक किया। वह कुश्ती और मुक्केबाजी की प्रतियोगिताओं में भी खूब भाग लेते थे।

मन्ना डे ने संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने चाचा के सी डे से हासिल की थी। शास्त्रीय गायन में पारंगत मन्ना की गायन शैली के लाखों प्रशंसक हैं। यही नहीं उनके समकालीन गायक मोहम्मद रफी और महेंद्र कपूर सहित उस समय के कई मशहूर गायक मन्ना डे के जबरदस्त प्रशंसक थे। ये लोग उन्हें प्यार से 'मन्ना दा' भी पुकारते थे।

मन्ना डे ने पहली बार एकल गायक के रूप में उन्हें संगीतकार शंकर राव व्यास ने 'राम राज्य' (1943) फिल्म का गीत 'गई तू गई सीता सती' गाने का मौका दिया। उन्होंने 'ओ प्रेम दीवानी संभल के चलना', 'ऐ दुनिया जरा, 'हाय ये है',' 'प्यार हुआ इकरार हुआ, 'ये रात भीगी भीगी' जैसे कई गीत गाए, लेकिन 1961 में आई फिल्म 'काबुली वाला' के गीत 'ऐ मेरे प्यारे वतन' ने मन्ना डे को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया।

मन्ना डे को उम्र बढ़ने के साथ कई बीमारियां परेशान करने लगी थी। मन्ना डे को सांस लेने में तकलीफ के साथ गुर्दे की बीमारी हो जाने के कारण बार-बार डायलिसिस की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। 23 अक्टूबर, 2013 को शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया। 24 अक्टूबर की सुबह 4.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।


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