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असेंबली इलेक्‍शन: डेरा सच्‍चा सौदा का अकालियों को समर्थन

पंजाब विधानसभा चुनाव में डेरा सच्‍चा साैदा की राजनीतिक विंग ने अकाली दल को समर्थन देने की घोषणा की है। इससे चुनाव समीकरण पर काफी असर पड़ने की संभावना है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 02 Feb 2017 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2017 09:28 AM (IST)
असेंबली इलेक्‍शन: डेरा सच्‍चा सौदा का अकालियों को समर्थन
असेंबली इलेक्‍शन: डेरा सच्‍चा सौदा का अकालियों को समर्थन

जेएनएन, बठिंडा/संगरूर। आखिरकार डेरा सच्चा सौदा के राजनीतिक विंग ने चुनाव प्रचार थमने से ठीक एक दिन पहले शिअद-भाजपा गठबंधन को समर्थन देने का औपचारिक एलान कर दिया। बठिंडा और संगरूर में डेरा सच्चा सौदा के राजनीतिक विंग के पदाधिकारियों ने मंच से यह घोषणा की। इसके साथ ही शिअद ने भी पंजाब में डेरामुखी के सत्संग कार्यक्रम कराने का वादा कर दिया।

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इस घोषणा से पंजाब विधानसभा चुनाव में कई क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण प्रभावित होने की संभावना है। गौरतलब है कि 2007 के विवाद के बाद से डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह का पंजाब में कोई सत्संग नहीं हुआ है। वह 10 साल से पंजाब भी नहीं आए हैं। हालांकि उनके डेरों में पहले की तरह कार्यक्रम होते रहते हैं।

डेरा सच्चा सौदा के राजनीतिक विंग ने मंच से की औपचारिक घोषणा

बुधवार को बठिंडा में हुई डेरा साध संगत की बैठक में राजनीतिक विंग के सदस्य छिंदरपाल सिंह, जगजीत सिंह व बलराज सिंह और संगरूर में पदाधिकारी प्रेमी कृष्ण थरेजा ने एलान किया कि विंग ने शिअद-भाजपा को समर्थन देने का फैसला किया है। हालांकि डेरा के मुख्यालय सिरसा से अभी इसका औपचारिक एलान बाकी है।

शिअद ने किया पंजाब में डेरामुखी के सत्संग कराने का वादा

दूसरी ओर, इस मौके पर मौजूद तलवंडी साबो के विधायक व अकाली दल के प्रत्याशी जीत महिंदर सिंह ने मंच से कहा, 'हमारी सरकार बनते ही पंजाब में डेरामुखी के सत्संग कराए जाएंगे। मैंने तलवंडी साबो में भी यह घोषणा की थी। अब फिर से अपना वादा दोहरा रहा हूं।' उनकी इस घोषणा का डेरा प्रेमियों व राजनीतिक विंग के समर्थकों ने तालियां बजाकर स्वागत किया।

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गौरतलब है कि 30 जनवरी को डेरा मुखी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपने अनुयायियों को एकजुट होने का संदेश दिया था। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि जल्द ही डेरे का राजनीतिक विंग समर्थन का एलान करेगा। डेरे का दावा है कि मालवा के बठिंडा, मानसा, श्री मुक्तसर साहिब, फरीदकोट, फिरोजपुर व मोगा में उनके पांच लाख समर्थक हैं। मालवा की 69 में से 40 सीटों पर डेरे का खासा प्रभाव है।

10 साल से पंजाब नहीं आए डेरामुखी

मई 2007 में डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम दशम पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का वेश धारण करने के बाद विवादों में आए थे। 16 जुलाई, 2007 को इसके विरोध में डेरा मुखी पर हमला भी हुआ था। इसके बाद डेरा ने माफी मांगते हुए कहा था कि वे सभी सिख गुरुओं का सम्मान करते हैं। डेरा के एक प्रतिनिधिमंडल ने अकाल तख्त के माध्यम से सिख संगठनों से मिलकर भी गलती स्वीकार की थी।

अकाल तख्त ने इस माफी को नाकाफी बताया था, लेकिन इसे खारिज नहीं किया। इस दौरान डेरा मुखी के खिलाफ सिखों की भावनाओं को आहत करने के आरोप में आपराधिक केस भी दर्ज किया गया था, जिसे 2009 में बाद में सिरसा कोर्ट व बाद 2014 में बठिंडा कोर्ट ने रद कर दिया था।

2 फरवरी, 2008 में डेरामुखी पर दूसरी बार हमला हुआ। इमसें 11 लोग जख्मी हुए। 27 सितंबर, 2015 को अकाल तख्त ने डेरा का माफीनामा स्वीकार कर लिया। विरोध के बाद अकाल तख्त ने 16 अक्टूबर को माफीनामा अस्वीकार कर दिया।

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