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पंजाब कैबिनेट: कैप्‍टन का टारगेट अब 2019 का लोकसभा चुनाव

पंजाब में 10 साल बाद सत्‍ता में आए कैप्‍टन अमरिंदर सिंह का टारगेट अब 2019 में होेनेवाला लाेकसभा चुनाव है। इसी को नजर में रखकर वह अपने मंत्रियों की संख्‍या बढ़ाए़गे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 11:49 AM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2017 07:38 PM (IST)
पंजाब कैबिनेट:  कैप्‍टन का टारगेट अब 2019 का लोकसभा चुनाव
पंजाब कैबिनेट: कैप्‍टन का टारगेट अब 2019 का लोकसभा चुनाव

जेएनएन,चंडीगढ़। दस साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस का लक्ष्‍य अब 2019 का लोकसभा चुनाव है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने संदेश दिया है कि वह चुनाव घोषणा पत्र काे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। समझा जाता है किमुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह 2019 के चुनाव को ध्‍यान में रखकर भी कदम उठाएंगे। अभी राज्‍य मंत्रिमंडल में आठ आैर मंत्री बनने हैं और कैप्‍टन अपना कुनबा भी अगले चुनाव को रखकर बढ़ाएंगे। पंजाब कांग्रेस के नए अध्‍यक्ष की नियुक्ति में इस पर ध्‍यान हाेगा।

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दूसरी ओर, पार्टी ने तुरंत किसी भी प्रकार के मंत्रिमंडल विस्तार और प्रदेश प्रधान के बदलाव पर विराम लगा दिया है। लेकिन इसको लेकर हलचल जल्‍द ही शुरू हो सकती है।

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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जो वायदे किए थे, उसे पूरा करना उसका लक्ष्य हैं। पंजाब सरकार की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार जहां खर्च में न सिर्फ कटौती करने कि दिशा में आगे बढ़ रही है वहीं, कैप्‍टन सरकार के सारे कदम 2019 को ध्यान में रख कर भी उठाए जाएंगे। यही कारण है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बेहद छोटे मंत्रिमंडल के साथ अपना कार्यकाल शुरू किया है।

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राज्य में अभी आठ और मंत्री बनने हैं। लेकिन, सूत्र बताते हैं कि कैप्टन सरकार हाल-फिलहाल न तो मंत्रिमंडल का विस्तार करने की जल्दी करेगी और न ही कांग्रेस अपने संगठन में प्रधान पद के बदलाव में। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस हाईकमान अगले दो से तीन महीनों तक पंजाब में 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में रहेगी।

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बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश प्रधान पद छोड़ेंगे। ऐसे में कैप्टन के मुख्यमंत्री पद संभालते ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि पंजाब में कांग्रेस का अगला प्रदेश प्रधान कौन होगा। पार्टी के वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि चाहे पार्टी में प्रदेश प्रधान का चयन हो या मंत्रिमंडल का विस्तार दोनों के ही मध्यम में 2019 होगा। यानी पार्टी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर न सिर्फ मंत्रिमंडल का विस्तार करेगी बल्कि लोकसभा को ही देखकर प्रदेश प्रधान का चयन करेगी।


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