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'साला खडूस' हो गया पास, क्‍या सेंसर बोर्ड कर रहा भेदभाव?

जब से सेंसर बोर्ड ने आपत्तिजनक शब्‍दों की लिस्‍ट जारी की है, तब से फिल्‍म निर्माता-निर्देशकों से तनातनी कुछ ज्‍यादा ही बढ़ गई है। अब तो इसको लेकर भी भेदभाव के उदाहरण सामने अाने पर ज्‍यादातर निर्माता-निर्देशकों के जेहन में एक सवाल उठने लगा है कि आखिर वास्‍तव में सेंसर

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Mon, 07 Dec 2015 05:21 PM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2015 06:06 PM (IST)
'साला खडूस' हो गया पास, क्‍या सेंसर बोर्ड कर रहा भेदभाव?

नई दिल्ली। जब से सेंसर बोर्ड ने आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट जारी की है, तब से फिल्म निर्माता-निर्देशकों से तनातनी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। अब तो इसको लेकर भी भेदभाव के उदाहरण सामने अाने पर ज्यादातर निर्माता-निर्देशकों के जेहन में एक सवाल उठने लगा है कि आखिर वास्तव में सेंसर बोर्ड चाहता क्या है। दरअसल, जहां सेंसर बोर्ड को किसी फिल्म में कोई शब्द आपत्तिजनक लगती है तो दूसरी फिल्म में उसी शब्द को बिना किसी रोक-टोक के पास कर दिया जाता है।

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इसका ताजा उदाहरण राजकुमार हिरानी की प्रोडक्शन फिल्म 'साला खडूस' है, जिसके टाइटल में ही आपत्तिजनक शब्द है। फिर भी इसका ट्रेलर बिना किसी कट के पास कर दिया गया है। जबकि यह शब्द नीरज घेवान की हालिया रिलीज फिल्म 'मसान' में भी थी, मगर उस पर सेंसर बोर्ड द्वारा आपत्ति उठाई गई थी। एक डायलॉग में इसका इस्तेमाल किया गया था, मगर फिल्म में सिचुएशन की मांग होने के बावजूद उन्हें 'साला' और 'साली' शब्द हटाना पड़ा था।

शायद सेंसर बोर्ड निर्माता या निर्देशक के हिसाब से अपनी सोच बनाकर रखते हैं। 'साला खडूस' के बारे में एक सूत्र ने बताया, 'सेंसर बोर्ड ने फिल्म के टाइटल या ट्रेलर के कंटेंट को पास करते हुए इस बारे में नहीं सोचा। मजेदार बात तो यह है कि फिल्म के ट्रेलर में टाइटल सॉन्ग भी है, जिसमें यह शब्द बार-बार दोहराया जाता है।' वहीं, प्रोडक्शन कंपनी से जुड़े एक करीबी सूत्र ने बताया कि वे सेंसर बोर्ड की 'उदारता' से बहुत हैरान हैं। उनके मुताबिक, 'हम हैरान हैं कि 'साला' शब्द पर कोई आपत्ति नहीं उठाई गई। हम खुश हैं कि हमें हरी झंडी दे दी गई।'

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आपको बता दें कि 'साला खडूस' में आर. माधवन एक बॉक्सिंग कोच की भूमिका में नजर आएंगे। राजकुमार हिरानी के साथ वो इसके सह-निर्माता हैं। वहीं इस फिल्म की लीड हीरोइन रितिका सिंह हैं।

इन फिल्मों पर भी गौर फरमाएं...

- 'दिल्लीवाली जालिम गलफ्रेंड' को 63 म्यूट्स के बाद सेंसर बोर्ड ने 'यू/ए' सर्टिफिकेट दे दिया था। म्यूटेड पोर्शन में 'साला' और 'साली' शब्द भी शामिल थे।

- 'गब्बर इज बैक" को तभी 'यू/ए' सर्टिफिकेट हासिल हुआ, जब उसमें पांच वर्बल कट्स और सभी तीखे अपशब्दों को बीप किया गया। इसमें 'साला' शब्द भी शामिल था।

- डायरेक्टर सुभाष कपूर से उनकी फिल्म 'गुड्डू रंगीला' से 'साली', 'माल', 'लेना' और 'पकड़ना' शब्द हटवाए गए।

- 'एंग्री इंडियन गॉडेडेस' से भी कुछ शब्दों को हटवाया गया और उन शब्दों को 'हेट स्टोरी 3' में रहने दिया गया। दोनों ही फिल्मों को 'ए' सर्टिफिकेट मिला है।


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