बॉलीवुड सितारों की देशभक्ति
मुंबई। देशभक्ति सिर्फ देश को विदेशियों के चंगुल से आजाद कराना ही नहीं है, बल्कि हर पल देश की तरक्की में योगदान करने में ही
मुंबई। देशभक्ति सिर्फ देश को विदेशियों के चंगुल से आजाद कराना ही नहीं है, बल्कि हर पल देश की तरक्की में योगदान करने में ही अभिव्यक्ति है सच्ची देशभक्ति की। 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी तो मिल गयी पर गरीबी व अशिक्षा के अंधेरे को पीछे छोड़ देश को खुशहाली के पथ पर ले जाने के लिए अभी भी देशवासियों के योगदान की आवश्यकता है। इस मामले में अपनी जिम्मेदारी महसूस करने में पीछे नहीं है एंटरटेनमेंट जगत से जुड़ी हस्तियां।
बिग बी यानी अमिताभ बच्चन हाल तक यूनाइटेड नेशंस के भारत में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े रहे थे। अब उन्होंने अपना ध्यान महिला सशक्तिकरण की ओर केंद्रित कर दिया है। वे यूएन के ही उस विंग के हिंदुस्तान में अप्रैल 2005 से गुडविल एंबेसेडर हैं। त बसे लेकर आज तक वे महिला सशक्तिकरण के मद्देनजर विभिन्न कैंपेन के सक्रिय भागीदार व मुखर वक्ता रहे हैं।
इस क्रम में प्रियंका चोपड़ा ने पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस पर चंद्रपुर इलाके का दौरा किया। वे पिछले आठ बरसों से यूनिसेफ के बाल अधिकार विंग की गुडविल एंबेसेडर हैं। उसके तहत वे बालिकाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य बेहतरी के लिए जागरुकता अभियान चला रही हैं।
बकौल प्रियंका, 'मैं उन लड़कियों से मिली, जो तमाम दुश्वारियों के बावजूद जिंदगी में कुछ करना चाहती हैं। चंद्रपुर की लड़कियां जज्बे की मिसाल हैं। वे अपना बिजनेस खुद सेट अप कर रही हैं। न केवल खुद को बल्कि औरों को भी नौकरी दे रही हैं। उस काम में उनके परिजन व वहां के स्थानीय लोग भी उनका भरपूर साथ दे रहे हैं। मैं उन्हें सलाम करती हूं। काश वह बात हिंदुस्तान के घर-घर में होती।
आमिर खान अपनी फिल्मों व शो से अपना सामाजिक सरोकार दिखाते रहते हैं। वे बताते हैं, 'हम सबमें अपनी समस्याओं से निजात पाने के लिए एक मसीहा ढूंढ़ने की फितरत होती है। ये बंदा अच्छा काम कर रहा है, इसे पॉलिटिशन बना देते हैं। ये मसीहा जो हम ढूंढ़ते हैं, वह फस्र्ट स्टेप ही गलत है। लोकतंत्र में हर कोई मसीहा है। आप अपने अंदर मसीहा ढूंढि़ए। जब हर आदमी अपने आप को मजबूत महसूस करेगा तो वह मसीहा नहीं ढूंढेगा।
सलमान खान अपनी संस्था 'बीइंग ह्यूमन' के जरिए चैरिटी का काम तो करते रहे हैं ही, पिछले महीने उस संस्था ने जरुरतमंदों को नौकरी देने-दिलाने का काम भी शुरू किया है। सलमान उस पर चर्चा करना दिखावा मानते हैं। वे कहते हैं, 'मैं अपने किए कामों के बारे में खुद ही बात करूं तो वह बचकाना लगेगा। उन प्रयासों का दर्जा कम हो जाएगा। मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि हर समर्थ इंसान की परम प्राथमिकता समाज व राष्ट्र निर्माण होनी चाहिए। उसके बाद ही परिवार और सबसे आखिर में अपने बारे में सोचना चाहिए। मेरी युवाओं से अपील है कि वे अपना दिल बड़ा करें। जब तक समाज में किसी भी किस्म की भाई है, उसे पाटते रहें।'
विद्या बालन भारत सरकार के स्वच्छता अभियान से जुड़ी हुई हैं। वे कहती हैं, 'जिन देशों की जीडीपी हमसे नीचे भी है, वहां भी हर घर में शौचालय बने हैं। स्वच्छता पर जमकर ध्यान दिया जाता है। प्राथमिक स्वास्थ्य की पहली सीढ़ी वहीं से शुरू होती है। इस बारे में व्यापक स्तर पर जागरुक करने की जरुरत है।'
करीना कपूर, दीया मिर्जा, जॉन अब्राहम और रवीना टंडन समेत ढेर सारे कलाकार मूक जानवरों के हक में आवाज उठाते रहते हैं। वे सब पेटा नामक संस्था से जुड़े हुए हैं, जो जानवरों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ मुहिम चलाती रहती है।
सुष्मिता सेन ने खुद को विभिन्न एनजीओ और उपकारी संस्थाओं से जोड़े रखा है। वे सुविधाविहीन बच्चों की मदद को काफी कुछ करना चाहती हैं। वे कहती हैं, 'स्वस्थ समाज की नींव स्वस्थ बच्चों से रखी जा सकती है। जहां कहीं भी बच्चे सुरक्षित और सभी सुविधाओं से पूर्ण माहौल में पलते और बढ़ते हैं, वह देश तरक्की के सबसे शीर्ष पायदान पर होता है।'
असिन भी गुपचुप तरीके से परोपकारी कार्यों में लगी रहती हैं। वे कहती हैं, 'मैंने शुरुआत अपने गृहप्रदेश केरल से की है। वहां के एक इलाके में मेरी संस्था कार्य करती है। हमारा टारगेट वंचित बच्चे और महिलाएं हैं।'
(अमित कर्ण)
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