Move to Jagran APP

स्टाइलिश और बिंदास अभिनेता थे फिरोज खान

खुद को किसी दायरे में बांध कर नहीं रखने वाले ही एक दिन दुनिया को अपने सम्मोहन से बांध देते हैं। बॉलीवुड की दुनिया में जहां अभिनेता फिल्में खो देने के डर से अपनी छवि में बंधे रहते हैं वहां एक अभिनेता ऐसा भी था जिसने कभी खुद को किसी छवि में बंधने नहीं दिया। अभिनेता फिरोज खान ने बॉलीवुड में स्टाइलिश और बिंदास होने के जो पैमाने

By Edited By: Published: Wed, 25 Sep 2013 05:35 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2013 09:10 AM (IST)
स्टाइलिश और बिंदास अभिनेता थे फिरोज खान

खुद को किसी दायरे में बांध कर नहीं रखने वाले ही एक दिन दुनिया को अपने सम्मोहन से बांध देते हैं। बॉलीवुड की दुनिया में जहां अभिनेता फिल्में खो देने के डर से अपनी छवि में बंधे रहते हैं वहां एक अभिनेता ऐसा भी था जिसने कभी खुद को किसी छवि में बंधने नहीं दिया। अभिनेता फिरोज खान ने बॉलीवुड में स्टाइलिश और बिंदास होने के जो पैमाने रखे उस तक आज भी कोई नहीं पहुंच पाया है। राजसी अंदाज में उन्होंने एक अर्से तक दर्शकों के दिलों पर राज किया है।

loksabha election banner

फिरोज खान का नाम सुनते ही एक आकर्षक, छरहरे और जांबाज जवान का चेहरा रूपहले पर्दे पर चलता-फिरता दिखाई पड़ने लगता है। बूट, हैट, हाथ में रिवॉल्वर, गले में लाकेट, कमीज के बटन खुले हुए, ऊपर से जैकेट और शब्दों को चबा-चबा कर संवाद बोलते फिरोज खान को हिंदी फिल्मों का काउ ब्वाय कहा जाता था। हालीवुड में क्लिंट ईस्टवुड की जो छवि थी, उसका देशी रूपांतरण थे फिरोज खान।

जीवन

फिरोज खान का जन्म 25 सितंबर, 1939 को बेंगलूर में हुआ था। अफगानी पिता और ईरानी मां के बेटे फिरोज बेंगलूर से हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई पहुंचे। उनके तीन भाई संजय खान (अभिनेता-निर्माता), अकबर खान और समीर खान (कारोबारी) हैं। उनकी एक बहन हैं, जिनका नाम दिलशाद बीबी है। फिरोज की भतीजी और संजय खान की बेटी सुजान की शादी रितिक रोशन से हुई है, जो फिल्मकार राकेश रोशन के पुत्र हैं। फिरोज खान ने सुंदरी के साथ जिंदगी का सफर 1965 में शुरू किया। दोनों 20 साल तक साथ रहे। 1985 में उनके बीच तलाक हो गया।

कैरियर

बॉलीवुड में फिरोज ने अपने कैरियर की शुरूआत 1960 में बनी फिल्म 'दीदी' से की। शुरुआती कुछ फिल्मों में अभिनेता का किरदार निभाने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए खलनायकों की भी भूमिका अदा की खास तौर पर गांव के गुंडों की। वर्ष 1962 में फिरोज ने अंग्रेजी भाषा की एक फिल्म टार्जन गोज टू इंडिया में काम किया। इस फिल्म में नायिका सिमी ग्रेवाल थीं। 1965 में उनकी पहली हिट फिल्म ऊंचे लोग आई जिसने उन्हें सफलता का स्वाद चखाया।

