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Loksabha Election 2019 : यूपी में तीसरा चरण : गठबंधन का इम्तिहान तो रिश्तों की परख भी

उप्र में चुनाव का तीसरा चरण इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें गठबंधन की ताकत की असली परीक्षा होगी। इसमें मुलायम आजम जयाप्रदा संतोष गंगवार और शिवपाल की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 08:12 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 08:12 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : यूपी में तीसरा चरण : गठबंधन का इम्तिहान तो रिश्तों की परख भी
Loksabha Election 2019 : यूपी में तीसरा चरण : गठबंधन का इम्तिहान तो रिश्तों की परख भी

लखनऊ [अवनीश त्यागी] । लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की दस संसदीय सीटों के लिए 23 अप्रैल को होने वाले मतदान में गठबंधन की मजबूती के साथ परिवारिक रिश्तों की परख भी होगी। मुलायम सिंह यादव, संतोष गंगवार, आजम खां, जयाप्रदा, वरुण गांधी, शफीकुर्रहमान व शिवपाल यादव जैसे दिग्गजों का इस चरण में इम्तिहान होगा। सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा के साथ कांग्रेस की कई सीटों पर दमदार मौजूदगी से मुकाबले रोचक हो गए हैं।

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सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले रामपुर में मुकाबला बेहद दिलचस्प व कड़ा है। सपा के पूर्व मंत्री आजम खां और भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा के बीच नजर आ रही सीधी टक्कर पर सबकी निगाह लगी है। यहां से दो बार सांसद रहीं जयाप्रदा पर आजम के अमर्यादित हमलों ने चुनाव को इमोशनल मोड़ दे दिया है। सपा को भरोसा है कि बसपा की दलित वोटों के सहारे आजम खां की लोकसभा सांसद बनने की मुराद जरूर पूरी हो जाएगी लेकिन, मुस्लिम सियासत में हिस्सेदारी बरकरार रखने के लिए नवाब परिवार आड़े आता दिख रहा है। कांग्रेस प्रत्याशीसंजय कपूर के आगे सियासी वजूद का संकट है।

यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सामने भाजपा ने गत चुनाव में हारे प्रेम सिंह शाक्य को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने मुलायम सिंह को वाक ओवर दिया है। स्वास्थ्य कारणों के चलते मुलायम सिंह प्रचार में अधिक समय नहीं दे पा रहे है लेकिन, बसपा व कांग्रेस का समर्थन मिल जाना उनकी स्थिति और मजबूत करता दिख रहा है। फीरोजाबाद संसदीय क्षेत्र यादव कुनबे की आंतरिक कलह का कुरुक्षेत्र बना है। बागी हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए पसीना बहा रहे हैंं। सपा महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे व सांसद अक्षय यादव अपने चाचा शिवपाल यादव के लिए चुनौती बने हैं। भाजपा ने गत चुनाव में हारे एसपी सिंह बघेल की जगह चंद्रसेन जादौन को प्रत्याशी बनाया है। अक्षय बनाम शिवपाल की लड़ाई से सुर्खियों में आये इस क्षेत्र में भाजपा की उम्मीद वोट बंटवारे पर टिकी है।

बरेली में वर्ष 2009 को छोड़कर वर्ष 1989 से 2014 तक जीते केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के सामने अगली पारी की चुनौती है। सपा ने पूर्व विधायक भगवतशरण गंगवार को उतार उनकी मुश्किल बढ़ायी है क्योंकि दोनों कुर्मी बिरादरी से हैं। बसपा का समर्थन सपा के लिए फायदे का सौदा माना जा रहा है। कांग्रेस ने 2009 में संतोष गंगवार को करीब 9 हजार वोटों से हराने वाले प्रवीण सिंह ऐरन को उम्मीदवार बनाया है। तिकोने मुकाबले में ही भाजपा फिर संभावनाएं देख रही है।

