Exclusive : जब ऋषि कपूर ने सुभाष घई को कहा था, डायरेक्टर हो पर तुम्हें म्यूजिक का सेंस है भी कि नहीं
सुभाष घई खुद 'कर्ज' फिल्म को 23 अप्रैल की स्क्रीनिंग के दिन पहली बार बड़े परदे पर देखेंगे।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। सुभाष घई एक बार फिर से अपनी 1980 की सुपरहिट फिल्म 'कर्ज़' को एक नए अंदाज़ में रिलीज़ कर रहे हैं। सुभाष स्पष्ट करते हैं कि उन्होंने अपनी फिल्मों को फिर से रिलीज़ करने का एक नया प्रचलन इसलिए शुरू किया है कि इसमें उनकी कोई व्यापारिक मनसा नहीं है, बल्कि वो चाहते हैं कि नए जेनरेशन के लोग आकर ये फिल्में देखें।
उन फिल्मों के कलाकार और उनकी टीम से मिलें व जानने की कोशिश करें कि उस दौर में कैसे फिल्में बनती थीं। उस दौर में क्या जुनून होता था। यह सच है कि ये फिल्में लोगों ने टीवी पर भी कई बार देखी हैं, लेकिन उन्होंने अपने मुंबई स्थित नए सिनेमा थियेटर (एक्सेल्सियोर) में देखने पर उन्हें लगेगा कि वे फिल्में देखने नहीं गए, बल्कि फिल्में उनसे बात कर रही हैं। सुभाष ने यह भी बताया कि उन्होंने ताल की तरह अपनी फिल्म 'कर्ज़' भी कभी बड़े परदे पर नहीं देखी है। 23 अप्रैल की स्क्रीनिंग के दिन ही वो भी यह फिल्म पहली बार बड़े परदे पर देखेंगे। सुभाष ने इस मौके पर जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत में 'कर्ज' से जुड़ी कई दिलचस्प बातें शेयर की हैं।
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फिल्म का क्लाइमेक्स सबसे कठिन दृश्य -
सुभाष बताते हैं कि इस फिल्म का क्लाइमेक्स लिखना सबसे कठिन था। मैंने इस फिल्म के लिए कई क्लाइमेक्स लिख रखे थे। बहुत सारे ड्राफ्ट लिखे थे, क्योंकि वहां सिम्मी का किरदार यह बात जान जाती है कि वह जिसके साथ रह रही है, वह वो नहीं है बल्कि कोई और है। फिर मैंने 'एक हसीना था' गाने में तो सब कहानी कह डाली थी। फिर ऐसे में वहां ड्रामा कैसे क्रिएट करूं ये चैलेंज था। उस गाने के बाद वह सीन आता है। लेकिन वहां इसलिए यह जरूरी था, क्योंकि वहीं से कहानी शुरू होती है और इसने ही उसे मारा था। तो इस सीन के लिए मुझे सिम्मी का पूरा हुलिया बदलना था, लेकिन हुलिया बदलने में ये परेशानी थी कि मैं कहीं गिर न जाऊं।
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लेकिन सिम्मी ने मुझसे सवाल किया कि इसमें लॉजिक क्या है कि मैं सुंदर दिख रही हूं और अचानक सफेद बाल आ गए। फिर मैंने बताया कि वह सिंबोलिक रहेगा। हालांकि वह मेरे लिए रिस्क था, क्योंकि मुझे उनके परफोर्मेंस पर भी कैमरा घुमाना था। तो मैंने वह कैमरा यूं ही गिमिकली नहीं घुमाया था, लॉजिक था कि उसका सिर घूम गया। इसलिए ऐसा किया था। इस सीन के लिए प्यारेलाल जी ने जबरदस्त बैकग्राउंड स्कोर भी तैयार किया था।
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सुभाष को लेकर ऋषि का प्रश्न चिन्ह -
सुभाष घई बताते हैं कि जब मैंने ऋषि सर से कहा कि हम लोग इस गाने की शूटिंग करेंगे और हम इस तरह से शूटिंग करने वाले हैं। कर्ज़ की उसदिन पहले दिन की शूटिंग हो रही थी। ऋषि सेट पर आए मैंने उनसे कहा कि हमें पार्टी सीन शूट करना है। मैंने उनको गाना सुनाया। ऋषि चाय पीते हुए गाना सुन रहे थे। गाना सुनने के बाद उन्होंने कहा कि ठीक-ठीक बना है। फिर मुझे कहने लगे कि डांसर कहा है। तो मैंने कहा कि डांसर की जरूरत नहीं है। तुम गाना गा रहे हो और चलते चलते गा रहे हो। इसमें डांस है ही नहीं। ऋषि ने सुभाष से कहा कि तुम्हें म्यूजिक की समझ है भी कि नहीं। एक एक्टर को म्यूजिक के साथ मूव करना पड़ता है। एक डायरेक्टर को इस बात की भी सेंस होना चाहिए। तो मैंने बोला कि मैं कोशिश करता हूं। फिर ऋषि ने आधे मन से शूटिंग पूरी की। लेकिन फिर जब उनको पूरी एडिटिंग के बाद वह गाना दिखाया तो ऋषि ने मुझे गले लगाते हुए बोला, कि मुझसे गलती हो गई। मुझे लगा कि तुम कालीचरण जैसी क्राइम थ्रिलर बना रहे थे, तो एेसा लगा कि म्यूजिक की समझ क्या होगी।
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फिल्म में है एक बड़ी मिस्टेक -
सुभाष घई ने इस फिल्म से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह भी बताई है कि इस फिल्म के गाने ओम शांति ओम में एक तरफ सिल्वर जुबली का बोर्ड नज़र आ रहा है तो दूसरी तरफ गोल्डन जुबली का बोर्ड है। क्योंकि पूरा गाना एक दिन में शूट नहीं हुआ था। इस मिस्टेक को हमने एडिटिंग टेबल पर गौर किया था। लेकिन उसे हम चाह कर भी हटा नहीं पाए थे।
आपको बता दें कि, सुभाष घई खुद 'कर्ज' फिल्म को 23 अप्रैल की स्क्रीनिंग के दिन पहली बार बड़े परदे पर देखेंगे।