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Loksabha Election 2019 : जानें, कानपुर, अकबरपुर और मिश्रिख से प्रसपा प्रत्याशियों की राजनीतिक पृष्ठभूमि

शिवपाल के तीनों प्रत्याशी अपने संसदीय क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वियों के समीकरण बिगाड़ेंगे।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 03:43 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 03:43 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : जानें, कानपुर, अकबरपुर और मिश्रिख से प्रसपा प्रत्याशियों की राजनीतिक पृष्ठभूमि
Loksabha Election 2019 : जानें, कानपुर, अकबरपुर और मिश्रिख से प्रसपा प्रत्याशियों की राजनीतिक पृष्ठभूमि

कानपुर, जागरण संवाददाता। अलग पार्टी बनाकर शुरू से ही समाजवादी पार्टी के वोट बैंक पर नजर लगाए बैठे शिवपाल सिंह यादव ने चुनावी बिसात वैसी ही बिछाई है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने 31 प्रत्याशी घोषित कर दिए। इनमें कानपुर, अकबरपुर और मिश्रिख के उम्मीदवार इस तरह तय किए गए हैं, जो सपा और भाजपा के वोट में सेंध लगा सकें।

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सपा के पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश खेमे के ही कई नेताओं-कार्यकर्ताओं को तोड़कर प्रसपा बनाई। उसके बाद भी सपा नेताओं को अपने पाले में लाते रहे। सपा, बसपा, रालोद गठबंधन और फिर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की उम्मीद खत्म होने के बाद मंगलवार को प्रसपा ने प्रदेश की 31 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए। 

मुंबई से लौटे राजीव यहां बिछाएंगे चुनावी बिसात

इनमें कानपुर से राजीव मिश्रा को प्रत्याशी बनाया गया है। राजीव 90 के दशक में मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के पदाधिकारी रहे। फिर कारोबार के सिलसिले में मुंबई जाकर बस गए। वहां उत्तर प्रदेश और बिहार की जनता से होने वाले भेदभाव को लेकर शिवसेना की खिलाफत में प्रांतीय दल बनाया। फिर उसे सर्व प्रांतीय दल नाम दिया। अब कानपुर लौट आए हैं। यशोदानगर निवासी राजीव मिश्रा ने अपने दल का विलय प्रसपा में कर लिया है। उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे सोच है कि सपा में पुरानी जड़ें हैं और यह सीट सवर्ण बहुल है।

भाजपा विधायक के भाई इंद्रपाल बने प्रसपा उम्मीदवार

अकबरपुर संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाए गए कैप्टन इंद्रपाल सिंह सिकंदरा के पूर्व विधायक स्व. मथुरा प्रसाद पाल के बेटे हैं। इंद्रपाल अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय थे, लेकिन उनके पिता निधन के बाद अजीत पाल को भाजपा ने टिकट दिया, वह जीत भी गए। अब छोटे भाई व भाजपा विधायक अजीत पाल से अलग दिशा में चलते हुए इंद्रपाल सिंह प्रसपा के टिकट पर मैदान में हैं।

मिश्रिख में सपा-बसपा के लिए चुनौती होंगी अरुणा

अरुणा कोरी मिश्रिख सीट पर सपा- बसपा गठबंधन के लिए चुनौती होंगी। इस सीट पर बसपा की प्रत्याशी मैदान में हैं। अरुणा कोरी वर्ष 2002 में भोगनीपुर से सपा की विधायक बनीं। वर्ष 2007 में चुनाव हार गईं। 2012 के विधानसभा चुनाव में बिल्हौर से लड़ीं और जीतीं। अखिलेश सरकार में मंत्री बनाई गईं। इससे पहले 1997 में घाटमपुर सीट से लोकसभा सीट से लड़ चुकी हैं। 2017 में अखिलेश यादव ने रसूलाबाद से टिकट दिया, लेकिन वह भाजपा उम्मीदवार से हार गईं। बिल्हौर और आसपास के क्षेत्र में उनका प्रभाव है। सपा में लंबा वक्त गुजारा है। अब प्रसपा प्रत्याशी के रूप में सपा को चुनौती देंगी।


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