AAP-कांग्रेस गठबंधन में 'दरार' के बीच कुछ बड़े नेता दे सकते हैं इस्तीफा
बताया जा रहा है कि 16 जनवरी को शीला दीक्षित के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद जिस तेजी से दिल्ली में पार्टी का ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ था अब उसी तेजी से नीचे भी आने लगा है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन को लेकर अनिश्चितता बरकरार है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस में टिकटों को लेकर असंतोष बढ़ने लगा है। सबसे ज्यादा विरोध तीनों कार्यकारी अध्यक्षों की दावेदारी का हो रहा है। हालात ये हैं कि पूर्व सांसदों के माथे पर त्योरी चढ़ने लगी है। वहीं दिल्ली के नेताओं ने सीधे पार्टी आलाकमान से मिलने का समय भी मांगना शुरू कर दिया है। इस बीच कुछ कांग्रेस नेताओं के इस्तीफा देने की चर्चा है, बताया जा रहा है कि AAP-कांग्रेस के बीच गठबंधन की अनिश्चितता के चलते इन लोगों की परेशानी व चिंता बढ़ गई है।
16 जनवरी को पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद जिस तेजी से दिल्ली में पार्टी का ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ था, अब उसी तेजी से नीचे भी आने लगा है। AAP के साथ गठबंधन का असमंजस भी पार्टी को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। पांच साल से अपने क्षेत्र में सक्रिय कुछ पूर्व सांसद इसीलिए शांत बैठ गए हैं क्योंकि अभी तक यही नहीं पता कि गठबंधन होने की सूरत में उनकी सीट बचेगी या नहीं। जबकि कुछ पूर्व सांसद इसीलिए बाजू चढ़ाने लगे हैं क्योंकि उनकी सीट पर पैराशूट लीडर की तरह तीनों कार्यकारी अध्यक्ष अपनी दावेदारी ठोकने लगे हैं।
आलम यह हो गया है कि तमाम प्रमुख नेताओं में अविश्वास की खाई गहरी होने लगी है। कुछ नेताओं ने तो गुपचुप तरीके से विरोधी पार्टियों में भी अपने लिए जगह तलाशनी शुरू कर दी है।
हारून यूसुफ की चांदनी चौंक, राजेश लिलोठिया की उत्तर पश्चिमी दिल्ली एवं देवेंद्र यादव की पश्चिमी दिल्ली से दावेदारी का विरोध भी पार्टी में जोर पकड़ने लगा है। पार्टी नेताओं का तर्क है कि जब इन्हें संगठन में सम्माजनक जगह दे दी गई है तो अब टिकट की दावेदारी बाकी नेताओं के हक पर डाका डालने जैसी है। यही वजह है कि लगभग सभी पूर्व सांसदों ने अपने-अपने आकाओं के माध्यम से एक ओर अपनी पैरवी शुरू कर दी है तो दूसरी तरफ विरोध के स्वर भी ऊपर पहुंचना प्रारंभ कर दिया है। कुछ ने तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से समय मांगना भी शुरू कर दिया है। शीला दीक्षित ने भी तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को समझाना शुरू कर दिया है कि उनका टिकट मांगना जायज नहीं है। शुक्रवार शाम उनके घर पर लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर जो एक बैठक रखी गई थी, उसमें भी मुद्दा उठा कि अगर तीनों कार्यकारी अध्यक्ष खुद ही टिकट मांगने लगेंगे तो फिर पुराने नेता कहां जाएंगे।
आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन की संभावनाओं के बीच ही प्रदेश कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी बैठकों का शेड्यूल तैयार कर लिया है। सोमवार से हर संसदीय क्षेत्र की स्थिति और तैयारी पर अलग-अलग बैठकें रखी जाएंगी। शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित की उपस्थिति में यह शेड्यूल तय किया गया।
गौरतलब है कि पार्टी आलाकमान की ओर से गठबंधन को लेकर स्थिति स्पष्ट करने में लगातार विलंब होने से पार्टी का चुनाव प्रचार और अभियान भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। संभावित प्रत्याशी ही नहीं, कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं। इसीलिए प्रदेश अध्यक्ष ने अब चुनावी बैठकें शुरू करने का मन बनाया है।
प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र कोचर के मुताबिक सोमवार को चांदनी चौक और उत्तर पूर्वी दिल्ली, मंगलवार को नई दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली जबकि बुधवार को पूर्वी, पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की बैठक होगी। सभी बैठकें प्रदेश कार्यालय में की जाएंगी जिसमें क्षेत्र के पूर्व विधायक व पार्षद उपस्थित रहेंगे। बैठकों को अध्यक्ष के अलावा प्रदेश के कई अन्य बड़े नेता भी संबोधित करेंगे। इस दौरान सभी क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति पर भी चर्चा की जाएगी।
इस्तीफे की चर्चाएं भी पकड़ने लगीं जोर
AAP के साथ गठबंधन होने या न होने की सूरत में प्रदेश कांग्रेस में इस्तीफे की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। सामने आ रहा है कि कुछ आला नेता गठबंधन होने की सूरत में इस्तीफा दे सकते हैं तो कुछ नहीं होने की सूरत में। संभावित प्रत्याशियों को लेकर भी यही स्थिति है। कुछ गठबंधन होने की सूरत में ही लड़ना चाहते हैं और कुछ गठबंधन नहीं होने पर अपनी उम्मीदवारी ही वापस ले रहे हैं।