UP Lok Sabha Election Result 2019 : उत्तर प्रदेश एक बार फिर नरेंद्र मोदी का 'गेटवे आफ दिल्ली'
UP Lok Sabha Election Result 2019पीएम नरेंद्र मोदी मैजिक के चलते क्षेत्रीय क्षत्रपों का गठजोड़ विफल हुआ और सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के सपने टूट गये।
लखनऊ [आनन्द राय]। 17वीं लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने 80 में 64 सीटें भाजपा और सहयोगियों की झोली में डालकर विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया। पीएम नरेंद्र मोदी मैजिक के चलते क्षेत्रीय क्षत्रपों का गठजोड़ विफल हुआ और सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के सपने टूट गये। स्टार प्रचारक प्रियंका वाड्रा को सक्रिय राजनीति में लाने के बावजूद कांग्रेस को पहले की अपेक्षा और बड़ी शिकस्त मिली। मोदी के लिए एक बार फिर उत्तर प्रदेश 'गेटवे आफ दिल्ली' बन गया है।
लोकसभा चुनाव 2014 में उत्तर प्रदेश से सहयोगियों समेत भाजपा को 73 सीटें मिली थीं लेकिन, तब न तो मोदी के विरोध में दलों का धु्रवीकरण हुआ था और न ही कांग्रेस इस कदर हमलावर थी। इस बार गठबंधन के चलते चुनौतियां बड़ी थीं क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में 270 विधानसभा क्षेत्रों में सपा-बसपा के वोट भाजपा के वोट से ज्यादा थे। इस हिसाब से भाजपा के लिए 54 लोकसभा सीटों पर चुनौती बनी थी लेकिन, गठबंधन के समीकरण धराशायी हो गए। मतदाताओं ने मोदी को प्राथमिकता दी। जीरो से उठकर बसपा ने इस बार जरूर 10 सीटें जीतीं लेकिन, सपा को अपने पुराने आंकड़ों पर ही संतोष करना पड़ा है। सपा के खाते में सिर्फ पांच सीटें गई हैं और परिवार के तीन सदस्यों को हार का सामना करना पड़ा है। 17वीं लोकसभा में भाजपा के बाद बसपा सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। रालोद के लिए भी गठबंधन करना फायदे का सौदा साबित नहीं हो सका।
कांग्रेस को प्रियंका वाड्रा अस्त्र चलाने के बावजूद नुकसान हुआ। अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के किले पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कब्जा कर लिया। सिर्फ रायबरेली सीट पर सोनिया की जीत से किसी तरह कांग्रेस का खाता खुल गया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत सहेजने में कामयाब रहे तो गोरखपुर में सिने स्टार रवि किशन ने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा बढ़ा दी।
कड़वा बोलने वालों को मोदी का सबक
चुनावी नतीजों ने कई संदेश दिए हैं। मोदी के खिलाफ उग्र, कड़वे शब्द बोलने वालों को मतदाताओं ने सबक सिखाया है। इसके सबसे बड़े उदाहरण कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हैं जिन्होंने मोदी के लिए 'चौकीदार चोर है'जैसी भाषा का इस्तेमाल किया। बहराइच की भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले, इलाहाबाद के श्यामाचरण गुप्ता, इटावा के अशोक दोहरे जैसे लोग भाजपा में सांसद रहते हुए मोदी पर हमलावर रहे और कांग्रेस और सपा का टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन, उन्हें भी वोटरों ने सबक सिखा दिया। करीब ढाई वर्ष तक भाजपा गठबंधन में सहयोगी रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार के बर्खास्त मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी विद्रोही तेवर अपनाकर भाजपा के खिलाफ 22 उम्मीदवार उतारे। उनके उम्मीदवारों की जमानत तो नहीं बची लेकिन, गाजीपुर, चंदौली जैसी कुछ सीटों पर बड़े नेताओं की धड़कन जरूर बढ़ा दिए।
परिवारवाद को नकारा
वर्ष 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को पांच सीटें मिलीं थीं। यह सभी सीटें मुलायम परिवार के ही खाते में दर्ज हुईं लेकिन, इस बार घर की कई सीटें गंवानी पड़ी हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की दिल्ली की राह आसान हो गई लेकिन, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को कन्नौज और अखिलेश के भाई धर्मेंद्र यादव को बदायूं और अक्षय यादव को फीरोजाबाद में हार मिली। मततदाताओं ने परिवारवाद को नकारने का संदेश दिया है।
अध्यक्षों को मिली शिकस्त
इस चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को फतेहपुर सीकरी, रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह को मुजफ्फरनगर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को फीरोजाबाद, बसपा प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को सलेमपुर और जनवादी पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान को चंदौली के मतदाताओं ने पराजित कर दिया।
केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को झटका
केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा गाजीपुर में खूब विकास किये लेकिन, उन्हें पराजय मिली। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गाजियाबाद और महेश शर्मा गौतमबुद्धनगर में चुनाव जीत गये हैं। बागपत में सत्यपाल सिंह को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। फतेहपुर में साध्वी निरंजन ज्योति और सुलतानपुर में मेनका गांधी चुनाव जीत गई हैं। मोदी सरकार की एक और मंत्री अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल भी चुनाव जीत गई हैं।
मुकुट बिहारी को जनता ने नकारा
प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को अंबेडकरनगर की जनता ने नकार दिया। योगी सरकार की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद, सत्यदेव पचौरी कानपुर और प्रोफेसर एसपी बघेल आगरा में चुनाव जीत गये लेकिन, वर्मा को पराजय मिली। सहकारिता विभाग में भ्रष्टाचार के आरोपों का भी खामियाजा वर्मा को उठाना पड़ा है। इस नतीजे से जनता ने योगी सरकार के कामकाज के प्रति भी अपनी संतुष्टि जताई है।
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