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Madhya Pradesh Elections 2018: गढ़ भाजपा का, लेकिन बढ़त की उम्मीद कांग्रेस को

Madhya Pradesh Elections 2018: मालवा-निमाड़ में पिछले विस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक था।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 11:13 AM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 11:13 AM (IST)
Madhya Pradesh Elections 2018: गढ़ भाजपा का, लेकिन बढ़त की उम्मीद कांग्रेस को
Madhya Pradesh Elections 2018: गढ़ भाजपा का, लेकिन बढ़त की उम्मीद कांग्रेस को

इंदौर, अभिषेक चेंडके। मालवा-निमाड़ में पिछले विस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक था। इस अंचल में कांग्रेस ने 66 में से सिर्फ 9 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार कांग्रेस का स्कोर बढ़ सकता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने टिकट बांटने में अलग रणनीति अपनाई है, इसका उसे फायदा मिल सकता है। उधर कांग्रेस से ज्यादा बगावत का सामना इस बार भाजपा को करना पड़ रहा है।

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जिसका असर चुनाव में पड़ सकता है। पूर्व सांसदों को दिया टिकट कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ में पूर्व सांसदों को चुनाव लड़ाने की रणनीति अपनाई है। यह कितनी कारगर रहेगी, यह तो वक्त ही बताएगा। महेश्वर में विजयलक्ष्मी साधौ, सोनकच्छ से सज्जन सिंह वर्मा मैदान में है। भाजपा ने सांसद मनोहर ऊंटवाल को टिकट दिया है।

कम अंतर से हारने वालों को किया रिपीट

कांग्रेस ने इस बार पिछला चुनाव कम अंतर से हारने वाले नेताओं को रिपीट किया है। इसका असर इस चुनाव में पड़ेगा। खरगोन, खंडवा, धार जिलों के अलावा रतलाम जिले में ऐसे ही उम्मीदवारों को फिर मौका दिया गया है।

बड़े नेताओं के परिवार और रिश्तेदारों को मौका

पिछले चुनाव में कांग्रेस में बड़े नेताओं के बेटों और रिश्तेदारों को टिकट देने में कंजूसी की थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। कांग्रेस का मानना है कि राजनीति से जुड़े परिवार के सदस्यों को पहचान की जरुरत नहीं होती है। इस फॉर्मूले पर झाबुआ क्षेत्र में एक बड़े नेता के परिवार से दो लोगों को टिकट मिल गया है।

डैमेज कंट्रोल की कवायद

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुछ सीटों का नुकसान बागियों के कारण उठना पड़ा था। कांग्रेस ने बागियों का निष्कासन समाप्त कर उनमें से कुछ बागियों को टिकट ही दे डाला। इस बार जो नेता बगावत कर चुनाव में खड़े हैं, उन्हें बैठाने के लिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने भी कवायद की। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी डैमेज कंट्रोल के लिए काफी कोशिश की।

पिछले चुनाव में कांग्रेस ने की थी यह गलती

- मालवा निमाड़ में विधायकों के खिलाफ हुई एंटी इन्कमबेंसी को कांग्रेस ने नहीं समझा और 20 में से 2 विधायकों के टिकट ही काटे और 18 विधायकों को रिपीट किया, लेकिन उनमें से दो विधायक ही चुनाव दोबारा जीत पाए।

- पिछले चुनाव में कांग्रेस ने टिकट देरी से बांटे। इससे उम्मीदवार को जनता के बीच जाने का समय कम मिला। इस बार कांग्रेस ने ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा से पहले सूची जारी कर दी, जबकि कई दावेदारों को पहले ही चुनाव लड़ने का इशारा कर दिया था।

- पिछले चुनाव के समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। तब बड़े नेताओं की सभाएं तो मालवा-निमाड़ में हुई, लेकिन ज्यादा क्षेत्र कवर नहीं हुए। इस बार रोड शो और सभाओं पर कांग्रेस का काफी फोकस रहा।

टिकट वितरण ठीक हुआ

इस बार कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में टिकट अच्छे बांटे है। मालवानिमाड़ के टिकटों पर तो काफी मंथन किया गया। इस क्षेत्र से हमें उम्मीदें भी काफी है। - केके मिश्रा, सदस्य, अभा कांग्रेस कमेटी

बीते तीन चुनावों में मालवानिमाड़ में भाजपा की बढ़त ने ही प्रदेश में सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इस बार भी सत्ता का रास्ता यहीं से ही निकलेगा। - कृष्णमुरारी मोघे, वरिष्ठ भाजपा नेता व अध्यक्ष, मप्र हाऊसिंग बोर्ड 


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