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Lok Sabha Election 2019: अंतिम चरण का मतदान जारी, PM मोदी समेत दांव पर लगी है इन दिग्गजों की साख

Lok Sabha Election 2019 अंतिम चरण का मतदान रविवार 19 मई को सुबह 7 बजे शुरू हो गया। 23 मई को मतगणना के साथ ही पता चलेगा कि जनता ने किसके सिर पर ताज सजाया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 09:29 AM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 04:43 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: अंतिम चरण का मतदान जारी, PM मोदी समेत दांव पर लगी है इन दिग्गजों की साख
Lok Sabha Election 2019: अंतिम चरण का मतदान जारी, PM मोदी समेत दांव पर लगी है इन दिग्गजों की साख

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में रविवार को आठ राज्यों की 59 सीटों पर मतदान हो रहा है। इनमें पंजाब की सभी 13, हिमाचल प्रदेश की सभी चार, उत्तर प्रदेश की शेष 13, बिहार की आठ, झारखंड की तीन, मध्य प्रदेश की आठ और पश्चिम बंगाल की शेष नौ सीटों पर वोट पड़ रहे हैं। केंद्र शासित चंडीगढ़ की एकमात्र सीट भी इसमें शामिल है। 23 मई की तिथि मतगणना के लिए निर्धारित है

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सभी ने झौंकी ताकत, निर्णायक होगा आखिरी दांव [ उत्तर प्रदेश 13 सीट ]
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी की वजह से उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण का मतदान महत्वपूर्ण हो गया है। इस चरण में पूर्वांचल की ही अधिकांश सीटें हैं, जिनमें 2014 में भाजपा ने बाजी मारी थी। इसलिए उसने इस चरण के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई रैलियां कर चुके हैं। इसी चरण में दो मंत्री भी चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश में इस चरण को निर्णायक लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी के चलते भाजपा के हौसले बुलंद हैं। यहां से कांग्रेस ने अजय राय को चुनाव मैदान में उतारा है और उनके पक्ष में प्रियंका गांधी रोड शो कर चुकी हैं। गठबंधन (सपा) ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उनका पर्चा खारिज होने पर शालिनी यादव को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा को उम्मीद है कि वाराणसी में प्रधानमंत्री की मौजूदगी का लाभ आसपास की सीटों पर भी मिलेगा।

गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से पांच बार लगातार सांसद रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा जुड़ी है। यहां उपचुनाव में सपा-बसपा के गठजोड़ ने सेंध मार दी थी। यही वजह है कि योगी ने अभिनेता से नेता बने भाजपा प्रत्याशी रवि किशन के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। इस बार गठबंधन ने रामभुआल निषाद को टिकट दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी मधूसूदन त्रिपाठी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। गाजीपुर में संचार व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा जातिवादी चक्रव्यूह में फंसे हैं। वाराणसी से सटी इस सीट पर गठबंधन (बसपा) की ओर से अफजाल अंसारी मैदान में हैं और कांग्रेस गठबंधन ने अजीत कुशवाहा को टिकट दिया है। इसी तरह चंदौली में भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की राह भी 2014 जैसी आसान नहीं है। सपा ने संजय चौहान को उतारा है तो कांग्रेस से पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा उम्मीदवार हैं। कुशीनगर में लड़ाई दिलचस्प है।

