कश्मीर में जुबिन मेहता की संगीत संध्या पर विरोध का साया
जागरण ब्यूरो, श्रीनगर। दुनिया के हिंसा और विवादग्रस्त क्षेत्रों में संगीत के जरिए आपसी सद्भाव, सहयोग और समझ को प्रोत्साहित करने को प्रयासरत ख्याति प्राप्त संगीतकार जुबिन मेहता की कश्मीर में प्रस्तावित संगीत संध्या 'अहसास-ए-कश्मीर' के आयोजन पर अलगाववादियों के विरोध का साया मंडराने लगा है। कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने जर्म
जागरण ब्यूरो, श्रीनगर। दुनिया के हिंसा और विवादग्रस्त क्षेत्रों में संगीत के जरिए आपसी सद्भाव, सहयोग और समझ को प्रोत्साहित करने को प्रयासरत ख्याति प्राप्त संगीतकार जुबिन मेहता की कश्मीर में प्रस्तावित संगीत संध्या 'अहसास-ए-कश्मीर' के आयोजन पर अलगाववादियों के विरोध का साया मंडराने लगा है। कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने जर्मन दूतावास से आग्रह किया है कि वह इस आयोजन को रद्द करे।
जुबिन मेहता का म्यूजिक कंसर्ट नई दिल्ली स्थित जर्मन दूतावास द्वारा सात सितंबर को डल झील किनारे स्थित मुगल बाग शालीमार बाग में आयोजित किया जा रहा है। गिलानी ने जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेंफर से आग्रह किया है कि वह मेहता के म्यूजिक कंसर्ट का कश्मीर में आयोजन न करें। इस कार्यक्रम से कश्मीर विवाद पर असर होता है। जर्मनी द्वारा इस संगीत संध्या के आयोजन से कश्मीर पर भारत की दावेदारी को समर्थन और प्रोत्साहन मिलेगा। हुर्रियत नेता ने कहा कि कश्मीरी कभी भी इस संगीत आयोजन का समर्थन नहीं करेंगे, बल्कि वह इसे उसी तरह नाकाम बनाएंगे जिस तरह 1983 में कश्मीरी नौजवानों ने श्रीनगर में भारत और वेस्ट इंडीज के बीच एक दिवसीय मैच का विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि संगीत से न कश्मीर मसला हल होगा और न इससे अमन आएगा। उन्होंने कहा कि जर्मनी को चाहिए कि वह कश्मीर में जारी भारतीय सुरक्षाबलों के कथित मानवाधिकारों के हनन को बंद कराते हुए कश्मीरियों को उनका हक-ए-खुद इरादियत दिलाए। उन्होंने कहा कि जर्मन के राजदूत को पता होना चाहिए कि यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने भी कश्मीरियों पर हो रहे जुल्म को अनुभव करते हुए ही कश्मीर को एक खूबसूरत कैदखाना करार दिया था।
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