MP में गठबंधन फिर खटाई में, सपा-बसपा ने शुरू की चुनावी तैयारी
बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने तैयार की समीक्षा रिपोर्ट। 19 जनवरी के बाद गठबंधन के मुद्दे पर होगा फैसला।
भोपाल। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तीखी टिप्पणी के बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन का मामला खटाई में पड़ता दिखने लगा है। सपा की मप्र इकाई ने लोकसभा की चुनावी तैयारियों के संदर्भ में अपनी रिपोर्ट लखनऊ भेजी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मप्र में चुनावी सर्वे शुरू करा दिया है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान सपा-बसपा के साथ कांग्रेस के गठबंधन को लेकर अंतिम समय तक केवल चर्चा ही चलती रहीं। बाद में सपा-बसपा ने ही अपना अलग रास्ता अख्तियार कर लिया। मंत्रिमंडल गठन में सपा विधायक को तवज्जो नहीं मिलने पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तीखी प्रतिक्रिया के बाद लोकसभा चुनाव में भी प्रस्तावित गठबंधन खटाई में पड़ता दिखने लगा है। सपा की प्रदेश इकाई ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी का रोडमैप लखनऊ भेज कर पार्टी से दिशा निर्देश मांगा है।
इसी तरह बसपा सुप्रीमो ने अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामजी गौतम को मप्र प्रवास पर भेजा है। गौतम ने प्रदेश के सभी जोन में घूम-घूमकर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से विचार विमर्श किया। साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए आगामी तैयारियों को लेकर फीडबैक हासिल किया।
बसपा अपने प्रभाव क्षेत्र की सीटों पर फोकस करने की रणनीति बनाने में जुट गई है। प्रदेश की सभी 29 सीटों पर बसपा सर्वे रिपोर्ट भी तैयार कर रही है, साथ ही विधानसभा चुनाव में जो कमियां रह गईं उनकी समीक्षा भी की जा रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीपी चौधरी ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गौतम ने सभी क्षेत्रों की समीक्षा रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने बताया कि गठबंधन के मुद्दे पर पार्टी सुप्रीमो ही अंतिम फैसला सुनाएंगी।
उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गठबंधन के मुद्दे पर 19 जनवरी को गैर भाजपाई दलों की बैठक बुलाई है। इसमें सपा अध्यक्ष अखिलेश ने शामिल होने की मंजूरी दी है। सूत्रों का दावा है कि इसके बाद गठबंधन के मुद्दे पर सपा अपना नजरिया स्पष्ट कर देगी।
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ सपा का अनुभव उत्साहजनक नहीं रहा, इसलिए लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी ने अभी से अपनी अलग लाइन ले ली है। पार्टी का कहना है कि गठबंधन का असर सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा। उप्र में सपा की तुलना में कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर बताई जा रही है। सपा के प्रदेश प्रवक्ता यश यादव का कहना है कि मप्र में सरकार गठन के दौरान कांग्रेस ने अपनी ओर से सहयोग की भावना नहीं दिखाई।