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Exclusive: मेरी फिल्में चले न चले, मैं ऐसा एक्टर हूं कि फिल्में मुझे मिलती ही रहेंगी - नवाजु़द्दीन

नवाज़ की फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज़ 25 अगस्त को रिलीज हो रही है।

By Rahul soniEdited By: Published: Sun, 20 Aug 2017 09:35 PM (IST)Updated: Sun, 20 Aug 2017 09:35 PM (IST)
Exclusive: मेरी फिल्में चले न चले, मैं ऐसा एक्टर हूं कि फिल्में मुझे मिलती ही रहेंगी - नवाजु़द्दीन
Exclusive: मेरी फिल्में चले न चले, मैं ऐसा एक्टर हूं कि फिल्में मुझे मिलती ही रहेंगी - नवाजु़द्दीन

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। एक्टर नवाजु़द्दीन सिद्दीकी ने गैंग्स आॅफ वासेपुर से अपने किरदार फैज़ल के लिए जिस तरह तारीफें बंटोरनी शुरू की उसके बाद कभी भी मुड़ कर पीछे नहीं देखा। इसके बाद वह जिस फिल्म का भी हिस्सा बने हैं, उनकी तारीफ ही हुई है।

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ऐसे में क्या उन्हें बॉक्स आॅफिस पर फिल्में नाकामयाब होने से फर्क पड़ता है। नवाज़ इस सवाल के जवाब में दावे के साथ कहते हैं, तो क्या हुआ जो बॉक्स आॅफिस पर फिल्में चले या न चले। मुझे पता है कि मैं ऐसा एक्टर हूं, जिसे काम मिलता रहेगा। एक या दो फिल्में फ्लॉप हो जाने से मुझे फिल्में मिलनी बंद नहीं हो जायेंगी। मैं जानता हूं कि लोग मुझे देखने आयेंगे ही। फिर मैं टाइटल रोल करूं या न करूं, मेरा किरदार लोगों को पसंद आता ही है। मैं अपने अभिनय की वजह से फिल्म से जुड़ता हूं। मुझे जितना साबित करना था खुद को कर दिया है। वक्त लगा उसमें, लेकिन अब मेरे दर्शक बन चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि यह उनका ओवरकॉन्फीडेंस तो नहीं तो इसको लेकर नवाज़ कहते हैं कि यह ओवर कॉन्फीडेंस नहीं। अपने आप पर विश्वास है। नवाज़ साफ कहते हैं कि बॉक्स आॅफिस पर फिल्में नहीं भी चल रही हैं तो उनकी इमेज पर कोई खराब नहीं हो रहा है। उन्हें ध्यान में रखकर तो रोल लिखे ही जा रहे हैं।

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कुशान नंदी की फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज़ में नवाजु़द्दीन लीड किरदार में हैं। कुशान नंदी जैसे नये निर्देशकों के साथ काम करने में कोई रिस्क नही। जो स्थापित निर्देशक हैं इन दिनों वह कौन सा तीर मार रहे हैं। नये निर्देशकों की खासियत होती है कि वह अपनी फिल्म पर पूरी मेहनत करते हैं। उन पर खुद को साबित करने का दबाव होता है। कुशान के साथ फर्स्ट मीटिंग में ही समझ गया कि काम किया जा सकता है। नवाजु़द्दीन आये दिन विवादों में भी घिर जाते हैं या कोई विवादित बयान दे देते हैं। इस पर नवाज़ कहते हैं कि पहले लोगों का ध्यान नहीं जाता। इन दिनों लोगों ने मुझ पर ध्यान देना शुरू किया तो लोगों को लगने लगा कि मैं हर दिन कुछ न कुछ बोलता हूं। लेकिन मुझे जो अच्छा लगेगा मैं बोलूंगा। बाबूमोशाय के किरदार की तुलना गैंग्स आॅफ वासेपुर से की जा रही है।इस पर नवाज़ कहते हैं कि दोनों में काफी डिफरेंस है। लेकिन चूंकि विजुअल्स एक से हैं, रस्टिक लुक है और मैं गन लेकर हूं इसलिए लोग तुलना कर रहे हैं।

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आगे नवाज़ बताते हैं कि, वासेपुर का फैज़ल बहुत इमोशनल था। रिश्तों को बहुत अहमियत देता था।। बंदूकबाज का बाबू बेशर्म है। नवाज़ की फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज़ 25 अगस्त को रिलीज हो रही है।


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