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सेंसर बोर्ड का ताज़ा फ़रमान, किसी को नहीं करने देंगे 'मन की बात'

वैसे निहलानी ऐसे हास्यास्पद फ़ैसलों से भले ही पीएम के लिए अपनी लॉयलटी ज़ाहिर करने की कोशिश करें, मगर ऐसी बातें ख़ुद पीएम को एंबेरेस ही करती होंगी।

By मनोज वशिष्ठEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 02:57 PM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 04:02 PM (IST)
सेंसर बोर्ड का ताज़ा फ़रमान, किसी को नहीं करने देंगे 'मन की बात'
सेंसर बोर्ड का ताज़ा फ़रमान, किसी को नहीं करने देंगे 'मन की बात'

मुंबई। इस ख़बर को पढ़कर आप चाहें तो ठहाके मारकर हंस सकते हैं, मन करे तो रो भी सकते हैं। ये आप पर निर्भर करता है, लेकिन इतना पक्का है कि आप चुप नहीं रह सकेंगे। सेंसर बोर्ड के ताज़ा फ़ैसले को अगर इसके चीफ़ पहलाज निहलानी का फ़रमान मान लें, तो किसी भी फ़िल्म में 'मन की बात' लाइन का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो शो का नाम है। 

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सीबीएफ़सी के इस अजीबो-ग़रीब फ़ैसले की शुरुआत एक आने वाली फ़िल्म से हुई। इस फ़िल्म का नाम है समीर, जिसे डेक्सिन छारा (Dakxin Chhara) ने डायरेक्ट किया है। इस फ़िल्म के क्लाइमेक्स में लीड करेक्टर (सुब्रत दत्ता) की असली पहचान उजागर होती है। फ़िल्म का विलेन (मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब) उससे कहता है- ''एक मन की बात कहूं? तुम करेक्टर अच्छा बना लेते हो।'' इस पर हीरो बोलता है- ''वैसे सर, चाय पर चू**या बनाना आप ही से सीखा है।'' दिलचस्प बात ये है कि सीबीएफ़सी को दूसरी लाइन में गाली से कोई दिक्कत नहीं हुई, पर मन की बात आते ही सीबीएफ़सी की कैंची चल गई। चाय वाली लाइन को इसलिए जस्टिफाई कर लिया गया, क्योंकि एक करेक्टर फ़िल्म में बातचीत के दौरान चाय पिलाता है। 

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डायरेक्टर छारा ने मिड-डे से हुई बातचीत में कहा- ''उन्होंने पहली लाइन से मन की बात हटाने के लिए ख़ौस तौर पर कहा। जब मैंने पहलाज निहलानी से मिलकर इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, पीएम का रेडियो शो है, डिलीट द लाइन।'' आख़िर सिनेमेटोग्राफ़ एक्ट की कौन सी धारा के तहत वो ऐसा कर रहे हैं, इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया। छारा आगे कहते हैं- हमें सेंसर बोर्ड के सदस्यों के सामने मौखिक सुनवाई को मौक़ा भी नहीं दिया, जो अनिवार्य है। ए सर्टिफिकेट देने के बावजूद बोर्ड ने टॉर्चर और ब्लास्ट वाले दृश्यो को हटाने को कहा है, जिससे फ़िल्म बेअसर हो जाएगी।

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छारा की फ़िल्म 2008 मे हुए अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट पर आधारित है और फ़िल्म में सीमा बिस्वास और अंजलि पाटिल भी मुख्य भूमिकाओं में हैं। वैसे निहलानी ऐसे हास्यास्पद फ़ैसलों से भले ही पीएम के लिए अपनी लॉयलटी ज़ाहिर करने की कोशिश करें, मगर ऐसी बातें ख़ुद पीएम को एंबेरेस ही करती होंगी। आप 2015 का निहलानी का वो वीडियो अभी नहीं भूले होंगे, जो उन्होंने पीएम मोदी को समर्पित किया था। 


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