जानिए, वो 5 कारण जिससे दिल्ली नगर निगम में AAP की हुई करारी हार
पिछले दो वर्षों में आम आदमी पार्टी ने कई ऐसे फैसले लिए या उनके लिए हालात बने, जिसके कारण उसकी दिल्ली में जमीन कमजोर होती गई।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली नगर निगम चुनाव में जिस तरह के नतीजे सामने आए हैं, उससे स्पष्ट हो चुका है कि आम आदमी पार्टी का वो जादू गायब हो गया है जो 2015 के विधानसभा चुनावों के समय या उससे पहले था।
निगम चुनाव में 'ईवीएम' राग अलापने वाली आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। जो पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज है, उसे दिल्ली वासियों ने पूरी तरह से नकार दिया। दरअसल, पिछले दो वर्षों में आम आदमी पार्टी ने कई ऐसे फैसले लिए या उनके लिए हालात बने, जिसके कारण उसकी दिल्ली में जमीन कमजोर होती गई।
आप का जादू बेअसर होने के पांच कारण
केजरीवाल का बार-बार दिल्ली से बाहर जाना
2015 विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 5 साल अरविंद केजरीवाल के नारे पर चुनाव लड़ा था। मगर इसके बाद भी पार्टी ने पंजाब और गोवा में चुनाव लड़ा, जो कि उनके खिलाफ गया। पंजाब में तो केजरीवाल के नाम पर ही पार्टी ने वोट मांगा। पंजाब और गोवा चुनाव के दौरान कई बार यह भी संदेश गया कि केजरीवाल दिल्ली छोड़कर पंजाब की कमान संभाल लेंगे। इस दौरान आप का प्रभुत्व दिल्ली में लगातार कम होता चला गया। इसके साथ ही पार्टी से दिल्ली के राजौरी गार्डन से विधायक जनरैल सिंह इस्तीफा देकर पंजाब चुनाव में लडऩे चले गए।
वादों पर खरे ना उतरना
दिल्ली सरकार ने कई बार वादे पूरे ना होने के लिए केंद्र सरकार पर रोड़े अटकाने का आरोप लगाया। इस दलील पर दिल्ली की जनता ने कम ही भरोसा किया। वाई-फाई, सीसीटीवी कैमरे जैसे वादों को पूरा न कर पाने से सरकार की नकारात्मक छवि बनी।
यह भी पढ़ें: MCD Election: जानें, ऐसा क्या हुआ जो अरविंद केजरीवाल ने आखिरकार मान ली हार
मंत्रियों पर गंभीर आरोपों का लगना
दिल्ली में सरकार बनने के साथ ही आप सरकार के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार और तरह-तरह के आरोप लगने लगे। सरकार का कोई मंत्री फर्जी डिग्री पर घिरा तो कोई सेक्स सीडी में फंस गया। मंत्रियों से लेकर नेताओं तक पर ऐसे गंभीर आरोप लगे कि उनमें से कई जेल भी गए। शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में भी केजरीवाल सरकार में फैले भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद लोगों के सामने आ गया।
मोदी को लगातार टारगेट करना
अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर व्यक्तिगत हमले करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। कई बार तो सीमा लांघते हुए केजरीवाल ने मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी की। उनके इन हमलों पर मोदी ने कभी पलटवार नहीं किया। केजरीवाल ने मोदी पर उस दौर में निशाना साधा, जब मोदी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है। मोदी के अलावा केजरीवाल उपराज्यपाल को भी निशाना बनाने के लिए लगातार सुर्खियों में रहे।
बड़े नेताओं को बाहर करना
आम आदमी पार्टी ने आंदोलन के समय से ही अपने साथ रहे योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और आनंद कुमार जैसे बड़े और साफ छवि के नेताओं को सत्ता में आते ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन नेताओं ने भी बाहर होते ही पार्टी के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया, जिससे पार्टी की नकारात्मक छवि बनी। इसके अलावा पार्टी के लोकप्रिय चेहरे कुमार विश्वास ने पार्टी में होते हुए भी नेताओं से दूरी बना ली। निगम चुनावों में कुमार विश्वास ने पार्टी के लिए प्रचार तक नहीं किया।
यह भी पढ़ें: MCD जीत पर बोले मनोज तिवारी-दिल्ली वालों को हक दिलाने के लिए एक कर देंगे दिन-रात