पुण्यतिथि: जानें अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाने वाले प्रकाश मेहरा से जुड़े ये 5 दिलचस्प facts
मेहरा ने वर्ष 1996 में मशहूर अभिनेता राजकुमार के बेटे पुरू राजकुमार को लेकर ‘बाल ब्रह्मचारी’ फ़िल्म बनाई, लेकिन यह फ़िल्म नाकाम रही
मुंबई। आज दिग्गज फ़िल्म डायरेक्टर प्रकाश मेहरा की पुण्यतिथि है। इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री में कुछेक डायरेक्टर जिन्होंने अपने दम से सिनेमा का मनोविज्ञान बदल डाला उनमें से प्रकाश मेहरा भी हैं। अमिताभ बच्चन निसंदेह आज एक महानायक हैं। लेकिन, कभी उनकी डूबती नैया को संभालने वाले प्रकाश मेहरा ही थे। आइये जानते हैं प्रकाश मेहरा की लाइफ से जुड़ी ये 5 दिलचस्प कहानियां...
डेब्यू
प्रकाश मेहरा ने 50 के दशक में अपने करियर की शुरूआत एक प्रोडक्शन कंट्रोलर की हैसियत से की थी। 'उजाला' (1959) और 'प्रोफेसर' (1962) आदि में प्रोडक्शन कंट्रोलर के तौर पर कार्य किया। वर्ष 1968 में जाकर मेहनत रंग लाई और 'हसीना मान जायेगी' से निर्देशक के तौर पर करियर की शुरुआत की।
सक्सेस
1968 में उन्होंने शशि कपूर की फ़िल्म 'हसीना मान जाएगी' का निर्देशन किया जिसमें शशि कपूर ने दोहरी भूमिका निभाई थी। इसके बाद 1971 में उन्होंने में मेला का निर्देशन किया जिसमें फिरोज और संजय ख़ान ने मुख्य भूमिका निभाई थी। साल 1972 में आई फ़िल्म समाधि भी सफल रही।
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एंग्री यंग मैन का जन्म
1973 में प्रकाश मेहरा ने जंजीर का निर्माण और निर्देशन किया। यह भारतीय फिल्म इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। जंजीर से फ़िल्म इंडस्ट्री को अमिताभ बच्चन के रूप में एंग्री यंग मैन मिला। उसके बाद इस जोड़ी ने सात फिल्में, जिनमें से 'जादूगर' को छोड़कर छह 'खून पसीना', 'हेराफेरी', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'लावारिस', 'नमक हलाल' और 'शराबी' सुपर-डुपर हिट रहीं।
असफल अंत
मेहरा ने वर्ष 1996 में मशहूर अभिनेता राजकुमार के बेटे पुरू राजकुमार को लेकर ‘बाल ब्रह्मचारी’ फ़िल्म बनाई, लेकिन यह फ़िल्म नाकाम रही। बतौर निर्देशक यह उनकी आखिरी फ़िल्म थी।
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सम्मान
इंडिया मोशन पिक्चर्स डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने 2006 में उन्होंने लाइफ टाइम्स अवार्ड से सम्मानित किया। 2008 में इसी संस्था ने उन्हें प्रोडूसर से रूप में लाइफ टाइम अवार्ड से सम्मानित किया। प्रकाश मेहरा बॉलीवुड के उन पहले निर्देशकों में से थे जिन्होंने हॉलीवुड में भी हाथ आजमाया। लेकिन, भारी बजट के कारण उनका प्रोजेक्ट सफल नहीं हो सका।
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'हाथ की सफाई', 'घुंघरू', 'चमेली की शादी', 'दलाल' आदि भी उनके द्वारा निर्मित या निर्देशित सफल फ़िल्मों में शामिल हैं। 17 मई 2009 को निमोनिया और दूसरी बीमारियों के कारण मुंबई में उनकी मृत्यु हो गई।