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MP Election 2018 : उम्मीदवारों के पास है वोटर्स की कुंडली, ऐसे होगा बूथ मैनेजमेंट

MP Election 2018 : उम्मीदवार का जोर ऐसे बूथ पर हैं, जहां पिछली बार जनता का साथ मिला था।

By Saurabh MishraEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 02:09 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 02:09 PM (IST)
MP Election 2018 : उम्मीदवारों के पास है वोटर्स की कुंडली, ऐसे होगा बूथ मैनेजमेंट
MP Election 2018 : उम्मीदवारों के पास है वोटर्स की कुंडली, ऐसे होगा बूथ मैनेजमेंट

जबलपुर। पार्टी और प्रत्याशियों के पास एक-एक मतदाता की कुंडली आ चुकी है। मतदान करने में अभी भले ही वक्त है, लेकिन प्रत्याशियों ने पुराने नतीजों से पूरा चुनावी समीकरण तय कर लिया है। वो उसी के आधार पर प्रचार भी कर रहे हैं। प्रचार का वक्त कम है, इसलिए फोकस उन इलाकों पर हो रहा है, जहां से वोट पक्के हैं। हालांकि जहां से उम्मीद बन रही है उन इलाकों में भी प्रत्याशी पहुंच रहे हैं। 

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प्रमुख दलों में मतदाताओं की कुंडली बनाने का काम महीनों पहले हो चुका। इन्होंने बाकायदा बूथ स्तर पर किस पार्टी को अधिक समर्थन मिला, इसका ब्योरा बनाकर रखा है। भाजपा के सूत्रों की मानें तो प्रत्याशियों ने चार कैटेगरी में बूथ को बांटा है। इसमें ए से लेकर डी कैटेगरी रखी गई है। इससे बूथ आसानी से चिन्हित किए जा रहे हैं कि ये भाजपा समर्थित है कि नहीं। उसी के मुताबिक उन इलाकों में प्रचार का काम करवाया जा रहा है। कांग्रेस भी इसी मोड में काम रही है।

ए और बी पर फोकस

पार्टियां सबसे पहले उन इलाकों में अधिक प्रचार कर रही हैं, जहां उनके वोट पक्के हैं। ए ग्रेड और बी ग्रेड के बूथ में प्रत्याशी घर-घर पहुंचकर अपने वोट पक्के करना चाह रहे हैं। इसके बाद वो सी और डी ग्रेड में प्रचार कर रहे हैं। प्रचार खत्म होने में करीब 11 दिन शेष हैं, ऐसे में प्रत्याशी को हर घर में प्रचार कर पाना मुमकिन नहीं होगा। इसी वजह से उनके समर्थक सी और डी ग्रेड के बूथ में पहुंचकर प्रचार कर रहे हैं।

ऐसी है ग्रेडिंग

ए ग्रेड- ऐसे बूथ जहां पार्टी को 75 फीसदी से ज्यादा वोट मिले।

बी ग्रेड- वो बूथ जहां से पार्टी को 50 फीसदी वोट मिले।

सी ग्रेड- ऐसे बूथ जहां पार्टी को कभी 50 से कम या ज्यादा वोट मिले।

डी ग्रेड- ऐसे बूथ जिनमें पार्टी को हमेशा हार मिली है।

निर्दलीय हर तरफ मार रहे हाथ-पांव

निर्दलीय प्रत्याशी पार्टियों से अलग हर तरफ खुद के लिए वोट मांगने की कोशिश कर रहे हैं। उनका प्रचार अभियान भी पूरी विधानसभा क्षेत्र में हो रहा है। निर्दलीयों के सामने जहां खुद को पार्टियों के मुकाबले स्टैंड करना बड़ी चुनौती है वहीं चुनाव चिन्ह लोगों के बीच पहुंचाना भी आसान काम नहीं है। ऐसे में वो किसी भी क्षेत्र को नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।  


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