भाजपा ने मौजूदा सांसद राजेश पांडेय का टिकट काट विजय दुबे को उम्मीदवार बनाया है। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर जीत कर मनमोहन सरकार में मंत्री बने आरपीएन सिंह फिर से मैदान में हैं। 2014 में हार चुके आरपीएन सिंह की मुश्किलें सपा के नथुनी प्रसाद कुशवाहा बढ़ा रहे हैं। कभी वाम दलों का गढ़ रहे घोसी में इस बार भाजपा के लिए कमल खिलाना आसान नहीं है। भाजपा ने सांसद हरिनारायण राजभर पर विश्वास जताते हुए फिर मैदान में उतारा है। वहीं गठबंधन की ओर से बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबी माने जाने वाले अतुल राय बसपा उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को उतारकर मुकाबल त्रिकोणीय बना दिया है। मीरजापुर में केंद्रीय मंत्री और अपना दल (सोनेलाल) की उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल त्रिकोणीय लड़ाई में फंसी हैं। इस बार गठबंधन ने सपा के टिकट पर भदोही से भाजपा सांसद रामचरित्र निषाद को उतारा है तो कांग्रेस ने फिर ललितेश त्रिपाठी पर दांव लगाया है। महाराजगंज, बांसगांव और रॉबट्र्सगंज सहित 13 सीटों पर वोट पड़ेंगे।

भंवर में दिग्गजों की किश्ती [ पंजाब 13 सीट ]
पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों के लिए 278 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 25 महिला प्रत्याशी हैं। कई दिग्गज नेता भंवर में फंसे दिख रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ को गुरदासपुर सीट पर भाजपा के सनी देयोल से कड़ी चुनौती मिल रही है। वहीं, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल भी खुद फिरोजपुर से मैदान में हैं। उनके सामने शिअद से ही कांग्रेस में गए मौजूदा सांसद शेर सिंह घुबाया जीत का दम भर रहे हैं। 2014 में चार सीटें जीत कर चौंकाने वाली आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान संगरूर सीट से फिर मैदान में हैं। उनकी सीट बचाना पार्टी के लिए चुनौती है। उनके सामने कांग्रेस के केवल सिंह ढिल्लों व शिरोमणि अकाली दल के परमिंदर सिंह ढींडसा हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल के लिए यह चुनाव साख का सवाल है। पटियाला सीट से पिछले चुनाव में आप के धर्मवीर गांधी के हाथों हार का सामना करने वालीं कैप्टन की पत्नी परनीत कौर को इस बार भी गांधी से कड़ी टक्कर मिल रही है। गांधी इस बार पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस से लड़ रहे हैं। सुखबीर के लिए चुनौती इसलिए ज्यादा है, क्योंकि उन्हें अपनी सीट के साथ-साथ पत्नी हरसिमरत कौर बादल की बठिंडा सीट पर भी पूरा दम लगाना पड़ रहा है। हैट्रिक बनाने का दावा कर रहीं हरसिमरत कौर के सामने कांग्रेस से राहुल गांधी के करीबी अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग हैं। भाजपा के लिए अमृतसर सीट नाक का सवाल बनी हुई है।

पिछली बार यहां भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने करीब एक लाख वोटों से हराया था। इसी सीट पर भाजपा की टिकट से नवजोत सिंह सिद्धू जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। उनके जाने के बाद भाजपा लगातार दो चुनाव हार चुकी है। इनमें एक उपचुनाव भी शामिल है। होशियारपुर में भाजपा के सोमप्रकाश के सामने कांग्रेस के डॉ. राजकुमार चब्बेवाल हैं। पिछली बार यहां से जीत दर्ज कर चुके विजय सांपला का टिकट इस बार कट गया है। उनके समर्थक नाराज हैं, जो भाजपा के लिए चुनौती है। श्री आनंदपुर साहिब में कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने शिअद के दिग्गज नेता मौजूदा सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा हैं। उन्होंने पिछली बार कांग्रेस की अंबिका सोनी को हराया था।

