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जब अटलजी के लिए बनती खीर, नरेंद्र मोदी भी इसी मंदिर में आकर रुकते थे

खाकी निकर व सफेद कमीज में खीर खाने कैथल पहुंचे गए थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी। माईलाल सैनी ने चुनाव के रोचक किस्‍से साझा किए। भाजपा के टिकट पर लड़ा था चुनाव।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 12:14 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 12:16 PM (IST)
जब अटलजी के लिए बनती खीर, नरेंद्र मोदी भी इसी मंदिर में आकर रुकते थे
जब अटलजी के लिए बनती खीर, नरेंद्र मोदी भी इसी मंदिर में आकर रुकते थे

कैथल [सुरेंद्र सैनी]। चुनावी उत्‍सव में एक से एक संस्‍मरण अब आंखों के सामने घूम रहे हैं। बुजुर्गों के पास रोचक किस्‍सों की कमी नहीं है। ये किस्‍से प्रेरित भी करते हैं और बताते हैं कि नेता अपनी सोच से कैसे बड़े हो जाते हैं। वर्ष 1964 से 2011 तक लगातार 47 साल कैथल में  महाभारत कालीन श्री ग्यारह रुद्री प्राचीन शिव मंदिर संस्था के प्रधान रहे 75 वर्षीय माईलाल सैनी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व. अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बिताए दिनों को याद किया। उन्हें आज भी याद है 1970 में मंदिर के पास संघ कार्यकर्ताओं ने खीर कार्यक्रम रखा हुआ था। अटल जी को खीर बहुत पसंद थी। उनके लिए खीर का खासतौर पर प्रबंध किया गया था।

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इस कार्यक्रम में वे पहली बार उनसे मिले तो उनकी छवि व संबोधन से बहुत प्रभावित हुए। वाजपेयी जी खाकी निकर व सफेद कमीज पहन इस कार्यक्रम में पहुंचे थे। उस समय गिने-चुने वर्कर ही होते थे। सबसे मिलते हुए देश को मजबूत करने की बात कही। इसी प्रकार रोहतक में आयोजित कार्यक्रम में लाल कृष्ण आडवानी से भी पहली बार मिले, इन दोनों नेताओं से काफी कुछ सीखने को मिला।

1977 में ठुकरा दिया था टिकट
माईलाल सैनी बताते हैं कि वर्ष 1977 में जनसंघ की तरफ से टिकट दिया गया, लेकिन उन्होंने यह कहकर चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया कि पार्टी में उनसे सीनियर रघुनाथ है, इसलिए उन्हें पहले चुनाव लड़ाया जाए। पार्टी ने उनकी बात को मानते हुए रघुनाथ को यहां से चुनाव लड़ाया। वर्ष 1991 में उन्होंने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा, वे चौथे नंबर पर रहे। प्रदेश में भाजपा पार्टी की तरफ से वोट लेने में उनका स्थान भी चौथा रहा। तीसरे नंबर पर कंवर पाल गुर्जर थे, जो अब स्पीकर हैं।

साइकिल या पैदल करते थे प्रचार
चुनाव के दौरान पैदल या साइकिल पर प्रचार करते थे। जब जनता के बीच जाते तो उनकी अलग पहचान होती थी, यह कहते थे कि निकर वालों की पार्टी के नेता आ गए। गांव में एक चौपाल में लोग एकत्रित हो जाते थे, कोई चुनावी मुद्दे नहीं बल्कि देश हित की बातें होती थी। आज के नेताओं में टिकट लेने को लेकर होड़ सी मची हुई है, अब कोई ये कहने वाला नहीं मिलेगा की टिकट मेरे से सीनियर नेता को मिलनी चाहिए, अब स्वच्छ नहीं स्वार्थ की राजनीति है। जनता से झूठे वायदे करते हैं, टिकट के लिए पैसा तो दूर अपना इमान तक बेच देते हैं। वोटर को पैसा, शराब, नौकरी लगवाने का लालच दिया जाता है, लेकिन पहले के चुनावों में ये नहीं था। प्रचार पर बहुत कम खर्च होता था, आज करोड़ों रुपये बहाया जा रहा है।

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हरियाणा के प्रभारी रहे हैं नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में रात तो नहीं गुजारी, लेकिन जब वे हरियाणा व पंजाब के प्रभारी रहे तो कई बार मंदिर में कार्यकर्ताओं की बीच पहुंचे। माईलाल बताते हैं कि इमरजेंसी के दौरान तीन माह तक कैथल जेल में रहे। देश व समाज के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया।

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मंदिर में ही सोते थे खट्टर व गणेशीलाल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व उड़ीसा के राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल के साथ बिताए पलों को याद करते हुए माईलाल सैनी बताते हैं कि 25 से 30 बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल ग्यारह रुद्री मंदिर में सोये हैं। कई बार तो प्रो. गणेशीलाल व मनोहर लाल और वे तीनों एकत्र हो जाते थे। गणेशीलाल अपने साथ एक बड़ा गिलास रखते थे और उसी में अपनी चाय पीते थे। ज्यादातर समय में वे खुद ही चाय बनाकर हमें पिलाते थे।


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