Move to Jagran APP

फीस के कम हो रहे हैं फासले

महिला प्रधान फिल्मों के सफल होने और बड़ी तादाद में महिला निर्माता-निर्देशकों के आने से कम हो रहा है हीरो-हीरोइन के बीच फीस का अंतर। यह महिला सशक्तिकरण का युग है। महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में तब्दीली आई है। प्रोग्रेसिव मानी जाने वाली फिल्म इंडस्ट्री में भी ऐसा

By Monika SharmaEdited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 12:47 PM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 01:03 PM (IST)
फीस के कम हो रहे हैं फासले

महिला प्रधान फिल्मों के सफल होने और बड़ी तादाद में महिला निर्माता-निर्देशकों के आने से कम हो रहा है हीरो-हीरोइन के बीच फीस का अंतर।

loksabha election banner

यह महिला सशक्तिकरण का युग है। महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में तब्दीली आई है। प्रोग्रेसिव मानी जाने वाली फिल्म इंडस्ट्री में भी ऐसा झलक रहा है। धीमी चाल से ही सही, पर हीरोइन अपने हीरो के मुकाबले फीस के मार्जिन को लगातार कम कर रही हैं। ऐसा महिलाप्रधान फिल्मों के चल निकलने, बड़ी तादाद में महिला निर्माताओं और निर्देशकों के आने की वजह हो रहा है। विद्या बालन, प्रियंका चोपड़ा और कंगना रनोट पर निर्माता भरोसा करने लगे हैं। बाकी रही-सही कसर दीपिका पादुकोण और अनुष्का शर्मा निकाल रही हैं।

रफ्तार पकड़ रही हैं महिलाएं
महिला निर्देशकों की बात करें तो गौरी शिंदे, जोया अख्तर और रीमा कागती अपना लोहा मनवा चुकी हैं। टी-सीरीज के अगुवा भूषण कुमार की पत्नी दिव्या खोसला कुमार की पहली ही फिल्म 'यारियां' हिट हो चुकी है। इन दिनों महिला केंद्रित फिल्मों का बाजार भी है तो आगे वैसी फिल्मों का भविष्य सुनहरा है। वे अगर रफ्तार पकड़ती हैं तो निश्चित तौर पर अभिनेत्रियों की फीस में तगड़ा इजाफा दर्ज होगा। साल 2014 में इस रुझान में काफी तेजी आई क्योंकि इस साल आठ में महिला केंद्रित फिल्में आई हैं।

दोगुना किया मेहनताना
कंगना तो हीरो के मुकाबले ज्यादा फीस हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने 'कट्टी बट्टी' में इमरान खान और 'डिवाइन लवर्स' में इरफान खान से ज्यादा फीस ली है। कंगना कहती हैं, 'यह बात सही है कि मैंने अपनी फीस 'क्वीन' के बाद डबल कर दी है और लोग खुशी-खुशी मेरी बढ़ी हुई फीस देने को तैयार हैं। मेरी कोशिश यह नहीं है कि मुझे अपने हीरो से ज्यादा या बराबर पैसे मिलें। मैं चाहती यह हूं कि मुझे मेरी योग्यता के अनुसार पैसे जरूर मिलें। अगर कल को सलमान या शाहरुख खान के साथ फिल्म करने का ऑफर आए, तब थोड़े ही डिमांड करूंगी कि मुझे उनके बराबर मेहनताना मिलना चाहिए।'

हीरो की जरूरत नहीं
वायाकॉम-18 मोशन पिक्चर्स के मुख्य परिचालन अधिकारी अजित अंधारे कहते हैं, 'फीस की सारी कड़ी महिला केंद्रित फिल्मों की सफलता से जुड़ी हुई है। महिला केंद्रित फिल्म में एक मजबूत महिला किरदार होती है, जो फिल्म में हीरो की भूमिका निभाती है और ऐसी फिल्मों में किसी अभिनेता की अहम भूमिका नहीं होती। 'कहानी' से लेकर 'क्वीन' और हाल में 'मैरी कॉम' जैसी फिल्मों में कोई बड़ा अभिनेता नहीं है। इन फिल्मों की लागत भी बेहद तार्किक होती है और बड़े बजट की अभिनेता केंद्रित फिल्मों के मुकाबले इन फिल्मों में जोखिम भी कम होता है।' डिज्नी इंडिया की उपाध्यक्ष एवं प्रमुख (मार्केटिंग एवं वितरण स्टूडियोज) अमृता पांडेय इस बात से सहमत हैं कि जिन फिल्मों में अभिनेत्रियों का किरदार अहम होता है और जिनमें वे हीरो वाली भूमिका में नजर आती हैं, वैसी फिल्में ज्यादा लाभदायक हैं।


नाम में क्या रखा है?
दीपिका की हालिया 'हैप्पी न्यू ईयर' भी सफल हुई है। वे खुशकिस्मत इस मायने में भी हैं कि शाहरुख अपनी फिल्मों की क्रेडिट लाइन में खुद से पहले भी दीपिका का नाम रखते हैं। हालांकि दीपिका का मानना है कि नाम में क्या रखा है? वे कहती हैं, 'नाम पहले आए या बाद में, क्या फर्क पड़ता है? हकीकत यह है कि अगर आपका काम सराहा जा रहा है तो यह चीज कतई मायने नहीं रखती कि पहले नाम आए या बाद में। हिंदी फिल्म जगत में महिलाओं का खूब सम्मान किया जाता है। उनका खूब ख्याल रखा जाता है। शाहरुख के कदम से न सिर्फ फिल्म जगत, बल्कि बाकी इंडस्ट्री में और हमारे समाज में लोग महिलाओं के सम्मान को लेकर सजग होंगे। सवाल जहां तक फीस का है तो हर जगह पुरुषों का दबदबा रहा है, मगर अब अभिनेत्रियां भी बढि़या बिजनेस निर्माताओं को दे रही हैं। विज्ञापन जगत में उनकी मांग बढ़ी है। लिहाजा हालात पहले से बेहतर हो रहे हैं।'
(अमित कर्ण)

पढ़ेंः जल की तरह है अभिनय - आदिल हुसैन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.