आईफा अवार्ड्स : स्पेन का मैड्रिड बॉलीवुड सितारों से जगमगाया
नेक्सा आईफा के मुख्य आयोजक सबास जोसेफ के शब्दों में इस बार का आईफा इस मायने में विशेष है कि दबंग सलमान खान 2011 के बाद आए हैं।
मैड्रिड, अजय ब्रह्मात्मज। 17वें नेक्सा आईफा अवार्ड्स का आयोजन इस बार स्पेन की राजधानी मैड्रिड में हो रहा है। सितारे आ चुके हैं और मैड्रिड का सेंट्रल जोन भारतीय फिल्मी सितारों से जगमगाने के इंतजार में है। अभी वे अपने पंचसितारा होटल के आदलों की ओट में हें। एक पैटर्न बन गया है। आईफा समारोहों में हिंदी फिल्मों के सितारे आते हैं। उन्हें देखने और इन दिनों सेल्फी खिंचवाने के लिए भारतवंशियों की भीड़ लगती है। मैड्रिड में भी यही नजारा है।
मैड्रिड के वेष्टिदन पैलेस होटल के आगे बैरीकेड लगा दिए गए है, लेकिन प्रशंसक भी कम चालाक नहीं होते। वे लॉबी और लिफ्ट तक पहुंच ही जाते हैं। सितारों, प्रशंसकों और सुरक्षाकर्मियों की कशमकश जारी है। उसी में कभी सीटी, कभी शोर, कभी आह और कभी गश की घटनाएं होती रहती है।
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पेक्सा आईफा के मुख्य आयोजक सबास जोसेफ के शब्दों में इस बार का आईफा इस मायने में विशेष है कि दबंग सलमान खान 2011 के बाद आए हैं। संजय दत्त भी जेल से छूटने के बाद पत्नी मान्यता के साथ देश के बाहर निकले हैं। प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण हालीवुड में धाक जमाने के बाद मैड्रिड आई हैं। उनकी विदेश से लौटी बेटी की तरह ही हो रही है। रितिक रोशन, अनिल कपूर, शाहिद कपूर, रितेश देशमुख, सोनाक्षी सिन्हा, टाइग्रर श्रॉफ जैसे सितारे होटल की लॉबी और रेस्तरां में चकमक करते दिख जाते हैं।
कम बोलना अच्छा है
आईफा के उद्घाटन संबोधन में सलमान खान अपने मजाकिया अंदाज में मौजूद रहे। ताजा विवाद की वजह से मीडिया का ध्यान उनके बयानों पर है। उन्होंने चंद सवालों के जवाब दिए और कहा कि कम बोलना बेहतर है। ‘जितना कम बोलो, उतना कम झेलो’ के सिद्धांत का पालन कर रहे सलमान खान मीडिया से बच रहे हैं। वे अपनी मंउली के साथ अदृश्य स्थानों में ही विचर रहे हैं। कहा जा रहा कि वे अपने एक्ट की तैयारी में लगे हें। उन्हें परफार्म करना है। भाई टेंशन में हैं। हमें तो यकीन नहीं कि ऐसा कोई टेंशन होगा। दरअसल, वे पुरानी कंट्रोवर्सी से छिप रहे हैं। वैसे भी सलमान खान शब्दों और कल्पना के मामले में थोड़े तंग रहते हैं।
प्रियंका को पसंद नहीं बालीवुड संबोधन
हालीवुड में कुछ समय तक काम करने के बाद अब प्रियंका चोपड़ा को अहसास हुआ है कि ‘बालीवुड’ असल में ‘हालीवुड की नकल में गढ़ा गया शब्द है। जब भी कोई विदेशी पत्रकार ‘बालीवुड’ बोल रहा है तो वह विनम्रता से उसे इस संबोधन को छोड़ने की सलाह देती हैं। वह कहती हैं कि हमारी हिंदी और भारतीय सिनेमा की अपनी पहचान है। उसे उसी नाम से बुलाया जाए।
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