खडूर साहिब सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के जसबीर सिंह डिंपा और शिअद की दिग्गज नेत्री बीबी जागीर कौर के बीच है, लेकिन पीडीए की परमजीत कौर खालड़ा भी टक्कर दे रही हैं। फतेहगढ़ साहिब सीट पर दो रिटायर्ड आइएएस अधिकारी शिअद से दरबारा सिंह गुरु व कांग्रेस के डॉ. अमर सिंह हैं। डॉ. अमर सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के प्रधान सचिव रहे हैं, जबकि दरबारा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के प्रधान सचिव रह चुके हैं। जालंधर में जातीय समीकरणों के चलते बसपा के बलविंदर कुमार अचानक से मुख्य मुकाबले में आते दिख रहे हैं। यहां कांग्रेस के संतोख चौधरी, शिअद के चरणजीत सिंह अटवाल और आप से पूर्व जस्टिस जोरा सिंह मैदान में हैं। लुधियाना से पिछली बार जीत दर्ज कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू के सामने शिअद के महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल, आप के प्रो. तेजपाल व लोक इंसाफ पार्टी के सिमरजीत सिंह बैंस हैं। फरीदकोट सीट पिछली बार आप के खाते में गई थी। आप के प्रो साधू सिंह फिर मोर्चे पर हैं। मुकाबला कांग्रेस के मोहम्मद सदीक व शिअद के गुलजार सिंह रणीके से है।

मुद्दा बन गए विद्यासागर! [ प. बंगाल 09 सीट ]
सियासी ऊंट कब किस करवट बैठे, ये कोई नहीं बता सकता। किसी ने शायद ही सोचा होगा कि बंगाल में पुनर्जागरण के पुरोधा ईश्वर चंद्र विद्यासागर सातवें व आखिरी चरण के मतदान से पहले तमाम ज्वलंत मसलों को पीछे छोड़कर यकायक सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन जाएंगे। बंगाल के तीन जिलों की नौ सीटों पर होने जा रहे मतदान बंगाल की इस महान विभूति पर केंद्रित हो चले हैं। करीब डेढ़ करोड़ मतदाता जब 111 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करने 17,042 मतदान केंद्रों का रुख करेंगे तो उनके जेहन में एक बार विद्यासागर जरूर कौंधेंगे। विद्यासागर किसका बेड़ा पार कराएंगे, इसका पता तो 23 मई को ही चलेगा।

अमित शाह के रोड शो पर हमले के बाद नाटकीय रूप से बदला माहौल: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कोलकाता में हुए रोड शो पर हमले के बाद पूरा चुनावी माहौल एकदम से बदल गया। उस दौरान विद्यासागर कॉलेज में लगी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा कुछ लोगों ने तोड़ दी। इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस व भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। भाजपा ने इसे तृणमूल की गुंडई और सूबे में व्याप्त अराजकता का नतीजा बताया तो तृणमूल ने इसे दूसरे राज्यों से पहुंचे भाजपा के लोगों की करतूत करार दिया। भाजपा ने इस घटना को बंगाल में अराजकता की स्थिति से जोड़कर जोर-शोर से पेश किया तो ममता ने भी तुरंत इसे बंगाली सेंटीमेंट से जोड़ते हुए कहा- भला बंगाल में रहने वाला कोई व्यक्ति विद्यासागर जैसे मनीषी की प्रतिमा तोड़ सकता है? गौरतलब है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस व रवींद्र नाथ टैगोर की तरह विद्यासागर से भी बंगाल के लोगों का गहरा भावनात्मक जुड़ाव है। अब देखना यह है कि बंगाल में 19 मई को जब आखिरी चरण का मतदान होगा तो ‘अराजकता’ बनाम ‘बंगाली सेंटीमेंट’ में किसका पलड़ा भारी रहता है।

विस चुनाव के लिहाज से भी काफी अहम हैं नौ सीटें:
कोलकाता उत्तर, कोलकाता दक्षिण, दमदम, जादवपुर, बशीरहाट, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, बारासात व जयनगर-ये नौ लोकसभा सीटें विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी बेहद अहम हैं। यही वजह है कि भाजपा इन सीटों पर सबसे ज्यादा जोर लगा रही है। 2021 में बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा यहां क्षमता की परख कर लेना चाहती है। दक्षिण कोलकाता से होकर गुजरता है राज्य सचिवालय का रास्ता: राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि राज्य सचिवालय नवान्न का रास्ता दक्षिण कोलकाता से होकर गुजरता है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि इस संसदीय क्षेत्र के अधीन सात विधानसभा सीटों में से छह के विधायक वर्तमान में राज्य के मंत्री हैं और सातवें ने हाल में मंत्रिपद छोड़ा है। यह वही सीट है, जो हमेशा से ममता का गढ़ है। उस समय भी, जब राज्य में वाममोर्चा की तूती बोलती थी। यह वही सीट है, जहां से जीतकर ममता छह बार संसद पहुंचीं और यही वह सीट है, जहां की भवानीपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर ममता विधानसभा पहुंचीं। 

