कॉन: बॉलीवुड के जश्न में परोसे गए ठंडे समोसे, गरम कोल्ड ड्रिंक
पत्थर जैसी ठोस पूरियां, ठंडे समोसे चम्मच भर दाल मक्खनी और टॉयलेट के लिए हाथ पैर मलते मेहमान। इतना बुरा हाल तो शायद ही किसी कॉन फेस्टिवल का हुआ हो जो इस साल 2013 में देखने को मिला। इस प्रतिष्ठित समारोह का समापन एक यादगार डिनर के साथ हुआ जिसके बारे में लोग सर्दियों तक बातें करेंगे, पर अच्छे कारणा
कॉन में ठंडे समोसे, गरम कोल्ड ड्रिंक के साथ मना भारतीय सिनेमा का जश्न
नई दिल्ली। कॉन फिल्म फेस्टिवल का नाम सुनते ही जेहन में खूबसूरत सेलेब्रिटीज, डिजायनर आउटफिट्स, चमचमाता रेड कारपेट और एक परफेक्ट मैनेजमेंट की झलक सामने आती है। अब जरा सोचिए कैसा हो जब लोग खाने के लिए लंबी लाइनों में खडे़ हों और जहां उन्हें ठंडे समोसे, गर्म कोल्ड ड्रिंक और सिर्फ नाम के लिए दाल पालक मिले। ये तो गलतियों और खामियों का भंडार लगता है, खासतौर से एक ऐसे प्लेटफार्म के लिए जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो।
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पत्थर जैसी ठोस पूड़ियां, ठंडे समोसे चम्मच भर दाल मक्खनी और टॉयलेट के लिए हाथ पैर मलते मेहमान। इतना बुरा हाल तो शायद ही किसी कॉन फेस्टिवल का हुआ हो जो इस साल 2013 में देखने को मिला। इस प्रतिष्ठित फेस्टिवल में भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे होने के जश्न का समापन एक ऐसे डिनर के साथ हुआ जिसके बारे में लोग सदियों तक बातें करेंगे, पर अच्छे कारणों से नहीं बल्कि खराब व्यवस्था के लिए।
सूत्रों ने कॉन फेस्टिवल की बुराइयों के पुल बांधने शुरू कर दिए और कैटरिंग सर्विस को एक भयानक सर्वनाश बताया। वेटर को पता ही नहीं था कि भारी मात्रा में वेजिटेरियन लोग भी मौजूद थे। खाने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा और अंत में जब खाना आया तो वो बिल्कुल थका हुआ था। आश्चर्य की बात तो ये थी कि पुडिंग तो खाने के बाद पहुंची ही नहीं। खराब, ठंडे और बेस्वाद खाने से मेहमान मीठे का इंतजार करते ही रह गए।
जल्दी ही जब खराब खाने की वजह से मेहमानों ने खराब पेट की शिकायत की तो देखते ही देखते टॉयलेट के बाहर 'आक्यपाइड' के साइन के साथ-साथ लंबी कतारें लग गई। बेचारे उन सेलेब्रिटिज पर क्या बीती होगी जो एक से बढ़कर एक डिजाइनर के आउटफिट पहनकर इस ग्रांड सेलिब्रेशन में शामिल होने आए।
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