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Lok Sabha Election 2019 Phase 2 Voting: दांव पर नीतीश कुमार की प्रतिष्‍ठा

Lok Sabha Election बिहार में दूसरे चरण मतदान में बड़ा सवाल यह है कि क्‍या जेडीयू अपने सहयोगी बीजेपी के वोट को ट्रांसफर करा पाएंगी। यहां पढ़ें विश्‍लेषण करती खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 09:57 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:22 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 Phase 2 Voting: दांव पर नीतीश कुमार की प्रतिष्‍ठा
Lok Sabha Election 2019 Phase 2 Voting: दांव पर नीतीश कुमार की प्रतिष्‍ठा

पटना [जेएनएन]। बिहार में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के दूसरे चरण (Phase 2 Voting) की वोटिंग संपन्‍न हो गई है। इस दौर में भागलपुर और बांका के अलावा सीमांचल की तीन सीटों (पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज) पर मतदान हुआ। इस चरण की खास बात यह रही कि सभी सीटों पर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की और से जनतादल यूनाइटेड (JDU) के प्रत्‍याशी मैदान में रहे। ऐसे में इस चरण में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्‍ठा दांवपर लगी है।

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पिछले चुनाव में इन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव हार गई थी। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्‍या इस बार इन सीटों पर बीजेपी के वोट जेडीयू को ट्रांसफर हो पाएंगे?

