छठे जागरण फिल्म फेस्टिवल का दिल्ली अध्याय पूरा, अब उप्र में मचेगी धूम
रविवार की रात को छठे जागरण फिल्म फेस्टिवल ने दिल्ली चैप्टर क्लोज कर लिया। वहां से उसने उत्तर प्रदेश की राह पकड़ी है। 10 जुलाई को उत्तर प्रदेश चैप्टर का आगाज लखनऊ और कानपुर से होगा। फिर वह इलाहाबाद, बनारस, आगरा, मेरठ व अन्य शहरों में जाएगा।
अमित कर्ण, नई दिल्ली। रविवार की रात को छठे जागरण फिल्म फेस्टिवल ने दिल्ली चैप्टर क्लोज कर लिया। वहां से उसने उत्तर प्रदेश की राह पकड़ी है। 10 जुलाई को उत्तर प्रदेश चैप्टर का आगाज लखनऊ और कानपुर से होगा। फिर वह इलाहाबाद, बनारस, आगरा, मेरठ व अन्य शहरों में जाएगा।
रविवार की रात फेस्टिवल की क्लोजिंग फिल्म 'कौन कितने पानी में' रही। उसकी स्क्रीनिंग पर फिल्म से जुड़े सभी प्रमुख लोग मौजूद रहे। उनमें गुलशन ग्रोवर, सौरभ शुक्ला, कुणाल कपूर के साथ निर्देशक नीला माधब पांडा थे। आखिरी दिन का आकर्षण प्रख्यात व प्रतिभावान रायटर जूही चतुर्वेदी व दिग्गज कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा की मौजूदगी थी।
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रविवार की सुबह मशहूर फिल्म बेला सेशा की स्क्रीनिंग हुई। बंगाल व एनआरआई बंगालियों को वह फिल्म बहुत प्रिय है। 'कौन कितने पानी में' की स्क्रीनिंग से पहले प्रतिभावान पीयूष मिश्रा ने अपने अंदाज व गायकी से लोगों का मन मोह लिया। पीयूष मिश्रा की इंटरनैशनल फिल्म 'द प्लेबैक सिंगर' की स्क्रीनिंग भी आखिरी दिन का आकर्षण रही।
उन्होंने कहा, 'मैं जागरण फिल्म फेस्टिवल का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं। उसके चलते मैं मुंबई के बाहर निकल पाता हूं। भारत के भीतरी भागों की यात्रा मेरे लिए आध्यात्मिक सफर सरीखी होती है। यही वजह है कि मैं इस फेस्टिवल की शुरुआत से ही जुड़ा हुआ हूं। मैंने उसका एक भी संस्करण मिस नहीं किया है।'
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फेस्टिवल का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सौरभ शुक्ला ने कहा, 'जागरण फिल्म फेस्टिवल की अवधारणा बड़ी निराली है। वह छोटे शहरों में ऐसी फिल्मों को ले जा रही है, जो कथित मेनस्ट्रीम से नहीं हैं। साथ ही वैसी फिल्में, जो किन्हीं वजहों से रिलीज नहीं हो पाती, उन्हें शो केस करने व मार्केट में बज्ज क्रिएट करने में मदद मिलती है।'
गुलशन ग्रोवर ने कहा, ''कौन कितने पानी में' यहां दिखाई जा रही है। मैं इसे प्राउड स्क्रीनिंग कहूंगा। इस फेस्टिवल में मेरा यह पहला अनुभव है, मगर मैं बड़ी खुशी व संतुष्टि महसूस कर रहा हूं। फेस्टिवल से हमारी फिल्म को यकीनन मास ऑडिएंस तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।'
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नीला माधब पांडा ने बताया, ''कौन कितने पानी में' उड़ीसा के कालाहांडी में सेट है। इस फेस्टिवल से हम अपनी फिल्म उसके आस-पास के इलाकों तक पहुंचाने में सफल साबित होंगे। हमारे पाक मकसद को जागरण फिल्म फेस्टिवल का मुकम्मल सहयोग मिला है। इसके लिए मैं उनका आभारी हूं।'
जूही चतुर्वेदी ने मयंक शेखर के साथ हुई बातचीत में क्रिएटिव एसपिरेन्ट्स को लेखन के गुर सिखाए। उन्होंने कहा कि अलहदा लिखने के लिए नित नए लोगों से मिलते रहें। उन्हें ऑब्जर्व करें। उनकी कहानियां भी आप को प्रेरित करेंगी। नए आइडिया आएंगे। मिसाल के तौर पर पीकू का आइडिया लखनऊ प्रवास में रहने वाले एक बंगाली बुजुर्ग से मुझे मिला। वे काफी हद तक अमिताभ बच्चन के किरदार से मिलते जुलते थे। मुझे बड़ी खुशी है कि जागरण फिल्म फेस्टिवल के चलते मुझे अपने लोगों के बीच आने का मौका मिला। उन्हें अगर कुछ सिखा, बता सकूं तो वह मुझे गहरी संतुष्टि प्रदान करेगा।