मालवा-निमाड़ में सीधी भिड़ंत [ मध्य प्रदेश 08 सीट ]
भोपाल: मध्यप्रदेश के मालवानिमाड़ अंचल की आठ सीटों पर मतदान होगा। विधानसभा चुनाव में भाजपा को सर्वाधिक नुकसान इसी क्षेत्र में हुआ था। इंदौर: लगातार आठ बार सांसद रही सुमित्रा महाजन का टिकट काटकर भाजपा ने शंकर लालवानी को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने इस सीट पर पंकज संघवी को उतारा है।

देवास: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित देवास सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने नए चेहरे उतारे हैं। कांग्रेस ने पद्मश्री और कबीरपंथी भजन गायक प्रहलाद सिंह टिपानिया पर दांव लगाया है तो भाजपा ने पूर्व जज महेंद्र सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा है।

उज्जैन: भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा ने सांसद चिंतामणि मालवीय की जगह इस बार अनिल फिरोजिया को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने बाबूलाल मालवीय को मैदान में उतारकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। यहां की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है और तीन पर भाजपा का।

मंदसौर: इस सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद सुधीर गुप्ता को फिर से मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने भी मीनाक्षी नटराजन पर ही भरोसा जताया है। 2014 में गुप्ता ने नटराजन को करीब तीन लाख मतों से मात दी थी।

खरगोन: यहां भाजपा ने सुभाष पटेल का टिकट काटकर गजेंद्र सिंह पटेल पर भरोसा जताया है, जबकि कांग्रेस ने डॉ. गोविंद मुजाल्दा को मैदान में उतारा है। 2014 में भाजपा के सुभाष पटेल ने ढाई लाख मतों से जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आठ में से छह सीटें जीती थीं।

खंडवा: भाजपा ने नंदकुमार सिंह चौहान पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव को उतारा है। 2014 में चौहान ने यादव को तीन लाख मतों से हराया था। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने चार-चार सीटों पर जीत दर्ज की है।

रतलाम: कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहे रतलामझाबुआ में आदिवासी चेहरा कांतिलाल भूरिया एक बार फिर मैदान में हैं, जबकि भाजपा ने विधायक जीएस डोमार को प्रत्याशी बनाया है।

धार: भाजपा ने सावित्री ठाकुर का टिकट काटकर छतर सिंह दरबार को उतारा है। कांग्रेस से दिनेश गिरवाल चुनावी मैदान में हैं। यहां आठ विधानसभा सीटों में से छह पर कांग्रेस और दो पर भाजपा का कब्जा है।

बड़े नाम, कड़ा मुकाबला [ बिहार 08 सीट ]
बिहार में अंतिम चरण के मुकाबले में चार केंद्रीय मंत्री हैं, एक पूर्व फिल्मी स्टार हैं, एक लोकसभाध्यक्ष हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और प्रमुख राजनीतिक घराने की बेटी हैं। आठ सीटों पर मतदान होना है, जिनमें से अधिसंख्य वीआइपी सीट मानी जा रही हैं। भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पटना साहिब से, रामकृपाल यादव पाटलिपुत्र से, अश्विनी चौबे बक्सर और आरके सिंह आरा से मैदान में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहजिले नालंदा में भी चुनाव है। लिहाजा उनकी प्रतिष्ठा भी इस दौर से जुड़ी है। पाटलिपुत्र सीट पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती भी राजग के गढ़ सेंध लगाने में जुटीं हैं। काराकाट में रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ताल ठोंक रहे हैं। सासाराम में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और भाजपा सांसद छेदी पासवान के बीच लड़ाई है।