मुकाबले में जेडीयू के उम्मीदवार
दूसरे चरण में जिन पांच सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से सभी पर महागठबंधन (Grand Alliance) के प्रत्याशियों के खिलाफ एनडीए की तरफ से जेडीयू के प्रत्‍याशी मैदान में हैं। बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 30 प्रत्‍याशियों में से 22 ने जीत दर्ज की थी। जबकि, आठ सीटों पर उसे शिकस्‍त मिली थी। उनमें ये पांच सीटें शामिल हैं।
सहयोगी के लिए काम कर रही बीजेपी
स्‍पष्‍ट है कि दूसरे चरण में बीजेपी चुनाव मैदान में नहीं है। वह अपने सहयोगी जेडीयू के लिए काम कर रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इसमें लगे हुए हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भागलपुर में चुनावी रैली कर जेडीयू के लिए वोट मांग चुके हैं।
जेडीयू के लिए छोड़ दी सीटें
लेकिन जेडीयू के लिए मुश्किल यह है कि बीजेपी के कैडर वोट आसानी से शिफ्ट होते नजर नहीं आ रहे। बड़़ा सवाल यह भी है कि आखिर ये पांचों सीटें बीजेपी ने जेडीयू के लिए क्‍यों छोड़ दी? जहां तक इन सीटों की बात है, यहां बीजेपी का बहुत प्रभाव नहीं रहा। बीजेपी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता शाहनवाज हुसैन एक बार किशनगंज और एक बार भागलपुर से चुनाव जीते हैं। हालांकि, बीते लोक सभा चुनाव में परेंद्र मोदी की लहर के बावजूद शाहनवाज भागलपुर से चुनाव हार गए थे। वर्तमान में किशनगंज व कटिहार सीट कांग्रेस, पूर्णिया जेडीयू तथा बांका व भागलपुर राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के पास हैं। ऐसे में आश्‍चर्य नहीं कि सीट शेयरिंग के दौरान बीजेपी को ये पांचों सीटें जेडीयू के लिए छोड़ दी।
जेडीयू के लिए अहम है चुनाव
यह चुनाव जेडीयू के लिए बेहद अहम है। एनडीए की तरफ से सभी सीटों पर उसके ही उम्‍मीदवार हैं। इनमें भागलपुर व बांका की दो सीटें तो बीजेपी ने क्रमश: शाहनवाज हुसैन और पुतुल देवी को बेटिकट कर जेडीयू को सौंपी है। ऐसे में यह चरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी प्रतिष्ठा का भी सवाल है। जेडीयू का मुकाबला किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार की तीन सीटों पर कांग्रेस से तो बांका व भागलपुर में आरजेडी से है। भागलपुर में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैली कर वोट मांग चुके हैं। महागठबंधन की बात करें तो कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी कटिहार और पूर्णिया में चुनावी रैलियां कर चुके हैं।
कांग्रेस का भविष्‍य भी दांव पर
चुनाव का यह दूसरा चरण बिहार में कांग्रेस (Congress) का भविष्य भी तय कर देगा। कांग्रेस को तालमेल में मिली नौ सीटों में से तीन (पूर्णिया, कटिहार व किशनगंज) पर इसी चरण में चुनाव हो रहा है।
दूसरे चरण में सीटों का गणित: एक नजर
कटिहार: तारिक से दुलालचंद के मुकाबले में फंसा ये पेंच 
कांग्रेस ने कटिहार से तारिक अनवर और पूर्णिया से उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। तारिक अनवर राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) छोड़कर कांग्रेस में आए हैं। वे कटिहार से पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। छठी बार चुनावी मैदान में हैं। इस बार तारिक अनवर का मुकाबला जेडीयू के दुलालचंद गोस्वामी से है। हालांकि, एनसीपी के मोहम्मद शकूर भी मैदान में हैं, जो तारिक अनवर के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। वे शेरशाहबादी मुसलमानों के 20-25 हजार वोट काट लें तो तारिक की राह आसान नहीं रहेगी। अगर ऐसा होता है तो जेडीयू के दुलालचंद गोस्वामी की राह आसान हो जाएगी, लेकिन शर्त यह है कि बीजेपी में भितरघात न हो, जैसी की आशंका है।
पूर्णिया: कुशवाहा को बीजेपी के विक्षुब्‍धोें से खतरा
पूर्णिया सीट पर कांग्रेस ने इस बार बीजेपी छोड़कर आए पूर्व सांसद पप्पू सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जिनका मुकाबला जेडीयू के निवर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा से है। यहां टिकट नहीं मिलने से यहां बीजेपी कार्यकर्ताओं में निराशा है, तो महागठबंधन में भी भितरघात की आशंका है। संतोष कुशवाहा भी पहले बीजेपी में थे, मगर 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह जेडीयू में आए। पिछले चुनाव में जदयू के जो दो प्रत्याशी जीते थे, उनमें संतोष कुशवाहा भी एक थे।
किशनगंज: जावेद व अशरफ के बीच तीसरा कोण बने अख्तरुल ईमान
किशनगंज में कांग्रेस ने अपने दल के पुराने नेता डॉ. जावेद को उम्मीदवार बनाया है। वर्तमान में वे पार्टी से विधायक भी हैं। इससे पहले तीन बार विधायक रह चुके हैं। उनके मुकाबले जेडीयू ने महमूद अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया है। एआइएमआइएम से अख्तरुल ईमान मैदान जंग में तीसरा कोण बना रहे हैं। यहां करीब 70 फीसद आबादी मुस्लिम है।
जेडीयू के महमूद अशरफ एनडीएके दो मुस्लिम उम्मीदवारों में से एक हैं। दूसरे खगडिय़ा से लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे चौधरी महबूब अली कैसर हैं।
भागलपुर: बीजेपी का कैडर वोट पाना चुनौती
भागलपुर में आरजेडी के बुलो मंडल और जेडीयू के अजय मंडल में सीधा मुकाबला होता दिख रहा है। दोनों गंगौता जाति से हैं। यहां मल्लाह-मांझी भी फैसला काने की ताकत रखते हैं।
बीते चुनाव में यहां से बीजेपी के शाहनवाज हुसैन हार गए थे। इस बार यह सीट जेडीयू को दे दिए जाने के कारण भाजपा में शाहनवाज हुसैन के समर्थक नाराज हैं। ऐसे में पार्टी में भितरघात की आशंका है।
बांका: त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी दिख रही सीट
बीजेपी ने बांका सीट जेडीयू को दे दी, जिसके प्रत्‍शयाी गिरिधारी यादव का मुकाबला आरजेडी के जयप्रकाश नारायण यादव से है। लेकिन गिरिधारी यादव की राह में बीजेपी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं पुतुल कुमारी मुश्किल खड़ी कर रहीं हैं। पुतुल कुमारी के पक्ष में बीजेपी का विक्षुब्‍घ तबका है। गिरिधारी यादव का भविष्‍य इसपर निर्भर है कि वे आरजेडी के परंपरागत ‘माय’ (मुस्लिम, यादव) समीकरण में किस हद तक सेंधमारी कर पाते हैं।


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