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MP Chunav 2018 : गैरों का नहीं अपनों का है डर, बागियों के तीखे तेवर बिगाड़ रहे गणित

MP Chunav 2018 : मुरैना की विधानसभा सीटों पर बसपा, कांग्रेस के लिए बागियों ने परेशानी बढ़ा रखी है। जीत-हार में ये अंतर पैदा कर सकते हैं।

By Saurabh MishraEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 12:22 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 12:22 PM (IST)
MP Chunav 2018 : गैरों का नहीं अपनों का है डर, बागियों के तीखे तेवर बिगाड़ रहे गणित
MP Chunav 2018 : गैरों का नहीं अपनों का है डर, बागियों के तीखे तेवर बिगाड़ रहे गणित

मुरैना। विधानसभा चुनाव में अंतिम समय तक भाजपा व कांग्रेस और बसपा ने अपने-अपने दल के बागी प्रत्याशियों के फार्म वापस कराने के लिए प्रयास किए, लेकिन इन प्रयासों में भाजपा को केवल सुमावली सीट पर ही सफलता मिल सकी। जहां पर रामनरायण कुशवाह ने फार्म वापस लिया। इसके बाद सबलगढ़, सुमावली, मुरैना व अंबाह में बागी मैदान में डटे हुए हैं।

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ये बागी प्रत्याशी अपनी ही पार्टी के लिए संकट का कारण बन रहे हैं। इसके अलावा हर सीट पर पार्टी के अंदर रहकर अपने प्रत्याशी के साथ भितरघात करने वाले नेता व कार्यकर्ता भी लगे हुए हैं। जो दिखाने के लिए तो पार्टी में हैं, लेकिन काम विरोधी प्रत्याशी के लिए कर रहे हैं। ऐसे नेताओं की संख्या काफी अधिक है। 

इस तरह विधानसभा के हिसाब से देखें कहां पर कौन है बागी

सबलगढ़ विधानसभा का हाल

भाजपा के पूर्व प्रदेश कार्य समिति सदस्य चंद्रप्रकाश शर्मा बागी प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं। हालांकि संगठन ने उन पर दबाव डाला, लेकिन वे नहीं मानें। बुधवार को उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और वे निर्दलीय तौर पर मैदान में हैं। उनका कहना है कि भाजपा 1980 से एक ही परिवार के सदस्य को टिकट देती आ रही है। संगठन पर परिवारवाद हावी हो गया है। इसलिए वे संगठन से इस्तीफा देकर मैदान में हैं। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस से कोई बागी नहीं है, लेकिन बाहरी प्रत्याशी के थोपे जाने से टिकट के दावेदार पार्टी में रहकर भितरघात कर सकते हैं। इसलिए यहां पर कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है।

जौरा विधानसभा में है ये चुनौती

यहां न तो भाजपा की ओर से कोई बागी है और न ही कांग्रेस से। साथ ही बसपा से भी कोई बागी नहीं है। चूंकि यहां पर पहले से ही तकरीबन प्रत्याशियों की स्थिति साफ थी इसलिए यहां पर प्रत्याशियों को भितरघात का भी सामना नहीं करना पड़ रहा है, लेकिन यहां पर जातीय समीकरणों की वजह से सभी प्रत्याशी संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं।

सुमावली विधानसभा का ऐसा है हाल

भाजपा प्रत्याशी के सामने बागी रामनारायण ने जरूर नामांकन फार्म भरा था, लेकिन बुधवार को उन्होंने वापस ले लिया। इसलिए भाजपा के आगे बागी की समस्या दूर हो गई। कांग्रेस में कोई भी प्रत्याशी बागी नहीं था और ऐसा कोई प्रत्याशी भी नहीं था कि जो भितरघात कर सके, लेकिन बसपा को यहां बगावत का दंश झेलना पड़ रहा है। यहां पर बसपा के सोवरन सिंह सिकरवार टिकट न मिलने पर समाजवादी पार्टी से टिकट ले आए और मैदान में है। सोवरन सिंह बसपा प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह के लिए संकट की वजह बन सकते हैं।

मुरैना विधासनभा में बसपा के लिए बढ़ी मुश्किल 

बगावत केवल बसपा ही झेल रही है। रामप्रकाश राजौरिया ने बसपा से बगावत कर आम आदमी से मैदान में हैं। हालांकि बसपा प्रत्याशी व उनके समधी बलवीर सिंह ने कई बार उन्हें मनाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। ऐसे में मुरैना में बसपा पहले के चुनावों में पहले या दूसरे नंबर पर रहती थी। इस बार मुश्किल हो रही है।

आप प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया का कहना है कि विरोधी उनके खिलाफ झूठी अफवाह फैला रहे हैं। जबकि वे चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि कांग्रेस व भाजपा में बागवत नहीं है, लेकिन यहां पर भितरघात अधिक है। कांग्रेस के जो दावेदार टिकट की दौड़ में थे, वे दिखाने के लिए तो पार्टी प्रत्याशी के साथ हैं, लेकिन अंदर से वे समर्थन नहीं कर रहे हैं। इसी तरह भाजपा में कार्यकर्ता व नेता भितरघात कर रहे हैं।

दिमनी विधानसभा 

यहां न तो किसी दल का बागी प्रत्याशी है और न ही भितरघात। मुकाबला कांग्रेस, भाजपा व बसपा के प्रत्याशियों के बीच में है। इसलिए यहां पर मुकाबला काफी रोचक हो रहा है। तीनों प्रत्याशी अपना अपना दम लगा रहे हैं।

अंबाह विधानसभा में कांग्रेस की चुनौती बढ़ी

कांग्रेस को बगावत का दंश झेलना पड़ रहा है। यहां पर कांग्रेस के ही विजय छारी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं। साथ ही कांग्रेस को भितरघात का भी सामना करना पड़ रहा है। पोरसा क्षेत्र के कांग्रेसी नेता प्रत्याशी को पचा नहीं पा रहे हैं। भाजपा में भी भितरघात है और टिकट का दावा करने वाले नेता अंदर से प्रत्याशी के विरोध में काम कर रहे हैं।  


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