1.52 करोड़ मतदाता आखिरी चरण में 157 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। 20 महिलाएं भी किस्मत आजमा रहीं हैं। सर्वाधिक 35 उम्मीदवार नालंदा लोकसभा क्षेत्र में किस्मत आजमा रहे हैं। सबसे कम 11 प्रत्याशी आरा संसदीय सीट पर हैं। महत्वपूर्ण यह है कि सर्वाधिक बड़ा संसदीय क्षेत्र नालंदा है। सबसे अधिक मतदाता पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में हैं। सबसे कम मतदाता वाला लोकसभा क्षेत्र जहानाबाद है। आखिरी दौर में डिहरी विधानसभा का उपचुनाव भी 19 मई को संपन्न होगा।

किसका होगा हिमाचल [ हिमाचल 04 सीट ]
हिमाचल प्रदेश में शिमला, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा कुल चार सीटें हैं, जिन पर कुल 45 प्रत्याशी मैदान में हैं। हालांकि, मुख्य मुकाबला आमतौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहता आया है, मगर इस बार बसपा ने भी चारों सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों से शुरू हुआ प्रचार नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी बन कर रह गया। इस बीच दल बदल भी हुआ और तीखी बयानबाजी भी हुई। शिमला में मुकाबला भाजपा के सुरेश कश्यप और कांग्रेस के कर्नल धनी राम शांडिल के बीच है। कभी कांग्रेस का रही इस सीट पर पिछली दो बार से भाजपा जीत दर्ज कर रही है। मंडी सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद रामस्वरूप पर भरोसा जताया है। वहीं, सुखराम के पोते और भाजपा सरकार में मंत्री रहे अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा कांग्रेस प्रत्याशी हैं।

यह सीट इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृहक्षेत्र भी है। भौगोलिक रूप से इसमें कुल्लू, लाहुलस्पीति और किन्नौर जिले भी आते हैं, जबकि चंबा का जनजातीय हलका भरमौर भी इसी में है। हमीरपुर सीट इसलिए चर्चा में है, क्योंकि यहां भाजपा की ओर से तीन बार के सांसद अनुराग ठाकुर प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस की ओर से तीन बार हारने वाले रामलाल ठाकुर। कांगड़ा में सांसद शांता कुमार के इन्कार के बाद राज्य सरकार के मंत्री किशन कपूर पर भाजपा ने भरोसा जताया है। इनके सामने कांग्रेस से युवा विधायक पवन काजल मैदान में हैं।

शिबू का तिलिस्म तोड़ने की चुनौती [ झारखंड 03 सीट ]
झारखंड में अंतिम चरण में संताल परगना की तीन संसदीय सीटों दुमका, गोड्डा और राजमहल के लिए 19 मई को मतदान होगा। संताल परगना को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ भी कहा जाता है। यहां दिशोम गुरु शिबू सोरेन का तिलिस्म सालों बाद भी बरकरार है। पिछले चुनाव में संताल परगना ने ही झारखंड में भाजपा का विजयी रथ रोका था। पूरे प्रदेश में विजयी पताका फहराने वाली भाजपा को दुमका और राजमहल में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, हाल के वर्षों में सरकार की विकास योजनाओं से भाजपा ने यहां पैठ बढ़ाई है। तीनों ही सीटों पर भाजपा और महागठबंधन के उम्मीदवारों के बीच आमने-सामने की लड़ाई है।

किरण खेर बनाम पवन बंसल [ चंडीगढ 01 सीट ]
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की एकमात्र संसदीय सीट। भाजपा की किरण खेर यहां से सांसद हैं। जिनका मुकाबला कांग्रेस के पवन बंसल से हैं, जो यहां से चार बार सांसद चुने जा चुके हैं। चंडीगढ़ सीट पर अब तक कांग्रेस ने सात बार कब्जा जमाया है। भाजपा यहां से तीन बार जीती है।

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