..फिर लौटेगा मधुर संगीत का दौर
अपनी गायकी से शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने वाली गायिका अलका याज्ञनिक आज भी श्रोताओं के दिलों पर राज कर रही हैं। हाल में उन्होंने हॉलीवुड की फिल्म 'द 100 फुट जर्नी' में ए आर रहमान द्वारा संगीतबद्ध गाना गाया है। वे इससे पहले भी फिल्म 'ताल' और 'स्लमडॉग मिलेनियर' में रहम
मुंबई। अपनी गायकी से शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने वाली गायिका अलका याज्ञनिक आज भी श्रोताओं के दिलों पर राज कर रही हैं। हाल में उन्होंने हॉलीवुड की फिल्म 'द 100 फुट जर्नी' में ए आर रहमान द्वारा संगीतबद्ध गाना गाया है। वे इससे पहले भी फिल्म 'ताल' और 'स्लमडॉग मिलेनियर' में रहमान के संगीत से सजे गीतों को गा चुकी हैं। वे कहती हैं, 'रहमान के साथ काम करना मुझे बहुत अच्छा लगता है। वे बहुत सुकून से काम करते हैं। मशहूर हस्ती होने के बावजूद वे सादगी पसंद और सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं।'
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लंबे समय से ऐसा होता आ रहा है कि फिल्म के संगीत पर संगीतकारों का नहीं, बल्कि निर्माताओं का अधिकार होता है। इस बात का संगीतकार ए आर रहमान ने विरोध किया था। अलका भी उनका समर्थन करती हैं। वे कहती हैं, 'मैं रहमान की बात से पूरी तरह सहमत हूं। हम लोग सिंगर हैं न कि वायस इंस्ट्रूमेंट। अगर फिल्म का कोई गाना या म्यूजिक हिट होता है, तो निर्माताओं को काफी फायदा होता है। हमें भी उसमें हिस्सा मिलना चाहिए। उनके बिजनेस में हमारा भी योगदान होता है।'
आजकल के संगीत को लेकर अलका कहती हैं, 'बदलाव जिंदगी का हिस्सा है। समय के साथ बदलाव आते हैं। अगर बदलाव अच्छे के लिए हो, तो वह अच्छा है। आजकल का म्यूजिक अच्छा है। हिट भी हो रहा है। नया टैलेंट अच्छा काम कर रहा है, मगर आजकल लोगों को यह पता नहीं होता कि अमुक गाना किसने गाया है। गाने आ रहे हैं और जा रहे हैं। एक गाने की लाइफ एक सप्ताह होती है और अगले सप्ताह दूसरा गाना आ जाता है। मुझे उम्मीद है कि मधुर संगीत का दौर एक बार फिर लौटेगा।'
अलका याज्ञनिक को सर्वश्रेष्ठ गायिका का राष्ट्रीय पुरस्कार और कई फिल्म फेयर अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। वे लाइव कंसर्ट में भी हिस्सा लेती हैं। स्टूडियो रिकॉर्डिग और लाइव कंसर्ट में उन्हें क्या पसंद है? पूछने पर वे कहती हैं, 'कंसर्ट का समय लंबा होता है। लाइव कंसर्ट में श्रोता आपसे हिट गानों की डिमांड करते हैं। दर्शकों की मांग पर हम कई गाने एक के बाद एक गाते हैं। कार्यक्रम खत्म होने के बाद थकान का एहसास होता है। कंसर्ट के दौरान अच्छी बात यह होती है कि दर्शकों के साथ इंटरैक्शन ही नहीं, डांस भी करती हूं, मगर स्टूडियो रिकॉर्डिग में हम सिर्फ तय गाने ही गाते हैं। उसके रिलीज होने के बाद दर्शकों की प्रतिक्रिया मिलती है।'
अलका ने गायिका के रूप में अपने सिने करियर की शुरुआत 1979 में आई फिल्म 'पायल की झंकार' से की थी। इसके बाद फिल्म 'हमारी बहू अलका' में भी गाने का मौका मिला। फिर अमिताभ बच्चन अभिनीत 'लावारिस' में 'मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है..' से काफी लोकप्रिय हुई। उसके बाद फिल्म 'तेजाब' में गाया उनका गाना 'एक दो तीन..' सुपरहिट हुआ। तीन दशक से ज्यादा समय से वे फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं। इस दौरान क्या बदलाव आया? यह पूछने पर अलका कहती हैं, 'मैंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और कल्याणजी-आनंदजी के साथ काम कर के गायकी सीखी। तब और अब में काफी बदलाव आया है। मेरे ख्याल सबसे बड़ा बदलाव 2000 के दौरान शुरू हुआ जब प्लेबैक सिंगिंग का नया दौर आया। अब आधुनिक तकनीक के कारण सिंगिंग काफी आसान हो गई है।'
इन दिनों चुनिंदा गाना गाने को लेकर अलका याज्ञनिक कहती हैं, 'मैं अपने करियर से काफी खुश हूं। मैंने कई हिट गीत गाये हैं। पिछले कुछ वर्षो के दौरान गानों की स्टाइल में बहुत बदलाव आया है। इन दिनों जैसे गाने आ रहे हैं, उन पर मेरी आवाज सूट नहीं करती। मैंने ज्यादातर गाने पिछली सदी के आखिरी दशक के दौरान गाए थे। जब इंटेंस गानों को मेलोडिअस अंदाज में गाया जाता था और मेरी आवाज उन गानों में पूरी तरह फिट बैठती थी। आज फिल्म में मुख्य नायिका और खलनायिका के लिए गानों में फर्क नहीं रह गया है। पहले खलनायिकाओं के लिए भारी आवाज की जरूरत होती थी। अब मौजूदा समय में हीरोइन के साथ हर प्रकार की आवाज चल जाती है।'
(स्मिता श्रीवास्तव)