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मेरा नाम बदलना चाहते थे गुरुदत्त: वहीदा रहमान

साहित्य के महाकुंभ 'जयपुर साहित्य महोत्सव' के दूसरे दिन गुरुवार को जावेद अख्तर और बीते जमाने की अदाकारा वहीदा रहमान के सत्र में कई रंग देखने को मिले। वहीदा रहमान ने अपने जीवन से जुड़े अनछुए पहलुओं के राज से पर्दा उठाया। वहीदा ने बताया कि गुरुदत्त उनका नाम बदलना

By rohit guptaEdited By: Published: Fri, 23 Jan 2015 08:48 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jan 2015 09:01 AM (IST)
मेरा नाम बदलना चाहते थे गुरुदत्त: वहीदा रहमान

जयपुर। साहित्य के महाकुंभ 'जयपुर साहित्य महोत्सव' के दूसरे दिन गुरुवार को जावेद अख्तर और बीते जमाने की अदाकारा वहीदा रहमान के सत्र में कई रंग देखने को मिले। वहीदा रहमान ने अपने जीवन से जुड़े अनछुए पहलुओं के राज से पर्दा उठाया। वहीदा ने बताया कि गुरुदत्त उनका नाम बदलना चाहते थे।

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बतौर वहीदा, 'मुझे अपनी पहली फिल्म सीआईडी साइन करने के लिए चेन्नई से मुंबई बुलाया गया था।गुरुदत्त तब मेरा नाम बदलना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि मेरा नाम बहुत लंबा है और उसमें लोगों को खींचने की अपील नहीं है। उन्होंने दिलीप कुमार और मधुबाला समेत कई सितारों का उदाहरण दिया था, जिन्होंने अपना स्क्रीन नेम असली नाम से अलग चुना था। फिर भी गुरुदत्त मुझे राजी करने में नाकाम रहे और आखिरकार उन्होंने अपनी जिद छोड़ दी।'

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वहीदा रहमान के सत्र के दौरान हल्की बूंदाबांदी के बीच युवा साहित्य प्रेमी बिना छाते के ही उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से सुनते रहे। जैसे ही वहीदा मंच पर आईं तो उनकी फिल्म का गाना 'चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो' बजा। सत्र में मौजूद लोगों ने वहीदा रहमान का तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ स्वागत किया। वहीदा ने बताया कि देवानंद उनके फेवरेट हीरो हैं।

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अपने फिल्मी सफर का जिक्र करते हुए वहीदा ने कहा, 'साहब, बीबी और गुलाम' में जब उनको सेकेंड लीड रोल के लिए ऑफर आया तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। उस समय गुरुदत्त साहब ने उनसे कहा था कि आप एक बड़ी अदाकारा बन गई हो आप सेकेंड लीड रोल मत करो। उन्होंने बताया कि उनके मना करने के बाद दोबारा फिल्मकार ने उनसे संपर्क साधा और उनको उस रोल के लिए मना लिया। वहीदा ने बताया कि एक सीन के लिए उनको गुरुदत्त और माला सिन्हा के साथ 77 टेक करने पड़े थे। गुजरे जमाने की अदाकारा नंदा को अपना सबसे अच्छा मित्र बताया। नए सितारों में अभिषेक बच्चन उनके दोस्त हैं।


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