अभिनय के लिहाज से फिरोज के लिए 70 का दशक खास रहा। फिल्म आदमी और इन्सान (1970) में अभिनय के लिए फिरोज को फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का पुरस्कार मिला। 70 के दशक में उन्होंने आदमी और इंसान, मेला, धर्मात्मा जैसी बेहतरीन फिल्में दीं। इसी दशक में उन्होंने निर्माता-निर्देशक के रूप में अपना सफर शुरू किया। उनके इस सफर की शुरुआत फिल्म धर्मात्मा से हुई। वर्ष 1980 की फिल्म कुर्बानी से उन्होंने एक सफल निर्माता-निर्देशक के रूप में सभी को अपना कूव्वत का लोहा मनवाया। कुर्बानी उनके कैरियर की सबसे सफल फिल्म रही। इसमें उनके साथ विनोद खन्ना भी प्रमुख भूमिका में थे। कुर्बानी ने हिंदी सिनेमा को एक नया रूप दिया। कुर्बानी ने ही हिंदी सिनेमा में अभिनेत्रियों को भी हॉट एंड बोल्ड होने का अवसर दिया। फिल्म में फिरोज और जीनत अमान की बिंदास जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया।

फिल्मों से अभिनय के बाद उन्होंने निर्देशन की तरफ रुख किया। उन्होंने लीक से हट कर फिल्में बनाई। 70 से 80 के दशक के बीच उनके निर्देशन में बनी फिल्में धर्मात्मा, कुर्बानी, जांबाज और दयावान बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई। वर्ष 1975 में बनी धर्मात्मा पहली भारतीय फिल्म थी जिसकी शूटिंग अफगानिस्तान में की गई। यह एक निर्माता निर्देशक के रूप में फिरोज की पहली हिट फिल्म भी थी। यह फिल्म हॉलीवुड की फिल्म गॉडफादर पर आधारित थी।

1998 में फिल्म प्रेम अगन से उन्होंने अपने बेटे को फिल्मों में लाने का काम किया पर उनके बेटे फरदीन खान उनकी तरह शोहरत बटोरने में विफल रहे। 2003 में उन्होंने अपने बेटे और स्पो‌र्ट्स प्यार के लिए फिल्म जानशी बनाई पर फिल्म में अभिनय करने के बाद भी वह अपने बेटे को हिट नहीं करवा सके। फिरोज खान ने आखिरी बार फिल्म वेलकम में काम किया। फिल्म वेलकम में भी उनका वही बिंदास स्टाइल नजर आया जिसके लिए वह जाने जाते हैं।

साल 2010 में उन्हें फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट का खिताब दिया गया था।

फिरोज खान कैंसर से पीड़ित थे और मुंबई में उनका लंबे समय तक इलाज चला। 27 अप्रैल, 2009 को उन्होंने बेंगलूर स्थित अपने फार्म हाउस में अंतिम सांस ली।

फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई प्रसंग और किस्से हैं, जिनमें फिरोज खान ने बेधड़क दिल की बात रखी। अपने इस बिंदास और बेखौफ मिजाज के कारण वे आलोचना के शिकार हुए और कई बेहतरीन फिल्में उनके हाथों से निकल गई। कहते हैं कि संगम के निर्माण के समय राज कपूर ने राजेंद्र कुमार के पहले उनके नाम पर विचार किया था।

पुरानी और नयी पीढ़ी के अभिनेताओं के बीच फिरोज एक योजक की तरह रहे। उन्हें अपने मुखर, खुले, आक्रामक और एक हद तक अहंकारी स्वभाव के कारण बदनामी झेलनी पड़ी। इसके बावजूद उन्होंने छवि सुधारने की कोशिश नहीं की। अपने लापरवाह अंदाज में जीते रहे।

फिरोज एक मंझे हुए अभिनेता के साथ ही अपनी स्पष्ट राय रखने के लिए जाने जाते थे। कुछ वर्ष पहले उन्होंने पाकिस्तान की स्थिति को लेकर बयान दिया तो वहां के शासकों की नजर में वह चुभ गए। यही वजह रही कि उन्हें पाकिस्तान का वीजा न देने का फैसला हुआ। इसके बावजूद वह अपनी बेबाक राय पर अडिग रहे। हालांकि फिरोज खान ने असल जिंदगी में काफी संघर्ष भी किया है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.