पीलीभीत में मेनका गांधी का पलड़ा भारी रहा है। 1996 से 2014 के बीच 2009 छोड़ मेनका इसी क्षेत्र से लगातार सांसद रही हैं। 2009 मेें वरुण गांधी ने रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार वरुण फिर से मैदान में हैं। सपा ने पूर्व मंत्री हेमराज वर्मा को गठबंधन प्रत्याशी बनाकर उतारा है। कांग्रेस ने यह सीट अपना दल (कृष्णा पटेल) को दी लेकिन, सिंबल विवाद के चलते सुरेंद्र गुप्ता को निर्दल प्रत्याशी के रूप में लड़ना पड़ रहा है।

मुरादाबाद में एक तिहाई से अधिक मुस्लिम वोटर हैं। वर्ष 1977 के बाद दो बार ही गैरमुस्लिम उम्मीदवार जीता है। 2014 में भाजपा का झंडा फहराने वाले कुंवर सर्वेश सिंह फिर से मैदान में हैं। सपा ने गत चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे एसटी हसन को फिर उतारा है। कांग्रेस ने शायर इमरान प्रतापगढ़ी जैसे बड़े नाम को टिकट थमा कर क्रिकेटर व पूर्व सांसद अजहरूद्दीन जैसा दांव चला है। भाजपा की उम्मीद धुव्रीकरण और सपा-कांग्रेस मेें वोटों के बंटवारे पर ही टिकी है।

संभल में वोटों के समीकरण को देखते हुए सपा-बसपा गठबंधन भाजपा के लिए जटिल चुनौती है। भाजपा ने सांसद सत्यपाल सैनी के बदले पूर्व एमएलसी परमेश्वर लाल सैनी को टिकट दिया है। इस सीट से मुलायम सिंह और रामगोपाल यादव भी सांसद रह चुके हैं। मोदी लहर के चलते गत चुनाव में भाजपा ने खाता खोला लेकिन, सपा के शफीकुर्रहमान से मामूली अंतर से जीत मिल सकी थी। शफीकुर्रहमान बसपा से गठबंधन के साथ फिर मैदान में हैं। कांग्रेस ने जेपी सिंह को टिकट दिया है। ऐसे में भाजपा की मुश्किलें आसान होती नहीं दिख रही हैं।

एटा को पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का गढ़ माना जाता है। उनके पुत्र और सांसद राजवीर सिंह को भाजपा ने फिर उम्मीदवार बनाया है। सपा ने दो बार सांसद रहे और गत चुनाव में हारे देवेंद्र यादव को फिर टिकट दिया है। लोधी, शाक्य व यादव बहुल वाले इलाके में कांग्रेस ने सीधे मैदान में न उतर कर यह सीट पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी को दी है।

बदायूं में सपा की मुश्किलें कांग्रेस ने बढ़ाई है। यहां सांसद व मुलायम के भतीजे धर्मेन्द्र यादव के खिलाफ कभी यादव परिवार के निकट रहे पूर्व सांसद सलीम शेरवानी कांग्रेस के टिकट पर मजबूती से डटे हैं। बदायूं में मुकाबला रोचक इसलिए हो गया है, क्योंकि यहां भाजपा ने मंत्री स्वामीप्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य को मैदान में उतारा है।

आंवला संसदीय सीट चौंकाने वाले फैसलों को लेकर चर्चा में रही है। वर्ष 2009 में मेनका गांधी से मामूली अंतर से हारने वाले धर्मेंद्र कश्यप पाला बदल भाजपा में आए और 2014 में 1.38 लाख वोटों से जीते। इस बार धर्मेंद्र के सामने सपा-बसपा गठबंधन ने बिजनौर निवासी रुचि वीरा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने तीन बार सांसद रहे सर्वराज सिंह को उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।

कुल 120 उम्मीदवार, 1.76 करोड़ मतदाता

तीसरे चरण में कुल 120 उम्मीदवार मैदान में हैं और मतदाताओं की कुल संख्या 1.76 करोड़ है, जिनमें 95.5 लाख पुरुष, 80.9 लाख महिला और 983 तृतीय लिंग के मतदाता हैं। 18 से 19 वर्ष आयु वाले 298619 मतदाता है। 80 वर्ष से अधिक के मतदाताओं की संख्या 299871 है। दस निर्वाचन क्षेत्रों में 12128 मतदान केंद्र व 20110 मतदेय स्थल स्थापित हैं।


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